सूर्य को साक्षी मानकर पितरों की तृप्ति की कामना
वाराणसी (रणभेरी सं).)। पितरों की तृप्ति के लिए पितृपक्ष की शुरूआत सूर्योदय के साथ हो गया। पितृपक्ष भाद्रपद शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि पर श्रद्धालुओं ने पिशाचमोचन कुंड, घाटों और सरोवरों पर श्राद्ध और तर्पण के अनुष्ठान किए। सूर्य को साक्षी मानकर पितरों का तिल और जल देकर तर्पण किया। पिंडदान व तर्पण करने गंगा घाटों पर कम लोग पहुंचे लेकिन कई लोगों ने घरों से पहले दिन का पूजन किया। पुरोहितों के अनुसार पिंड रूप में पितरों को दिया गया भोजन श्राद्ध का अहम हिस्सा होता है। पिंडदान व तर्पण से उन्हें तृप्ति मिलती है। पिशाच मोचन कुंड पर पितृपक्ष के अवसर पर लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है। इस दौरान दूसरे शहरों और राज्यों से भी लोग अपने परिवार के साथ पूर्वजों-पितरों के मोक्ष प्राप्ति की कामना लेकर आते हैं। विधि विधान से बैठकर यहां के पुजारी-महंत और पंडा द्वारा श्राद्ध पूजन कराया जाता है। हर वर्ष यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि देखी जा रही है।
ज्तिथि के अनुसार करें पितरों का तर्पण
ज्योतिषाचार्य के अनुसर प्रतिपदा तिथि के साथ ही आज तर्पण और श्राद्ध की शुरूआत हो चुकी है। आज से तिथि के अनुसार अपने-अपने पितरों का तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करना चाहिए। इससे पितृ प्रसन्न होते हैं। जिस तरह देवी देवताओं को पूजा के समय भोग लगाया जाता है, इस तरह पितृ को भी पूजा आराधना के बाद उनका पसंदीदा भोग अवश्य लगाएं। क्योंकि बिना भोग के पितृ तर्पण और श्राद्ध अधूरा होगा इससे पितृ नाराज हो सकते हैं। इसलिए पितृपक्ष में उनका पसंदीदा भोग अवश्य लगाना चाहिए।
गंगा घाट पर नहीं हो पा रहा तर्पण
वाराणसी के सभी घाट बाढ़ के चलते जलमग्न है इस वजह से पिंडदान करने करने वाले श्रद्धालुओं को थोड़ी दिक्कत हो रही हैं। वाराणसी के अस्सी घाट पर पंडा-पुरोहितों सड़क किनारे पिंडदान करा रहे हैं?। हालांकि पहले दिन खास भीड़ नहीं दिख रही है। वहीं वाराणसी के अन्य घाटों पर कहीं सीढ़ियों तो कहीं गलियों में पिंडदान की पूजा हो रही हैं।
आश्विन अमावस्या पर होगा पूर्णिमा का श्राद्ध
ज्योतिषाचार्य का ही कहना है कि जिन लोगों के पितरों का निधन पूर्णिमा तिथि को हुआ है, वे लोग अपने पितरों के लिए श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण आदि आश्विन अमावस्या को करेंगे। इसे सर्व पितृ अमावस्या के नाम से जाना गया है। इस दिन ज्ञात और अज्ञात सभी तरह के पितरों का श्राद्ध होता है।
इसलिए जरुरी है पिंडदान
आइए, अपने व्यस्त समय से कुछ वक्त निकालकर अपने पुरखों को नमन करें और उनके आशीर्वाद से अपनी आत्म उन्नति की राह को प्रशस्त करें। पुरखों को नमन के का पखवारा बुधवार से शुरू हो रहा है। ज्योतिषाचार्य पंडित धीरेन्द्र पांडेय व एसएस नागपाल के मुताबिक पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान समेत अन्य अनुष्ठान किए जाते हैं।
पौधरोपण व पूजन का विशेष महत्व
ज्योतिषाचार्य पंडित धीरेन्द्र पांडेय के मुताबिक, पिंडदान, ब्राह्मण भोजन के अलावा पौधे लगाने व उनके पूजन से भी पूर्वज संतुष्ट होते हैं। पौधे पर्यावरण सुरक्षा तो करते ही हैं, इनके पूजन से हमारे पूर्वज भी संतुष्ट करते हैं। पितृ पक्ष में बेलपत्र लगाने से विवाह बाधाएं दूर होती हैं।