माघ मास की अमावस्या का स्नान कल
वाराणसी (रणभेरी सं.)। मौनी अमावस्या पर त्रिग्रही योग के साथ चार योग बन रहा है और श्रवण नक्षत्र रहेगा। मकर राशि में सूर्य, चंद्रमा और बुध के एक साथ होने से त्रिग्रही योग बनेगा। ज्योतिष में इस योग को बहुत ही शुभ माना जाता है।
शिववास, सिद्धि, वृषभ गुरु व वज्र योग बन रहा है। काशी में भी स्नान-दान के लिए 10 लाख श्रद्धालुओं की भीड़ होगी। इसको लेकर प्रशासन द्वारा तैयारी पूरी कर ली गई है। आचार्य विकास पाण्डेय के अनुसार माघ मास की अमावस्या तिथि 28 जनवरी की शाम 7:11 बजे से शुरू होकर 29 की शाम 6:28 बजे तक रहेगी। जबकि 29 को अमावस्या तिथि का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:30 बजे से 6:22 बजे तक रहेगा। अमृत चौघड़िया सुबह 8:31 से 9:52 बजे तक रहेगी। शुभ चौघड़िया सुबह 11:13 बजे से 12:34 बजे तक है। इस समय स्नान करने से पूर्ण लाभ प्राप्त होगा।
तिल का करना चाहिए दान
आचार्य विकास ने बताया पवित्र नदियों में स्नान के पश्चात् अपने सामर्थ्य के अनुसार अन्न, वस्त्र, धन, गौ, भूमि, तथा स्वर्ण अपनी इच्छानुसार दान करना चाहिए। मौनी अमावस्या को तिल का दान भी उत्तम माना जाता है। चूंकि इस व्रत में व्रत करने वाले को पूरे दिन मौन व्रत का पालन करना होता इसलिए यह योग पर आधारित व्रत कहलाता है।
मनु शब्द से मौनी अमावस्या का हुआ जन्म आचार्य विकास ने कहा - मौनी अमावस्या के बारे में कहा जाता है कि इस दिन ऋषि मनु का जन्म हुआ था। मनु शब्द से ही मौनी बना है, इसलिए इस अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए इस तिथि का काफी महत्व होता है, क्योंकि, इस तिथि को तर्पण, स्नान, दान आदि के लिए शास्त्रों में बहुत ही पुण्यकारी माना गया है।
काशी के प्रमुख 5 घाटों पर होगी भीड़
वाराणसी में गंगा स्थान के लिए सबसे ज्यादा श्रद्धालु अस्सी घाट, तुलसी घाट, केदारघाटी, दशाश्वमेध, राजघाट पहुंचेंगे। इसको लेकर पुलिस प्रशासन द्वारा पूरी व्यवस्थाएं की गई है। सभी घाटों पर वेरीकेटिंग की गई है और बैनर पोस्टर के माध्यम से आने वाले श्रद्धालुओं को जागरूक किया जा रहा है कि वह गहरे पानी में जाकर स्नान न करें।
एनडीआरएफ और जल पुलिस की टीम ने सभी गंगा घाट पर पुलिसकर्मियों की तैनाती कर दी है। इसके आलावा अस्सी, दशाश्वमेध, राजघाट पर जलपुलिस द्वारा लाउडस्पीकर लगाया है। जिसके माध्यम से नाविकों और श्रद्धालुओं को दिशा-निर्देश दिया जा रहा है।