एटीएस ने म्यामांर के घुसपैठिया को कैंट स्टेशन से दबोचा 

एटीएस ने म्यामांर के घुसपैठिया को कैंट स्टेशन से दबोचा 

वाराणसी (रणभेरी सं.)। एटीएस उत्तर प्रदेश ने मानव तस्करी और अवैध घुसपैठ से जुड़े मामले में एक बड़ा कदम उठाते हुए गुरुवार रात में वाराणसी रेलवे स्टेशन के पास से मोहम्मद अब्दुल्ला उर्फ अब्दुस सलाम मंडल को गिरफ्तार किया। मोहम्मद अब्दुल्ला, जो म्यांमार के रखाइन राज्य के दामनखाली, मोंगडू से है, भारत में फर्जी दस्तावेजों के सहारे रह रहा था। इसके साथ ही वह रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों को अवैध रूप से भारत में प्रवेश कराता था। मोहम्मद अब्दुल्ला का यह गिरोह रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों को अवैध रूप से भारत में प्रवेश कराने, उनके फर्जी भारतीय पहचान पत्र बनवाने और उन्हें विभिन्न राज्यों में स्थापित करने का कार्य करता है। गिरोह का मुख्य सदस्य अबू सालेह मंडल, अब्दुल्ला गाजी, और शेख नजीबुल हक के साथ यह व्यक्ति भी सक्रिय भूमिका निभा रहा था। मोहम्मद अब्दुल्ला  के इस गैंग के अब तक कुल 11 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। एटीएस अधिकारियों की पूछताछ में उसने बताया कि उसकी भारतीय पहचान 'अब्दुस सलाम मंडल' नाम से बनाई गई थी। गिरोह की आर्थिक मदद से उसने पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मेदिनीपुर में जमीन खरीदी और घर बनवाया। वह 2018 से बंगाल के मेदिनीपुर में रह रहा था। मोहम्मद अब्दुल्ला गिरफ्तारी के दौरान उसके पास से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और उपकरण बरामद हुए, जिनमें मोबाइल फोन और तीन मेमोरी कार्ड, भारतीय आधार कार्ड, पैन कार्ड, और मतदाता पहचान पत्र। इसके अलावा यूएनएचसीआर  द्वारा जारी शरणार्थी कार्ड और 1070 रुपए रुपए बरामद हुए हैं। मोहम्मद अब्दुल्ला के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 419 (प्रतिरूपण), 420 (धोखाधड़ी), 467, 468, और 471 (फर्जी दस्तावेज बनाना और उनका उपयोग करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसके साथ ही विदेशी अधिनियम और पासपोर्ट अधिनियम की विभिन्न धाराओं में भी कार्रवाई की जा रही है।

राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को दे रहा था अंजाम

यह गिरोह न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर रहा था, बल्कि अवैध घुसपैठियों को आर्थिक रूप से समर्थन देकर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने में भी शामिल था। सूत्रों के मुताबिक, उसने बंगाल से बनारस पहुंचते ही 24 घंटे में ज्ञानवापी समेत कई मस्जिदों की रेकी की थी। इसके अलावा यूपी कॉलेज में चल रहे वक्फ के विवाद की जानकारी ली। एटीएस और पुलिस उसकी लंबे समय से तलाश कर रही थी। बनारस में उसकी लोकेशन मिलते ही एटीएस ने जाल बिछाकर उसे दबोच लिया।