हार के भी विजेता बने काशी के ‘अजय’
-राहुल सावर्ण
वाराणसी (रणभेरी सं.)। बीते अरसे जब कांग्रेस ने वाराणसी के अजय राय को संगठन का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था तो लोगों ने इस बदलाव को बहुत गंभीरता से नहीं लिया। वजह थी इसके पहले के दो-चार कार्यकालों में हुई कांग्रेस प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्तियां। दरअसल ये सभी पूर्व अध्यक्ष अपनी कोई छाप नहीं छोड़ पाए। ऐसे में अजय राय के जुझारू तेवड़ो ने अल्पकाल में ही उन्हें एक तेज-तर्रार नेता के रूप में स्थापित कर दिया। प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद अजय ने जिस तरह से ताबड़तोड़ आंदोलनों की कतार लगाई उससे उन्होंने न सिर्फ संगठन के शीर्ष नेतृत्व बल्कि जनता के बीच भी अपार विश्वास हासिल की। सन 24 के लोकसभा चुनाव में भी संगठन ने अजय के नाम पर फिर विश्वास की मुहर लगाई और किसी स्टार उम्मीदवार की जगह अजय राय को ही नरेंद्र मोदी के खिलाफ उम्मीदवार घोषित किया। यह बड़ी बात रही कि अजय राय ने संगठन के इस भरोसे को अपने तेवरों से न सिर्फ कायम रखा बल्कि प्रधनमंत्री मोदी को करारी टक्कर देकर पूरे देश को चौंका दिया। पूरे चुनाव के दौरान जिस तरीके से अजय राय ने चुनावी मैदान में दमखम दिखाया वह वाकई अजय के व्यक्तित्व को अधिक शक्तिशाली बनाता है। पूरे चुनाव प्रचार के दौरान अजय राय ने जिस तरीके से जनता के बीच जाकर जनता के साथ समन्वयन बनाया और जनता का भरोसा जीता, उसी का नतीजा है कि अजय राय ने नरेंद्र मोदी जैसे प्रत्याशी को कड़ी टक्कर देते हुए उनके जीत के अंतर को संकुचित कर दिया। इंडिया गठबंधन से कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय ने 2024 के चुनाव में न केवल बेहतर प्रदर्शन किया बल्कि भाजपा के उन तमाम कद्दावर नेताओं के चुनावी कैंपेन पर भी सवालिया निशान खड़ा कर दिया जिसमें भाजपा के बड़े-बड़े नेता नरेंद्र मोदी के प्रचार के लिए बनारस में डेरा डाले हुए थे। अजय राय ने नरेंद मोदी को कड़ी टक्कर देते हुए 4,60,457 मत पाकर नरेंद्र मोदी के 6,12,970 मतों के बीच का अंतर बेहद संकुचित कर दिया। इस चुनाव नतीजे ने न केवल अजय राय का कद बड़ा किया बल्कि काशीवासियों को अजय राय के इस प्रदर्शन पर गर्व है की काशी के बेटे अजय राय ने जिस तरीके से तमाम चुनौतियों को स्वीकार करते हुए चुनावी पिच पर भाजपा नेताओं की सोच को पटखनी दी है, इससे पूरे काशी वासियों के जुबान पर एक ही शब्द गूंज रहा है कि ‘हार कर भी विजय हुए काशी के अजय’।