पति के दीर्घायुष्य के लिए महिलाओं ने रखा उपवास
वाराणसी (रणभेरी)। जेठ मास के अमावस्या तिथि पर गुरुवार को महिलाओं ने अपने पति के दीर्घायु होने की कामना को लेकर बट वृक्ष की पूजा पूरे विधि-विधान से की और वृक्ष के फेरे लगाए। प्रात: काल स्नान ध्यान के पश्चात महिलाओं ने बट वृक्ष की विधि विधान से पूजन अर्चन किया। धर्म ग्रंथो में ऐसा वर्णन आता है कि जेठ मास की अमावस्या तिथि के ही दिन पतिव्रता सावित्री ने अपने पति सत्यवान को यमराज के हाथों से वापस लाई थी। यमराज सावित्री की प्रतिब्रत धर्म से खुश होकर उसके पति को दीघार्यु होने का आशीर्वाद दिया और साथ ही यह कहा कि जो भी आज के दिन विधि विधान से बट वृक्ष का पूजा करेगा उसके पति की उम्र लंबी होगी। आज ये बट सावित्री के पूजा के रूप में जाने जाना लगा है। आज के दिन वट वृक्ष में सूत धागा लपेटकर परिक्रमा भी की जाती है, साथ ह वृक्ष में हल्दी का लेपन भी लगाया जाता है। वटवृक्ष का पूजा करने के लिए अस्सी घाट, तुलसी घाट, दशाश्वमेध घाट सहित गंगा घाटों और मंदिरों पर भारी भीड़ लगी हुई थी।
मंदिरों में उमड़ी भीड़
वाराणसी के विभिन्न मंदिरों में सुबह से ही महिलाओं की भीड़ उमड़ी हुई थी। इस दौरान महिलाओं ने मंगल गीत भी गए और सुहाग सामग्रियों को पुरोहित को दान दिया। पुराणों के अनुसार यह व्रत सावित्री द्वारा अपने पति को पुन: जीवित करा लेने की स्मृति में रखा जाता है। वट वृक्ष की पूजा अखंड सौभाग्य और अक्षय उन्नति के लिए की जाती है। मान्यता है कि सावित्री ने वट वृक्ष की पूजा कर अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस प्राप्त किया था।