अब गंगा के उस पार रखी जाएंगी लकड़ियां

अब गंगा के उस पार रखी जाएंगी लकड़ियां

वाराणसी (रणभेरी)। महाश्मशान मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट से लकड़ियां हटाई जाएंगी। नगर निगम ने जो योजना बनाई है, उसके मुताबिक, लकड़ियां गंगा उस पार रखी जाएंगी। इससे घाट साफ सुथरा होगा। शवों का अंतिम संस्कार आधुनिक तरीके से किया जा सकेगा। इसके लिए कई तरह के निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं। जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने पिछले दिनों मणिकर्णिका घाट का निरीक्षण किया था। तब शव ले जाने की व्यवस्था में बदलाव किया गया था। अब नगर निगम प्रशासन ने लकड़ियां हटाने का निर्णय लिया है। मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट के विकास पर 34.85 करोड़ रुपये खर्च होंगे। मणिकर्णिका घाट पर होने वाले विकास कार्य पर 18 करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं। 29350 वर्गफीट क्षेत्र में काम कराया जाएगा। मणिकर्णिका कुंड को सजाया-संवारा जाएगा। शवों के स्नान के लिए कुंड बनेगा। इसी तरह हरिश्चंद्र घाट पर 13250 वर्गफीट में विकास कार्य होगा। इसके निर्माण कार्य पर 16.85 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। सीएसआर फंड से हो रहे निर्माण कार्य में अब तक मजदूर लगाकर काम कराया जा रहा था। जेसीबी गंगा के रास्ते बड़ी नाव से मंगाकर घाट पर उतारी गई। जेसीबी से मलबा हटाया जा रहा है। जल्द इसे नाव के जरिये उस पार भेजा जाएगा। स्थानीय लोगों के अनुसार बड़ी नाव से दो जेसीबी मशीनें मंगाई गई हैं।

...तो बढ़ जाएगा शव जलाने का खर्च

मणिकर्णिका के एक कारोबारी ने कहा कि कई पीढिय़ों से लकड़ी का कारोबार कर रहे हैं। लकड़ी हटाकर गंगा पार ले जाएंगे तो दिक्कत होगी। शवदाह करने वालों को भी लकड़ियां उस पार से लानीं पड़ेंगी। इस पर उनका अधिक खर्च होगा। अभी यहां पर 700 रुपये मन लकड़ी बिक रही है। पांच, सात, नौ और 11 मन लकड़ी खरीदकर लोग अपने परिवार के शव को जलाते हैं। घी, चंदन की लकड़ी, राल, मारकीन व अन्य पूजा सामग्री खरीदने में 1500 से 3000 रुपये खर्च होते हैं। अभी सामान्य शव को जलाने में आठ से नौ हजार रुपये का खर्च आ रहा है। जब लकड़ी उस पार से मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र लाई जाएगी तो इसका भी खर्च 500 से 1000 रुपये का होगा। ऐसी स्थिति मे एक शव जलाने में नौ से 10 हजार रुपये का खर्च आएगा।

क्या कहते हैं अधिकारी

कुछ लकड़ी वालों को हटवाया गया था। जैसे जैसे काम होगा, वैसे वैसे लकडिय़ों को हटवाया जाएगा। अभी पुराने निर्माण तोड़े जा रहे हैं। मशीनें आ गई हैं। मलबा उठाने का काम तेज होगा।
- संजय कुमार तिवारी, जोनल अधिकारी, नगर निगम