वाराणसी : चौथे दिन भी तेंदुए का नहीं चल सका पता, अभी भी गांव में दहशत का माहौल, ड्रोन और दूरबीन से तलाश जारी

वाराणसी : चौथे दिन भी तेंदुए का नहीं चल सका पता, अभी भी गांव में दहशत का माहौल, ड्रोन और दूरबीन से तलाश जारी

वाराणसी (रणभेरी): चिरईगांव क्षेत्र में तेंदुए की मौजूदगी की सूचना के बाद वन विभाग द्वारा चलाया जा रहा सर्च ऑपरेशन चौथे दिन भी जारी रहा। हालांकि तेंदुए का कहीं अता-पता नहीं चला। सोमवार को विभाग की टीम ने सर्च अभियान का दायरा और विस्तारित करते हुए अम्बा, छितौना और मोकलपुर समेत कई गांवों में कांबिंग की, लेकिन अब तक तेंदुए की कोई सटीक सूचना या पदचिह्न नहीं मिल सके। दो गांवों में तीन लोगो पर हमला कर उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया है। 

प्रभागीय वनाधिकारी स्वाति ने बताया कि लखनऊ से ट्रंकोलाइजर डा. विजयेंद्र यादव के नेतृत्व में आ गई है। गाजीपुर व चंदौली से भी टीमें बुलाई गई हैं। तेंदुआ का पता न चलने से आसपास के दर्जन भर गांवों के ग्रामीणों में दहशत है। वन विभाग के 25-30 कर्मचारियों की टीम पिंजडा, जाल इत्यादि सुरक्षा उपकरणों के साथ मौके पर मौजूद हैं। तेेंदुआ पकड़ने के लिए नए पिंजड़े लगाए गए हैं।

 23 मई को सुबह लगभग 8 बजे वाराणसी वन प्रभाग के काशी रेंज अन्तर्गत गौराकला ग्रामसभा के लखरांव गांव में ग्रामीणों द्वारा एक तेन्दुआ देखे जाने की सूचना से क्षेत्र में हड़कंप मच गया। सूचना मिलते ही अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और तेन्दुए की मौजूदगी की पुष्टि की। करीब आठ घंटे की मशक्कत के बाद शाम को तेन्दुआ बाग से निकलकर 200 मीटर दूर एक अन्य बाग में पहुंचा, जहां रेस्क्यू टीम ने पुनः उसे घेर लिया। हालांकि, वह पिंजड़े में नहीं आया। गंगा नदी निकट होने तथा आसपास के वन क्षेत्रों से जुड़े होने के कारण, यह अनुमान लगाया गया कि तेन्दुआ वापस अपने प्राकृतिक आवास की ओर लौट गया। टीम द्वारा 500 मीटर तक तेन्दुए के पगचिन्हों के आधार पर ट्रैकिंग की गई।

24 मई से क्षेत्र में सात सदस्यों की तीन टीमों द्वारा लगातार कंबिंग की जा रही है। बीते दो दिनों में न तो तेन्दुए को किसी ने प्रत्यक्ष देखा और न ही कोई अन्य साक्ष्य मिले हैं। ग्रामीणों से प्राप्त किसी भी सूचना पर वन विभाग की टीम त्वरित जांच कर रही है। गंगा किनारे बसे 12 गांवों को चिन्हित कर वहां के ग्राम प्रधानों से समन्वय किया गया, जिनके अनुसार अब तक किसी भी प्रकार के तेन्दुए के साक्ष्य नहीं मिले हैं। निगरानी के लिए ट्रैप कैमरे, ड्रोन और दूरबीन से लगातार क्षेत्र की निगरानी की जा रही है।