कपड़े के तम्बू में दुर्घटना को दावत दे रहा जादूगर !
- खतरों के बीच अवैध तरीके से चल रहा जादू का खेल, घनी आबादी के बीच प्रशासन ने कैसे दे दी अनुमति ?
- अग्निशमन विभाग ने आखिर कितने में बेचा ईमान ! अंधा,गूंगा और बहरा बना नगर निगम प्रशासन !
- नहीं है महिलाओं के सुरक्षा की कोई व्यवस्था, घटी अगर कोई घटना तो सबसे अधिक होंगे महिलायें और बच्चे शिकार
वाराणसी (रणभेरी/विशेष संवाददाता)। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में तैनात अधिकारी इस बात से बेफिक्र हैं कि जब सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जाती है और खतरों को नजरअंदाज किया जाता है, तो स्थिति कितनी भयावह हो सकती है? जादूगरी का करतब देखने और अपने परिवार और हितैषी को अपने पद के रुआब का ताव दिखाने का लोभ अब भी साहब लोग नहीं दूर कर पाए हैं। इस लोभ के आगे अब भी नौकरशाही लाचार है। इसकी ताजा-तरीन बानगी है शहर में तमाम दुर्व्यवस्थाओं से पटे पड़े होने के बावजूद नियमों को ठेंगे पर रखकर शहर के सिगरा क्षेत्र में बीते 15 नवंबर से चल रहा जादूगर सिकन्दर का जादुई शो।
नगर के पुराने नटराज सिनेमा परिसर में नियम-कानूनों को ताक पर रखकर चलाया जा रहा जादू का यह तमाशा, एक दो नहीं बल्कि दर्जनों आशंकित खतरों की अनदेखी की कीमत पर बे-रोक टोक जारी है। बात खरी-खरी करें तो जाहिर है मुफ्तखोरी की लालच अनहोनी की कुशंकाओं पर भी भारी है। बदइंतजामात का हाल यह है कि साधारण से शामियाने में बगैर अग्नि निरोधक नियमों का पालन किये जादू का यह तमाशा चल रहा है। इस तमाशे को इतनी बदइन्तजामी के बाद भी जिम्मेदार विभागों द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र मिल कैसे गया यह भी अपने आप में एक जादू है। न तो बच्चों महिलाओं की सुरक्षा की कोइ चिंता..... आश्चर्य की बात यह भी कि फ्री पास की लोभ में फंसे जिम्मेदार विभागों ने जादूगर के आयोजकों से यह तक पूछने की जरूरत नहीं समझी कि खुदा न खास्ता कोइ हादसा हुआ तो उसकी जिम्मेदारी आखिर किसके सर जायेगी !
कपड़े से बने पंडाल पर अग्निशमन विभाग ने कैसे जारी किया अनापत्ति प्रमाण पत्र?
जादूगर सिकन्दर के जादुई शो के आयोजन के लिए एक पंडाल लगाया गया है, जो पूरी तरह से कपड़े से बना है। पंडाल की संरचना और निर्माण सामग्री यह दशार्ते हैं कि यह शो खतरों से भरा हुआ है।यह सोचकर ही भयावह दृश्य सामने आता है कि अगर खुदा न खास्ता यह पंडाल आग के चपेट में आया तो फिर क्या होगा? जादू का शो देखने के लिए करीब 2000 कुर्सियां लगाई गई हैं।
ऐसे में सोचिए कि कोई हादसा हुआ तो कितने लोग इस हादसे का शिकार हो जाएंगे। शो देखने वालों में महिलाओं और बच्चों की संख्या सबसे अधिक है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर अग्निशामक विभाग क्या सोचकर कपड़े से बने पंडाल में जादू के शो के आयोजन की अनुमति दे दी या फिर पैसों और फ्री पास के लोभ में अग्निशामक विभाग के जिम्मेदार अधिकारी संवेदनहीन हो गए ! अग्निशमन विभाग की अनापत्ति के बावजूद इस जादुई शो में आग लगने का जोखिम कायम है।
मौके पर एक भी नहीं दमकल की गाड़ियां, लग जाएगी आग तो कौन होगा जिम्मेदार?
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि शो के स्थल पर एक भी दमकल की गाड़ी नहीं मौजूद रहती है। आगजनी जैसी दुर्घटना के समय क्या होगा, यह सोचकर ही डर लगता है। जब कोई सार्वजनिक कार्यक्रम इस प्रकार के खतरों से भरा हो, तो वहां दमकल की गाड़ी और अन्य आपातकालीन सेवाओं की उपस्थिति अनिवार्य होती है। लेकिन इस शो में ऐसा कुछ भी नहीं है। यदि शो के दौरान कोई आग की घटना घटित हो जाती है, तो दर्शकों और आयोजकों के पास वहां से निकलने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या जिला प्रशासन और अग्निशमन विभाग ने शो के आयोजन से पहले यह सुनिश्चित किया था कि सुरक्षा उपायों के तहत दमकल की गाड़ियां, एंबुलेंस और अन्य आपातकालीन सेवाएं वहां उपलब्ध होंगी? अगर नहीं तो यह प्रशासन की लापरवाही और सुरक्षा के प्रति अनदेखी को दशार्ता है, जो भविष्य में इसी प्रकार के आयोजनों में गंभीर घटनाओं का कारण बन सकता है।
आखिर कैसे शहर के भीड़-भाड़ वाले इलाके में नगर निगम ने तंबू में जादू का खेल दिखाने की अनुमति दी?
