सावधान ! उन डाक्टर्स से जो जांच के लिए मरीजों को भेजते हैं करौली
वाराणसी (रणभेरी/विशेष संवाददाता)। जब सिस्टम भ्रष्ट और निकम्मा हो जाए तो उससे किसी बेहतर की उम्मीद करना शायद बेमानी होगी। भ्रष्ट और निकम्मे सिस्टम का ही नतीजा है कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कई ऐसे अवैध काम खुलेआम होते है जिसमें या तो लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ होता है या फिर लोग लूट जाने को मजबूर है। ऐसे मामलों में प्रशासन जानकर भी इसलिए अंजान और बेखबर बना रहता कि उनकी झोली भी भी भ्रष्ट सिस्टम से उपार्जित धन से शोभनीय कर दी जाती है। दुर्भाग्य है इस शहर का कि जिनके ऊपर गलत कामों को रोकने की जिम्मेदारी है वही इस भ्रष्ट सिस्टम को अपनी मौन सहमति से बढ़ावा दे रहे है। आपका अपना अखबार रणभेरी लगातार शहर में हो रहे अवैध कामों का एक अभियान चलाकर लगातार पर्दाफाश करता आ रहा है। इस कड़ी में हम अपने पाठकों का ध्यान वाराणसी के एक ऐसे डायग्नोस्टिक सेंटर की ओर केंद्रित करना चाहते है जहाँ गरीब और लाचार मरीजों को खुलेआम लूटा ही नहीं जाता बल्कि गलत जांच रिपोर्ट देकर उनकी जिन्दगी से खिलवाड़ किया जाता है। हम बात कर रहे है शहर में जांच के नाम पर मरीजों के जान को संकट में डालने वाले उस करौली डायग्नोस्टिक सेंटर की जहां जिम्मेदारों के मिलीभगत और मौन सहमति से खुलेआम जांच के नाम पर पहले तो मरीजों के जेब पर डाका डाला जाता है और फिर उसके बाद उसी गलत जांच रिपोर्ट को आधार बनाकर डाक्टरों द्वारा मरीजों की ज़िंदगी से आँख-मिचौली का खेल खेला जाता है।
बता दें कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में करौली डायग्नोस्टिक सेंटर नाम से संचालित हो रहे पैथोलॉजी के मालिक आदित्य अग्रवाल और अंशुमान अग्रवाल का नाम सट्टा के गलियारे में काफी चर्चित नाम है। सट्टा के धन्धे की बदौलत अवैध तरीके से अकूत धन अर्जित करने वाले इन दोनों भाईयों ने अपने काले कारनामों को छुपाने के लिए ऊपर से डायग्नोस्टिक सेंटर की सफेद चादर डाल दी है। दरअसल सूत्र बताते हैं कि इन दोनों भाईयों का मुख्य काम सट्टा का कारोबार ही है। सट्टे के दुनिया में इन दोनों का नाम बेहद चर्चित है। बताया जा रहा है कि ये वह नाम है जिन्होंने करौली के नाम से शहर के अलग-अलग हिस्सों में 5 पैथोलॉजी सेंटर खोल रखा है जिसके जरिये ब्लैक मनी को व्हाईट मनी में तब्दील किया जाता हैं।
सूत्रों का दावा है कि आदित्य और अंशुमान बड़े सट्टा कारोबारी हैं ये आनलाइन और आफलाइन दोनों तरह के सट्टा के कारोबार से जुड़े हैं इनके तार दुबई,नेपाल और श्रीलंका सहित देश के तमाम बड़े महानगरों में बैठे सट्टा माफियाओं से जुड़े हुये है। सट्टा के काले कारोबार से अर्जिर धन से ही इन्होने एक के बाद क करके 5 बड़े पैथोलॉजी सेंटर खोलकर अपने काले कारनामों के ऊपर सफेद पर्दा डालने का काम कर लिया है। लोगों को दिखाने के लिए ये पैथोलॉजी सेंटर चलाते हैं लेकिन असल में आज भी बड़े पैमाने पर ये क्रिकेट के खेल में सट्टा का काला कारोबार कर रहे है। सबसे बड़ी बात यह है कि संगठित अपराध की पृष्ठभूमि से जुड़े होने के कारण पैथोलॉजी सेंटर के कारोबार के प्रति न ही इनमे निष्ठा व ईमानदारी है और न ही इनके हृदय में मरीजों के लिए रहम या सेवा भावना है। लिहाजा इनके जांच केंद्र से मरीजों को प्राय: गलत जांच रिपोर्ट दे दी जाती है जिसका खामियाजा वाराणसी सहित आस- पास के जिले के मरीज भुगतते हैं।
