रावण के अत्याचार से डगमगाने लगी धरती 

रावण के अत्याचार से डगमगाने लगी धरती 

वाराणसी (रणभेरी सं.)। देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी में परंपराओं रीति रिवाज व त्यौहारों का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। इसीलिए कहा जाता है कि बनारस में हर दिन किसी न किसी त्योहार का हर्षोल्लास रहता है। इसके अलावा काशी वालों ने अपनी पुरानी परंपराओं को भी पीछे नहीं छोड़ा है, बल्कि शहर की विरासत को संजोते हुए बदलते दौर को भी स्वीकारा है। इसी विरासत में शामिल है वाराणसी के रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला, जिसे 230 वर्षों से भक्तिमय माहौल में आयोजित किया जा रहा है।  रावण के जन्म के साथ विश्व प्रसिद्ध वाराणसी उस पार रामनगर की रामलीला शुरू हो गई। लीला धीरे-धीरे आगे बढ़ती है और रावण का यज्ञ संपन्न होता है। ब्रह्मा जी ने उसे अमरत्व का वरदान दे देते हैं। अब उसे मनुष्य और वानर के सिवा कोई भी मार नहीं सकता। 
वरदान पाकर रावण ने देवलोक में खलबली मचाना शुरू कर दिया। कुबेर पर्वत पर चढ़ कर उनका पुष्पक विमान छीन लिया। घबरा कर देवराज इंद्र देवताओं को लेकर बैकुंठ पलायन कर गए और राक्षसों के आतंक से धरती कांप उठी।

5 बजे लीला स्थल पहुंचे कुंवर अनंत नारायन

काशी राज परिवार के अनंत नारायण सिंह की मौजूदगी में रामबाग के मुख्य द्वार के पास शाम पांच बचे पहले दिन की लीला का मंचन हुआ। शुरूआत रावण जन्म से होता है। जन्म लेने के बाद रावण अपने घर में यज्ञ करता है और प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी उसे इच्छित वर मांगने को कहते हैं।

भगवान विष्णु की दिखी झांकी

यहां पर श्रीरामचरित मानस के बालकांड की कुछ चौपाइयों के गायन के बाद लीला को एक घंटे का विराम दे दिया जाता है।  इस दौरान लीला प्रेमी रामलीला में मेले का आनंद उठाते हैं। एक घंटे के बाद दूसरे प्रसंग की शुरूआत हुई और क्षीर सागर की भव्य झांकी सजी। रावण के उत्पात के करीब 75 मिनट बाद क्षीरसागर में भगवान विष्णु की भव्य झांकी निकलती है। यहां से उनके स्वरूप प्रभु श्रीराम के जन्म लेने की चर्चा फैल जाती है।

रामलीला के दूसरे दिन श्रीराम जन्म की बधाई

आज शाम,वाराणसी में रामनगर की विश्वप्रसिद्ध रामलीला के दूसरे दिन भगवान श्रीराम समेत चारों भाइयों के जन्म की सूचना आम होते ही अयोध्या नगरी में मंगल गीत गूंज उठेगी। लीलास्थल पर चहुंओर बजी बधाई और सोहर से गूंजेगा।

बिना लाइट बिना साउंड के रामलीला का मंचन

काशी की रामलीला आज भी बिना लाइट और बिना साउंड के निभाया जाता है, इस लीला को आज भी पेट्रोमैक्स की रोशनी में संपन्न की जाती है। इस लीला को देखने के लिए देशभर से साधु संत सन्यासी जुटते हैं जो पूरे एक महीने तक काशी में रहकर इस लीला का आनंद लेंगे।  यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है रामलीला बता दें कि, रामनगर की रामलीला को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में स्थान मिला हुआ है. इसी से इसकी भव्यता और प्राचीन विरासत का अंदाजा लगाया जा सकता है। रामनगर की रामलीला का आयोजन 10 किलोमीटर के परिक्षेत्र में किया जाता है। जिसके चलते इसे देश ही नहीं दुनिया की सबसे बड़ी रामलीला के रूप में मान्यता मिली हुई है।