अवैध बस स्टैंड का मायाजाल, जाम का जंजाल

अवैध बस स्टैंड का मायाजाल, जाम का जंजाल
  • परिवहन विभाग का दावा- 31 दिसंबर तक बंद हो जाएंगे अवैध बस स्टैंड
  • एआरटीओ बोले- अप्रैल से अब तक 54 बसें पकड़ी गई, 95 का चालान

वाराणसी (रणभेरी): लाख सख्ती के बावजूद वाराणसी शहर में अवैध बस स्टैंडों का संचालन नहीं थम रहा है। कमिश्नरेट पुलिस की लापरवाही कहें या उनकी संलिप्तता। शहर के बीचो-बीच कई अवैध स्टैंड आबाद हो गए हैं। सभी अवैध स्टैंड लबे सड़क पर हैं और दिनभर जाम लगता है लेकिन इन अफसरों को दिखाई नहीं पड़ रहा है। अफसरों की गाडिय़ां जाम में फंसने के साथ हूटर बजाते रहते हैं लेकिन बस चालकों के सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। नगर निगम, परिवहन विभाग और इलाकाई पुलिस की अनदेखी के चलते अवैध बस स्टैंड का दायरा बढ़ता जा रहा है। हाल यह है कि जहां रोजाना जिम्मेदार अधिकारियों की आवाजाही है, वहीं बस अवैध स्टैंड का संचालन हो रहा है।कैंट रोडवेज कार्यशाला के पास परेडकोठी में निजी बसों का अवैध स्टैंड संचालित हो रहा है। रोडवेज पुलिस चौकी की मेहरबानी के चलते परेडकोठी में प्राइवेट बसें खड़ी हो रही हैं। रोडवेज और आसपास के रहने वाले होटल, गेस्ट हाउस और अन्य लोगों ने कई बार शिकायत की गई, लेकिन अभी तक कोई असर नहीं पड़ा। दिन रात बसों के हार्न और शोर से आसपास के रहने वाले लोग परेशान है।

सामने घाट अवैध स्टैंड से धड़ल्ले से संचालन

सामनेघाट स्थित मुरारी चौक के समीप पिछले 10 साल से अवैध बस स्टैंड का संचालन हो रहा है। बीते अगस्त माह में आरटीओ, परिवहन विभाग, नगर निगम और पुलिस ने की संयुक्त रूप से छापा मारा और करीब 30 बसों को सीज  किया था। कुछ दिन की सख्ती के बाद हालात पुनः वही हो गए।

राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय के मरीजों को दिक्‍कत

चौकाघाट स्थित राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय एवं महाविद्यालय के सामने अवैध तरीके से संचालित हो रहा बस स्टैंड मरीजों के लिए दिन ब दिन खतरनाक होता जा रहा है। यहां से बस पकड़ने के लिए लोगों की बड़ी संख्या हमेशा खड़ी रहती है और बसों से होने वाला शोर व जाम मरीजों को परेशान करता है, लेकिन शिकायत के बाद भी अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। कंडक्टर व खलासी सवारी बैठाने के लिए जोर-जोर से आवाज देते रहते हैं। वहीं, स्टेयरिंग पर बैठा चालक बस स्टार्ट कर इंजन रेस करता रहता है जिससे यात्री को लगे कि बस कुछ ही देर में निकलने वाली है लेकिन उन बसों का धुआं हवा दूषित करता है।

बस स्टैंड को हटाने के लिए दो-दो बार हुई पहल

शहर के अंदर से बसों को हटाने के लिए कई बार आदेश हुआ। तत्कालीन एसएसपी सूर्य कुमार शुक्ला ने कैंट रेलवे स्टेशन, अंधरापुल बस स्टैंड को हटाने का निर्णय लेते हुए आशापुर बस स्टैंड कर दिया था। कई दिनों तक बसें संचालित भी हुई। इसके बाद दूसरे तत्कालीन एसएसपी अजय कुमार मिश्रा ने अंधरापुल से बस स्टैंड को हटाते हुए शहर से बाहर आशापुर कर दिया। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक पंचायत हुई। तय हुआ कि पीलीकोठी में बस स्टैंड होगा लेकिन उनके ट्रांसफर होने के साथ धीरे-धीरे फिर बस स्टैंड चौकाघाट में आबाद हो गए।