नगर निगम द्वारा इस शो को उस स्थान पर आयोजित करने की अनुमति देना एक और चौंकाने वाली घटना है। शहर के व्यस्त इलाकों में, जहां बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं, वहां इस प्रकार का आयोजन बेहद असुरक्षित है। तंबू में आयोजित किया गया यह शो न केवल अनधिकृत है, बल्कि यह संभावित दुर्घटनाओं और समस्याओं को निमंत्रण दे रहा है। क्या नगर निगम ने यह सुनिश्चित किया था कि आयोजन स्थल पर सभी आवश्यक सुरक्षा उपाय और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध होंगी !
दुर्व्यवस्थाओं से घिरे जादूगर के शो को जिला प्रशासन ने कैसे दी अनुमति!
नगर निगम और प्रशासन ने शहर के व्यस्त और भीड़-भाड़ वाले इलाके में इस प्रकार के अव्यवस्थित और असुरक्षित आयोजन की अनुमति कैसे दे दी, यह एक सवाल खड़ा करता है। जिम्मेदारों ने शो के आयोजन से जुड़े खतरों और संभावित दुर्घटनाओं को नजरअंदाज करते हुए चंद पैसों और फ्री पास के लोभ में लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ करने की खुलेआम छूट दे दी है। न महिलाओं के सुरक्षा की चिंता न बच्चों के जिंदगी की फिक्र, जादूगर के जादू में फंसकर जिम्मेदार अधिकारी भी अंधा गूंगा और बहरा बना हुआ है। व्यवस्थाओं को देखकर लोगों के जहन में यह सवाल उठता है अगर कोई अनहोनी हुई तो जिम्मेदार कौन !
लोगों की जिंदगी से खेल रहा जादूगर सिकंदर
जादूगर सिकंदर का शो मात्र मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है। सिकंदर के जादू के खेल में आग, धुंआ, तेज धारदार वस्तुएं और बिजली के खतरनाक प्रयोग शामिल हैं। यह सभी चीजें, अगर सही तरीके से नियंत्रित नहीं की जाएं, तो किसी भी समय दुर्घटनाओं का कारण बन सकती हैं। सिकंदर, जो खुद इस खेल का हिस्सा है, को यह समझना चाहिए कि जब दर्शक अपनी जान जोखिम में डालकर शो देखने आते हैं, तो उनकी सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण होनी चाहिए। लेकिन यहां सिकंदर ने सिर्फ अपनी कला को दिखाने पर जोर दिया, जबकि अपनी और दूसरों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
बीती घटनाओं से भी नहीं चेता वाराणसी का नगर निगम और अग्निशामक विभाग
पिछले कुछ वर्षों में कई बार आगजनी की घटनाएं हो चुकी हैं, जिसमें कई लोगों की जान गई और लाखों का नुकसान हुआ। बावजूद इसके, नगर निगम और अग्निशामक विभाग ने इस शो के आयोजन के लिए अनुमति दे दी है। इन विभागों ने पिछली घटनाओं से कोई सबक नहीं लिया। अगर किसी प्रकार की कोई अनहोनी होती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा !
महिलाओं के लिए न सुरक्षा न संसाधन
जादूगर सिकन्दर का शो शहर के भीड़-भाड़ वाले इलाके में हो रहा है, जहां महिलाओं के लिए न तो कोई सुरक्षा इंतजाम है, न ही उचित संसाधन। शो के दौरान 500 लोगों की अनुमति दी गई थी, लेकिन वहां लगभग 2000 कुर्सियां लगी हैं, जिससे शो स्थल पर भीड़ और अधिक बढ़ गई है। इस अव्यवस्थित आयोजन में महिलाओं और बच्चों के लिए कोई विशेष सुरक्षा उपाय नहीं किए गए हैं, जिससे उनके लिए जोखिम और भी बढ़ जाता है। इसके अलावा, शो स्थल के चारों ओर गंदगी फैली हुई है, जो न केवल अस्वास्थ्यकर है, बल्कि दुर्घटनाओं का भी कारण बन सकती है। यह पूरी तरह से प्रशासन की लापरवाही और आयोजक की अव्यवस्थाओं को उजागर करता है।