मुस्कुराइये वाराणसी "जाम" के साथ ... चाहे हो सुबह या फिर शाम के 7....!

मुस्कुराइये वाराणसी "जाम" के साथ ... चाहे हो सुबह या फिर शाम के 7....!
मुस्कुराइये वाराणसी "जाम" के साथ ... चाहे हो सुबह या फिर शाम के 7....!

* हर रोज जाम से कराहती है लंका की सड़कें, राहगीरों सहित एम्बुलेंस भी झेलती जाम का दंश...
*सोमवार को प्रतियोगी परीक्षा के मध्यनजर नहीं थी प्रशासन की तैयारी, पहले पहुंचने की होड़ में लोग भिड़ते रहे बारी बारी...

वाराणसी : प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बीते दशक में तमाम बदलाव देखने को मिला जिसका जिक्र भी खुद प्रधानमंत्री सहित प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ करते हैं। बदलाव हुआ भी लेकिन बनारस की एक ऐसी समस्या है जिसमें कोई बदलाव नहीं हुआ, वो है जाम की समस्या। सुबह से शाम तक शहर का कोई न कोई सड़क जाम की चपेट में रहता है। बीते दस सालों में कई अफसर आए और गए पर जाम से निजात की दिशा में उठाया गया कोई भी कदम सफल नहीं हुआ। हर रोज लोग भीषण गर्मी में जाम के झाम में फंसकर दुर्व्यवस्थाओं को कोसते है। दस मिनट का सफर घण्टो में तय होता है। शहर के व्यस्तम इलाकों में एक है लंका। यहां पर बीएचयू, ट्रामा सेंटर, पैथोलॉजी सहित तमाम रोजमर्रा के जरूरत की चीजों की दुकानें है। यहां हर रोज राहगीरों को जाम से दो चार होना पड़ता है। प्रतियोगी परीक्षा होने के कारण सोमवार के सुबह ही लंका क्षेत्र में भीषण जाम लग गई। लोग पहले जाने की होड़ में आपस में भिड़ने लगे। सुबह लगे भीषण जाम में न कोई ट्रैफिक पुलिस था न ही स्थानीय पुलिस। ऐसा लग रहा था जैसे प्रशासन को इस बारे में कोई अनुमान ही न हो कि प्रतियोगी परीक्षा के कारण जाम की स्थिति बन सकती ! जाम में परीक्षार्थी, राहगीर और मरीज परेशान होते दिखाई दिए वहीं जाम के कारण गाड़ियां सड़क पर रेंगती हुई नजर आई। लोग इस भीषण गर्मी में सुबह के समय ही पसीने बहाते नजर आए। सड़क पर गाड़ियों का जाम इतना भीषण रहा कि पांव तक रखने की जगह नहीं बची। लोग बस जाम में फंसने पर प्रशासन को कोसते नजर आए। सभी के मुंह से बस एक ही शब्द निकला - हाय रे बनारस का जाम।

दिन में भी लगता है जाम:-

भीषण गर्मी से अभी से ही आम जनजीवन बेहाल है। धूप की कड़ी तपिश लोगों को परेशान कर रही है। सूर्य की किरणों के निकलते ही शरीर का झुलसना शुरू हो जा रहा है। ऐसे में जाम में फंसने वाले लोग बस परेशान ही नजर आते हैं। लंका-सामनेघाट मार्ग, रविदास गेट से मालवीय तिराहा तक, मालवीय तिराहा से नरिया तक हर दिन लगभग 50 हजार बाहरी वाहन सिर्फ बीएचयू समेत निजी अस्पतालों, पैथालॉजी, डायग्नोस्टिक सेेंटर समेत मेडिकल स्टोर पर दवाओं के लिए आते-जाते हैं। सामनेघाट पर जाम में फंसे लोगों को लंका पहुंचने में दो मिनट के बजाय 40 से 45 मिनट का समय लग जाता है। वहीं लंका बैंक ऑफ बड़ौदा से ट्रामा सेंटर या बीएचयू जाने में करीब आधे घंटे का वक्त जाया करना पड़ता है। यही हाल 
 पांडेयपुर-पहड़िया मार्ग, मंडुवाडीह-लहरतारा मार्ग और बेनिया-नई सड़क-गिरजाघर मार्ग सहित शहर के साढ़े तीन किलोमीटर दायरे में ही रोजाना  लाखों लोगों के चार घंटे बेवजह जाम में बर्बाद हो रहे हैं। ऐसे में मंजिल तक पहुंचने के लिए लोगों को रोज आधा से एक घंटा पहले घर से निकलना पड़ता है।


सीपी का आदेश भी बेअसर:-

बीते 20 अप्रैल को पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने अधीनस्थों की मीटिंग में दो टूक कहा था कि, सार्वजनिक मार्गों पर अतिक्रमण के विरुद्ध संबंधित विभागों से समन्वय करते हुए अभियान चलाकर अतिक्रमण हटाएं। साथ ही यह भी कहा कि स्थानीय पुलिस जी जाम से छुटकारा दिलाने में अपना योगदान देंगे। लेकिन सीपी के निर्देश का असर नहीं दिख रहा। सीपी के निर्देश के बाद उम्मीद जगी थी कि अतिक्रमण अभियान जोर-शोर से चलेगा। अतिक्रमण हटेगा तो राहें खुलेंगी और ट्रैफिक भी सुगम होगा। हालांकि, अतिक्रमण पर तो अभी तक कोई बड़ी कार्रवाई सामने नहीं आई न ही स्थानीय पुलिस की सक्रियता देखने को मिल रही।

इन जगहों पर अक्सर लगता है जाम:-

मालवीय चौराहा बीएचयू गेट, नगवा चौराहा, सामने घाट पुल, टेंगरा मोड़, रविदास गेट, रामनगर चौराहा, भिखारीपुर तिराहा, सुंदरपुर चौराहा, ककरमत्ता पुल, गोदौलिया चौराहा, रामापुरा चौराहा, बेनियाबाग तिराहा, गुरुबाग तिराहा, रथयात्रा चौराहा, मैदागिन चौराहा, भेलूपुर, कचहरी चौराहा आदि।
 

लंका पर ठेले, ऑटो और दोपहिया वाहनों का कब्जा :-

शहर की लाइफ लाइन कहे जाने वाले प्रमुख चौराहे पर अतिक्रमण व अव्यवस्था से लोग बेहाल हैं। इस चौराहे के चारों ओर बीएचयू समेत प्रमुख अस्पताल हैं, जहां आए दिन मरीज इलाज के लिए आते हैं। लेकिन, चौराहे के तीन ओर की सड़कों पर करीब 150 मीटर तक दिनभर ठेले, दो पहिया, आटो, ई रिक्शा और एंबुलेंस की कतार लगी रहती है
इसके चलते यहां चारों ओर 60 फीट की सड़क सिमट कर 15 फीट की हो जाती है। इससे यहां आए दिन जाम लग जाता है। अव्यवस्था के चलते अक्सर लोगों से तू-तू मैं-मैं होती है। विभाग अतिक्रमण हटाने के नाम पर एक दो दिन कार्रवाई कर खानापूर्ति कर लेते हैं। अधिकारियों के जाने के बाद फिर यहां अव्यवस्था और अतिक्रमण की लंका सज जाती है।