वाराणसी में राष्ट्रीय संगोष्ठी: डोलमा ग्यारी ने उठाए भारत–तिब्बत संबंध के मुद्दे

वाराणसी में राष्ट्रीय संगोष्ठी: डोलमा ग्यारी ने उठाए भारत–तिब्बत संबंध के मुद्दे

वाराणसी (रणभेरी):  लहरतारा स्थित संत कबीर प्राकट्य स्थल में शिवधाम कैलाश मानसरोवर तिब्बत फ्रीडम संगठन के तत्वावधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय “कैलाश मानसरोवर और भारत–तिब्बत संबंध : वैश्विक परिदृश्य” रहा। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि तिब्बत की रक्षा मंत्री डोलमा ग्यारी थीं।

संगोष्ठी का शुभारंभ मुख्य अतिथि डोलमा ग्यारी और अन्य विशिष्ट अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। इसके बाद डोलमा ग्यारी ने संत कबीर की जन्मस्थली पर शीश नवाकर दर्शन-पूजन किया।

कार्यक्रम में देशभर से आए विद्वानों, वक्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भारत–तिब्बत संबंध, कैलाश मानसरोवर के धार्मिक महत्व और वैश्विक परिदृश्य पर अपने विचार साझा किए।

तिब्बत की रक्षा मंत्री डोलमा ग्यारी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि चीन भारत की जमीन पर लगातार अतिक्रमण कर रहा है और अरुणाचल प्रदेश को अपना बताता है, जो गलत है। उन्होंने वर्ष 1962 का उल्लेख करते हुए कहा कि उस समय भारत की संसद में एक प्रस्ताव पारित हुआ था, जिसमें कहा गया कि चीन से भारत की हर इंच जमीन वापस ली जाएगी।

तिब्बत की आजादी के आंदोलन पर बोलते हुए डोलमा ग्यारी ने कहा कि हर देश को अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ती है। उन्होंने बताया कि चीन के खिलाफ तिब्बत में चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन में अब तक 100 से अधिक लोग आत्मदाह कर चुके हैं। उनका कहना था कि तिब्बती लोग अहिंसक और शांतिपूर्ण तरीके से अपनी आजादी की लड़ाई लड़ रहे हैं।

कैलाश मानसरोवर के धार्मिक महत्व पर उन्होंने कहा कि भगवान शिव को तिब्बती लोग भी मानते हैं। उन्होंने बताया कि कैलाश क्षेत्र में दो प्रमुख झीलें हैं-मीठे जल की कैलाश मानसरोवर और खारे पानी की रक्षा सरोवर, दोनों का स्रोत एक ही स्थान से है। उन्होंने वाराणसी से कैलाश मानसरोवर दर्शन को लेकर चलाए जा रहे अभियान की सराहना की और कहा कि इसे व्यापक स्तर पर ले जाने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्रम, पुष्पगुच्छ और स्मृति चिन्ह देकर किया गया। संगोष्ठी में बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी, साधु-संत, सामाजिक संगठन के प्रतिनिधि और श्रद्धालु उपस्थित रहे।