तबला वादक उस्ताद ज़ाकिर हुसैन के निधन पर काशी के कलाकारों जताया शोक, दी श्रद्धांजलि
वाराणसी (रणभेरी): मौसिकी की दुनिया में जिनके तबले की थाप एक अलहदा पहचान रखती है, उस्ताद जाकिर हुसैन का सोमवार को सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह अभी 73 वर्ष के थे। जाकिर हुसैन के दुनिया को अलविदा कहने के बाद संगीत जगत में शोक की लहर है। संगीतकार पिछले दो हफ्ते से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के कारण अस्पताल में भर्ती थे। वही धर्म की नगरी काशी में संगीत से जुड़े कलाकारों ने श्रद्धांजलि दी और उनको याद किया।
उस्ताद जाकिर हुसैन का काशी के साहित्य घराने से गहरा लगाव था। 2008 में महाशिवरात्रि महोत्सव पर काशी आये थे। इस दौरान उनके तबले की थाप सुनते ही काशीवासी मंत्रमुग्ध हो गए। जाकिर हुसैन को काशी से काफी लगाव था। उनकी आखिरी इच्छा थी कि वह संकट मोचन संगीत समारोह में भी अपनी अर्जी लगाए। इसके लिए उन्होंने 97वें महोत्सव में अपनी अर्जी भी भेजी थी लेकिन वही समझ में शामिल नहीं हो सके।
महाशिवरात्रि महोत्सव में उस्ताद की प्रस्तुति को याद करते हुए किशन जालान ने बताया कि जाकिर हुसैन ने अंतिम बार काशी में अपनी प्रस्तुति दी थी। तब हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय का पूरा प्रांगण दर्शकों से खचाखच भरा था। नीचे के हाॅल तो छोड़िए छत के ऊपर की बालकनी पर भी संगीत प्रेमी तबले की थाप सुनने के लिए बेकरार बैठे थे। उस्ताद जाकिर हुसैन ने जब तबला बजाना शुरू किया तो फिर पूछिए मत। यूं ही नहीं उनका उस्ताद कहा जाता है।
जैसे-जैसे तबला वादन परवान चढ़ता गया, दर्शकों का उत्साह भी बढ़ता गया। पूरा प्रांगण हर-हर महादेव के जयकारे से गूंज उठा। रात ढल रही थी लेकिन श्रोताओं की संगीत की प्यास बुझने का नाम नहीं ले रही थी। मंच के सामने बैठे श्रोता उनसे कुछ और सुनने की मांग करने लगे। इसके बाद तबले पर जब उन्होंने डमरू निनाद किया तो फिर क्या था, श्रोता तो उस्ताद के मुरीद हो उठे।
संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र ने बताया कि श्री संकटमोचन फाउंडेशन की ओर से 1993 में आयोजित ध्रुपद महोत्सव में तुलसीघाट पर उस्ताद जाकिर हुसैन ने तबला बजाया था। उन्होंने अपने पिता उस्ताद अल्ला रक्खा साहब के साथ कार्यक्रम प्रस्तुत किया था। उनके साथ सारंगी पर उस्ताद सुल्तान खां थे।
इसके अलावा 1965 से 1975 के बीच कई कार्यक्रमों में वे काशी आए। 2018 में संकटमोचन संगीत समारोह के 97वें संस्करण में प्रस्तुति देने के लिए उस्ताद जाकिर हुसैन ने इच्छा जताई थी लेकिन कुछ कारणों से यह संभव नहीं हो सका था। पिछले साल उनसे बात हुई थी तो उन्होंने कहा था कि 2025 में संकटमोचन संगीत समारोह में प्रस्तुति देने जरूर आऊंगा लेकिन इस तरह से उनका अचानक चले जाना बेहद दुखद है। वह ऐसे कलाकार थे जिनके नाम से तबला जाना जाता था। मीरघाट स्थित बाबा द स्कूल ऑफ म्यूजिक के संस्थापक तबला वादक पं. रवि त्रिपाठी ने तबले के उस्ताद को श्रद्धांजलि अर्पित की। उस्ताद जाकिर हुसैन साहब के निधन पर दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस दौरान पं. किशन राम डोहकर, अशेष नारायण मिश्रा, संतोष मिश्रा एडवोकेट और स्नेहा चौधरी उपस्थित रहे।