डाक्टर्स के नाम पर सहयोगी कर्मचारी करत हैं मरीजों की जांच
सूत्र बताते है कि करौली डायग्नोस्टिक सेंटर में डाक्टर्स के बजाय अपरिपक्व जूनियर डाक्टर्स या फिर कर्मचारियों द्वारा मरीजों की जांच की जाती है और जिन डाक्टर्स के हस्ताक्षर के साथ जांच रिपोर्ट दी जाती है वी भी फर्जी होती है। वाराणसी में करौली के नाम से संकट मोचन, भोजुबीर, मंडुआडीह,मलदहिया व शिवपुर में कुल 5 शाखाएं संचालित की जा रहे है। सूत्र यह भी बताते हैं कि सभी डायग्नोस्टिक सेंटर नियमों का उल्लंघन करते हुये अवैध व फर्जी तरीके से संचालित किए जा रहे है। आप के चहेते सायंकालीन अखबार 'गूंज उठी रणभेरी' के कार्यालय को अब तक दर्जनों ऐसे शिकायती पत्र मिल चुके हैं जिनसे करौली डायग्नोस्टिक सेंटर के अवैध कारनामों के पुष्टि होती है। रणभेरी को अलग-अलग तिथियों के कुछ जांच रिर्पोट भी मिले है जिनपर ऐसे डाक्टर्स के फर्जी हस्ताक्षर है जिनका करौली से कोई सारोकार हे नहीं है। ऐसे ही एक रिपोर्ट पर डॉ. एस. सेन्धील कुमार (एमबीबीएस, डीएमआरडी) का नाम है जो पूर्व में अपोलो अस्पताल के सिनियर रेडियोलॉजिस्ट थे और चेन्नई के रहने वाले है। आपको जान कर हैरानी होगी कि डॉ. एस. सेन्धील कुमार पिछले दो वर्षों के अधिक समय से भारत के बाहर विदेश में सेवारत है। ऐसे में आप समझ सकते है कि कैसे करौली डायग्नोस्टिक सेंटर उनके नाम, पदनाम व हस्ताक्षर का दुरूपयोग कर मरीजों व नागरिकों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहा है।
बिना कुशल रेडियोलॉजिस्ट के नहीं खोल सकते पैथलॉजी सेंटर
आप जानते होंगे कि बिना किसी सक्षम व कुशल रेडियोलॉजिस्ट के बिना कोई भी इस तरह का सेन्टर संचालित नहीं किया जा सकता। जबकि डॉ. एस. सेंथिल कुमार को भारत छोड़ते समय मुख्य चिकित्साधिकारी वाराणसी को लिखित पत्र द्वारा सूचित किया था कि वे भारत छोड़कर विदेश जा रहे है। उन्होंने कहा था कि न मैं कोई पैथोलॉजी सेन्टर चला रहा हूँ न ही किसी पैथोलॉजी सेंटर में कार्यरत हूँ। सूत्रों की माने तो बावजूद इसके करौली डायग्नोस्टिक सेंटर मरीजों व आम नागरिकों के स्वास्थ्य की परवाह किये बगैर सी.एम.ओ. कार्यालय को करौली डायग्नोस्टिक सेंटर के प्रबंध निदेशक द्वारा अवैध व मोटी रकम देकर इन सारी बातों को दबा दिया गया और फिर फर्जी व मनमाने तरीके से करौली डायग्नोस्टीक सेंटर चलवाया जा रहा है। करौली डायग्नोस्टिक सेंटर डॉ. एस. सेंथिल कुमार के फर्जी हस्ताक्षर से फर्जी जांच रिपोर्ट जारी कर मरीजों व नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ बड़े पैमाने पर खेल कर रहा है। सूत्रों यह भी बता रहे है कि स्वास्थ्य विभाग वाराणसी के अधिकारी व कर्मचारी इस फजीर्वाड़े में शामिल है, लिहाजा मूकदर्शक बन कर बैठे है।
रिपोर्ट पर डिग्रीधारक का साइन जरूरी, ये है नियम
