महेंद्र यादव को निगम प्रशासन का खुला संरक्षण

महेंद्र यादव को निगम प्रशासन का खुला संरक्षण

रात के अँधेरे में भी होती है दस्तूरी की वसूली 
फर्जी कर्मचारियों की लगाई जाती है कागज़ पर झूठी हाज़री 

वाराणसी(रणभेरी): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के नगर निगम में भ्रष्टाचार की कहानी कोइ नयी नहीं है। नगर निगम के चप्पे-चप्पे पर भ्रष्टाचार का जो नंगा नाच होता है वह भी अब किसी से छुपा नहीं है। विभागीय भ्रष्टाचार के इस खेल में केवल अधिकारी ही शामिल होते है ऐसा भी नहीं है। भ्रष्टाचार के मामलों में नगर निगम के निर्वाचित पार्षदों सहित महापौर की चुप्पी भी अब इस बात को सत्यापित करने के लिए काफी है कि भ्रष्टाचार के खेल में सबका हाथ रंगा हुआ है। हम आपका ध्यान वाराणसी नगर निगम की एक कलंकित प्रथा की ओर आकृष्ट कराना चाहते है जिसे दस्तूरी प्रथा के नाम से जाना जाता है। 

अभी हाल में ही रणभेरी ने दस्तूरी के नाम पर अवैध रूप से धन की उगाही करने वाले सफाई निरीक्षक महेंद्र यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार की खबरों को प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था। हमने महेंद्र यादव द्वारा अवैध रूप से वसूली की वार्ड वार पूरी सूची भी प्रकाशित किया था यहाँ हम बात कर रहे हैं दस्तूरी प्रथा की जो नगर निगम के कोतवाली जोन पर तैनात सफाई निरीक्षक महेंद्र यादव के भ्रष्टाचार को उजागर करती है। सूत्रों के अनुसार हमारे अखबार को यह पुख्ता जानकारी मिली थी कि महेंद्र यादव प्रतिमाह लगभग 7 लाख रूपये की अवैध वसूली दिन में सफाई कार्य करने वाले कर्मचारियों के वेतन से करवाता है अवैध वसूली की यह पूरी सूची हमने प्रकाशित किया था यहाँ हम बात कर रहे हैं दस्तूरी प्रथा की जो नगर निगम के कोतवाली जोन पर तैनात सफाई निरीक्षक महेंद्र यादव के भ्रष्टाचार को उजागर करती है। अवैध रूप से धन की उगाही करने वाले इस अधिकारी को नगर स्वास्थ्य अधिकारी का खुला संरक्षण प्राप्त होने के कारण इसे किसी का कोई डर नहीं हैं।

दस्तूरी की इस खबर को प्रकाशित करने के बाद से अब तक भ्रष्ट अधिकारी महेंद्र यादव के उपर किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं हुई बल्कि अब एक और मामला सामने निकल कर आया है कि वाराणसी में जिन प्रमुख वार्डों में रात्रिकालीन सफाई की व्यवस्था का संचालन होता है उन वार्डों को भी महेंद्र यादव ने नहीं छोड़ा है। सूत्र बताते है कि रात्रिकालीन सफाई व्यवस्था में भी सफाईकर्मियों की सख्यां बढ़ाकर ड्यूटी दिखायी जाती है जिसके बाद फर्जी हाजिरी के एवज में दस्तूरी वसूली जाती है। 

सफाई कर्मियों के वेतन से अवैध रूप से धन उंगाही वाले, बरसों पुरानी इस कुप्रथा को नगर निगम नगर आयुक्त एवं महापौर का मौन संरक्षण भी प्राप्त है। जिसके वजह से आज भी वाराणसी नगर निगम के अधिकारी सफाई कर्मियों के वेतन से अवैध रूप से दस्तुरी के नाम पर धन उगाही करते है। लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि लगातार भ्रष्ट अधिकारी महेंद्र यादव के खिलाफ शिकायतें आने के बाद भी नगर निगम प्रशासन मौन है। 

रणभेरी ने लगातार सफाई व्यवस्था में भ्रष्टाचार के इस मुद्दे को उजागर किया है। इसी कड़ी में आज हमारे संवादाता ने नगर निगम के स्वास्थ अधिकारी से फोन पर भी संपर्क करने की कोशिश की। लेकिन नगर के जिम्मेदार अधिकारी ने फोन ना उठाकर अपने गैरजिम्मेदार होने का प्रमाण भी दे डाला। दस्तूरी की यह प्रथा बरसो पुरानी है पर इसके शिकार समाज के अंतिम श्रेणी के सफाईकर्मी हैं। वाराणसी नगर निगम जहां लगभग 4000 सफाई कर्मी काम करते हैं। हर माह उनकी वेतन से यह अवैध वसूली की जाती है। जिसे दस्तूरी प्रथा के नाम से जाना जाता है। रणभेरी अखबार ने वाराणसी नगर निगम सीमा क्षेत्र अंतर्गत कोतवाली जोन के विभिन्न वार्डों से की जाने वाली अवैध वसूली का विवरण अभी हाल में ही प्रकाशित किया था। हमारे सूत्रों से हमें अब यह भी प्रमाण मिला है कि नगर निगम का सेनेटरी इंस्पेक्टर महेंद्र यादव न केवल दिन में सफाई का कार्य करने वाले सफाई कर्मियों से दस्तूरी की वसूली करता है बल्कि नगर निगम के जिन क्षेत्रों में रात्रि पर्यंत सफाई का कार्य होता है उन वार्डों के कर्मचारियों से भी सफाई सुपरवाईजरों के जरिये प्रतिमाह दस्तूरी की वसूली होती है। 

स्वास्थ विभाग में दस्तूरी की यह परंपरा नौकरशाह और तथाकथित जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से नगर निगम में आज भी चली आ रही है। इसमें न केवल सुपरवाइजर, सेनेटरी इंस्पेक्टर और स्वास्थ अधिकारी शामिल होते है बल्कि, दस्तूरी की रकम में उपर से नीचे तक सबकी हिस्सेदारी होती है। इससे पहले भी जब हमें दस्तूरी के मुद्दे को लेकर पार्षदों से बात की थी तो यह बात खुलकर सामने आई थी की अवैध रूप से दस्तूरी की वसूली की जाती है। कुछ पार्षदों का यह दावा था की दस्तूरी प्रथा नगर निगम की बरसो पुरानी रीत है और इसे कोई बंद नहीं कर सकता है। दस्तूरी के रूप में अवैध वसूली का यह नंगा नाच बड़े ही निडरता के साथ नगर निगम में किया जा रहा है।

बहरहाल यह तो साफ हो चुका है की नगर में मुख्यमंत्री के आदेश का नगर निगम के अधिकारी ने मज़ाक बना दिया है। यह बात बिलकुल स्पष्ट है की नगर निगम के अधिकारियों को न तो मुख्यमंत्री का डर है और न ही कानून का।


रात्रिकालीन सफाई कार्य वाले वार्डों की सूची जहां से होती है अवैध वसूली 

1.    कामेश्वर महादेव – 15,000
2.    राजमंदिर -15,000
3.    कालभैरव – 10,000
4.    कतुआपुरा – 15,000 
5.    दारानगर – 10,000
6.    गोलादीनानाथ – 10,000