काव्य-रचना

काव्य-रचना

     मुबारक हो    


मुबारक   हो   रमज़ान   का   ये  महीना
मुकम्मल    है   ईमान   का   ये   महीना

ख़ुदा   की   इबादत   करो  कसरतों  से 
तिलावत - ए - क़ुरआन  का  ये  महीना 

महीना   यही   रहमतों - मग़्फ़िरतों  का
ख़ुदा   का   है   ऐलान   का  ये  महीना 

यही    उम्मते - मुस्तफ़ा  और   रब   के
है   बंदों   की   पहचान   का  ये महीना 

तेरी    हसरतें    रब    करे   इसमें   पूरी 
है   बंदों   के   अरमान   का  ये  महीना 

करा लो टिकट बुक मिले तुमको जन्नत 
है   जन्नत   के  मीलान  का  ये  महीना

मिलेगा  ये  फिर  साल  भर  बाद  यारों 
समझ  लो  है  मेहमान  का  ये  महीना 

चला  जो  सदाक़त  के  रस्ते  पे  'ऐनुल'
उसी    आज   इंसान   का   ये   महीना

        डाॅ.'ऐनुल' बरौलवी