श्रीकाशी विश्वनाथ धाम परिसर स्थित बैकुंठ मंदिर का शिखर गिरा, बंदरों की भाग-दौड़ से 2 स्वर्ण कलश टूटे, आज होगी मरम्मत

वाराणसी (रणभेरी): श्री काशी विश्वनाथ धाम में मंगलवार को बंदरों ने गर्भगृह के बगल में बैकुंठ महादेव मंदिर के स्वर्ण शिखर का कलशयुक्त ऊपरी हिस्सा जमीन पर गिरा दिए। 190 साल पहले 1835 में महाराजा रणजीत सिंह ने एक टन का स्वर्ण कलश मंदिर में लगवाया था। उसी दौरान ये शीर्ष कलश स्थापित कराए गए थे। मंदिर के दक्षिणी ओर गिरे स्वर्ण कलश से श्रद्धालु चौंक गए। मंदिर प्रशासन ने इसे सहेज कर सुरक्षित रखवाया। सायंकाल स्थानीय स्वर्णकारों को बुला कर शिखर ठीक कराने की तैयारी की जा रही थी।
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर परिसर स्थित बाबा के गर्भगृह व दंडपाणि महादेव के बीच सभा मंडप में बैकुंठ महादेव विराजमान है। बताया जा रहा है कि भोर में बंदरों की धमाचौकड़ी न सह पाने से बैकुंठ महादेव मंदिर के गुंबदनुमा शिखर में लगे कलश का ऊपरी हिस्सा खडख़ड़ाते हुए जमीन पर आ गिरा।
डिप्टी कलेक्टर शम्भूशरण ने बताया कि गुंबदनुमा शिखर का ऊपरी हिस्सा छह हिस्सों में है बंदरों ने इसके सबसे ऊपरी दो हिस्से को अलग कर दिया है। इस तरह के कार्य में सिद्धहस्त स्वर्णकारों को बुला कर कलश पुन : लगवाए जा रहे हैं। मंगलवार शाम इसके सिद्धहस्त कारीगरों ने मंदिर पहुंचकर निरीक्षण - परीक्षण किया। बुधवार से शिखर के ऊपर कलश को स्थापित किए जाने का काम आरंभ होगा। बैकुंठ महादेव मंदिर के गुंबदनुमा शिखर के कलश 2013 में भी गिर पड़े थे।