पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन, काशी में आज होगा अंतिम संस्कार

वाराणसी (रणभेरी): सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक और पद्मविभूषण से सम्मानित पंडित छन्नूलाल मिश्र का गुरुवार तड़के निधन हो गया। वे 89 वर्ष के थे। सुबह 4:15 बजे उन्होंने अपनी बेटी नम्रता मिश्रा के मिर्जापुर स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार आज शाम काशी के मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा।
पंडित छन्नूलाल मिश्र का जन्म 3 अगस्त 1936 को आजमगढ़ के हरिहरपुर में हुआ था। पिता बद्री प्रसाद मिश्र और दादा गुदई महाराज से उन्हें संगीत की प्रारंभिक शिक्षा मिली। महज छह वर्ष की उम्र से संगीत साधना आरंभ कर दी थी। किराना घराने के उस्ताद अब्दुल गनी खान और ठाकुर जयदेव सिंह उनके गुरु रहे।
चार दशक से काशी में साधना
शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ ठुमरी, भजन, दादरा, कजरी और चैती में महारथ हासिल करने वाले पंडित मिश्र ने बिहार के मुजफ्फरपुर से संगीत की पढ़ाई की और करीब चार दशक पूर्व वाराणसी को अपनी कर्मभूमि बनाया।
कोरोना काल में पत्नी-बेटी को खोया
साल 2021 में चार दिन के भीतर पत्नी मनोरमा मिश्रा और बड़ी बेटी संगीता मिश्रा का कोरोना संक्रमण से निधन हो गया था।
सम्मान और उपलब्धियां
पंडित छन्नूलाल मिश्र को 2000 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 2010 में पद्मभूषण और 2021 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया। वे 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक भी रहे।
नेताओं ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X पर लिखा कि पंडित छन्नूलाल मिश्र ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को जन-जन तक पहुंचाया और संस्कृति को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित किया। “यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे सदैव उनका स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त होता रहा।” मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उनका जीवन भारतीय शास्त्रीय संगीत के उत्थान में समर्पित रहा। वे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा रहेंगे। काशी की गलियों में गूंजने वाली उनकी ठुमरी, भजन और लोकगीत सदैव संगीत प्रेमियों की स्मृतियों में जीवित रहेंगे।