मीडियम और एडवांस पैथलैब में एमडी पैथोलॉजी, बायोकेमेस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी, लेबोरेटरी मेडिसिन डिग्रीधारी होना अनिवार्य है। इन विषयों के एमडी डॉक्टर ही रिपोर्ट पर साइन कर सकते। एमडी जांच की व्याख्या के लिए एमबीबीएस डॉक्टर जरूरी है।
1 मीडियम लैब में एमडी पैथोलॉजी, बायोकेमेस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी, लेबोरेटरी मेडिसिन डिग्रीधारी अनिवार्य।
2 एमबीबीएस व दूसरे विभागों से पीजी करने पर भी नहीं चला सकते। माइक्रोबाइयोलॉजी, पैथोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री में पीजी/पीएचडी जरूरी।
बेसिक सुविधा जरूरी
बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण के लिए व्यवस्था करनी होगी। पैथ लैब्स को वेटिंग रूम, शौचालय व पीने के साफ पानी की व्यवस्था करनी होगी। टेंपरेचर कंट्रोल के लिए मशीनों की भी व्यवस्था करनी होगी। हर मरीज का रिकॉर्ड मेंटेन करके रखना होगा। पैथ लैब्स को इन्फेक्शन कंट्रोल प्रेक्टिस अपनी होगी। एचआईवी टेस्ट करने से पहले और बाद में मरीज की काउंसलिंग जरूरी होगी। इन गाइडलाइंस के उल्लंघन पर जुर्माने का प्रावधान है।
सूत्र बता रहे हैं कि तमाम नियमों को ताक पर रखकर आवश्यक मानकों की धज्जियां उड़ाते हुये दो सट्टा कारोबारियों द्वारा वाराणसी में संचालित किये जा करौली डायग्नोस्टिक सेंटर को वाराणसी समेत पूर्वांचल की कई जिलों के डॉक्टरों का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। रणभेरी को फिलहाल लगभग 1 दर्जन ऐसे डाक्टर्स के नाम मिले हैं जो अपने यहाँ आने वाले मरीजों को जांच के लिए सधे करौली भजते हैं। सूत्र बताते हैं कि इलाज के नाम पर लाखों रूपये ऐठने के बदनीयत के तहत भी कुछ डाक्टर्स अपने मरीजों को करौली डायग्नोस्टिक सेंटर भेजते हैं जहाँ से मरीजों को ऐसी जांच रिपोर्ट दे दी जाती है जिससे छोटी-मोटी बिमारी वाला मरीज़ भी खुद को गंभीर व खतरनाक बीमारी से ग्रसित समझ बैठता है और फिर यही से शुरू हो जाता है मरीजों के शोषण का घिनौना खेल।
मरीजों की ज़िंदगी से खेले जा रहे घिनौने खेल में करौली डायग्नोस्टिक सेंटर के अग्रवाल बंधुओं के साथ-साथ दर्जनों डाक्टर्स के शामिल होने की खबर आ रही है। लूट का यह व्यापार काफी दूर तक फैला हुआ है। वाराणसी ही नहीं बल्कि आस-पास के दर्जनों जिलों से भी डाक्टर्स द्वारा मरीजों को करौली सेंटर में जांच के लिए भेजा जाता है। करौली डायग्नोस्टिक सेंटर के इस अक्षम्य अपराध में कई नामी-गिरामी हॉस्पिटलों सहित बड़े डाक्टर्स की लिस्ट रणभेरी को प्राप्त हुई है जो सब कुछ जानते हुये भी अपने मरीजों को करौली डायग्नोस्टिक सेंटर भेजने का गुनाह कर रहे हैं।
वो डाक्टर्स जो दे भेजते है मरीजों को करौली
अभी तक मिली सूची के अनुसार डॉक्टर केके सिंह, सुधा सर्जिकल, रोहित हॉस्पिटल, डॉक्टर एसबी सिंह, डॉक्टर एसजे सिंह, शैल नर्सिंग होम, डॉक्टर शैल सिंह, शेखर हॉस्पिटल, भारती हॉस्पिटल, स्वास्तिक सर्जिकल, अंश ब्यूरो, डॉक्टर कल्पना दूबे, डॉक्टर आज़मी जेहरा (चंदौली), डॉक्टर अभिजीत कसेरा इत्यादि नाम हैं। इतना ही नहीं गांव-गांव में छोटी-छोटी क्लिनिको पर बैठे डॉक्टर भी मरीज को जांच के लिए करौली भेजते हैं करौली द्वारा ऐसे डॉक्टरों को भी कमीशन के रूप में मोटे रकम देकर जेब भरे जा रही है।