धूर्त सद्दाम ने अवैध इमारत में फिर शुरू कराया निर्माण

- ब्रिजइंक्लेव के अवैध इमारत पर आखिर क्यों है पुलकित गर्ग मेहरबान ?
- बीते माह रणभेरी की ख़बर पर उतरवाए गए थे इमारत से पाईट
- वीसी और जोनल ने इसी इमारत में कर ली थी 1-1 फ्लैट की डील !
- ब्रिजइंक्लेव में नियमों की धज्जियाँ, अफसरों की खामोशी क्यों ?
अजीत सिंह
जोनल संजीव कुमार ने बेशर्मी की सारी हदें कर दी पार, ध्वस्तीकरण के बजाय चोरी छुपे पूरा किया जा रहा काम
वाराणसी (रणभेरी सं.)। वाराणसी में विकास की आड़ में अवैध निर्माणों की श्रृंखला थमने का नाम नहीं ले रही है। विकास की चमक-दमक के पीछे छिपा काला सच हर रोज उजागर हो रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा बार-बार अवैध निर्माणों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए जाने के बावजूद ज़मीनी हकीकत बिल्कुल उलटी है। वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) के अफसर मुख्यमंत्री के आदेशों की खुलेआम अवहेलना कर रहे हैं। प्राधिकरण के भीतर व्याप्त भ्रष्टाचार का आलम यह है कि अफसर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं, जबकि धन्नासेठ बिल्डरों को खुली छूट दे दी गई है।
इसका ताजा उदाहरण है ब्रिजइंक्लेव कॉलोनी में धूर्त बिल्डर सद्दाम की अवैध बहुमंज़िला इमारत। रणभेरी ने जब बीते महीने इस घोर अनियमित निर्माण की खबर प्रकाशित की तो वीडीए ने आनन-फानन में कार्रवाई का दिखावा करते हुए पाईट हटवाने की रस्म अदायगी कर दी। लेकिन हकीकत यह है कि वह कार्रवाई महज एक दिखावा थी। न तो बिल्डिंग को सील किया गया और न ही निर्माण पूरी तरह रोका गया। अब एक बार फिर उसी इमारत में चोरी-छिपे निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि रात के अंधेरे में मजदूरों को लगाकर काम करवाया जा रहा है, जिससे स्पष्ट है कि वीडीए के अफसरों की मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं। सवाल यह उठता है कि क्या मुख्यमंत्री के निर्देश सिर्फ कागज़ों तक सीमित रहेंगे ? और क्या भ्रष्टाचार में लिप्त ऐसे अफसरों पर कभी कार्रवाई होगी ?
सद्दाम की अवैध इमारत बयां कर रही वीडीए में व्याप्त भ्रष्टाचार
सुंदरपुर का ब्रिजइंक्लेव कॉलोनी, जो कि एक रिहायशी और घनी आबादी वाला क्षेत्र है, वहां सद्दाम और अल्ताफ द्वारा बिना वैध नक्शा पास कराए बहुमंजिला इमारत का निर्माण किया गया। मानकों की अनदेखी की गई। जिस जगह पर सद्दाम बहुमंजिला इमारत बनवाया है उसका कुछ हिस्सा कब्रिस्तान का है। गुंडई और प्रशासन की मिलीभगत से किसान की जमीन को जबरन कब्जा कर इस अवैध इमारत को खड़ी की गई है। अवैध निर्माण करवाने में वीसी पुलकित गर्ग और जोनल अधिकारी संजीव कुमार का पूरा मौन सहमति रहा है। पिछले माह रणभेरी की अवैध निर्माणों के खिलाफ मुहिम ने इस अवैध निर्माण की परतें खोली थीं। खबर छपते ही प्रशासन ने कार्रवाई का दिखावा करते हुए मौके से पाईट उतरवाए, ताकि लगे कि कुछ कार्रवाई हो रही है। लेकिन इमारत का मूल ढांचा जस का तस छोड़ दिया गया। न ही कोई एफआईआर, न सीलिंग, न ध्वस्तीकरण।
आखिर किसकी सहमति से चोरी-छुपे फिर शुरू हुआ निर्माण ?
स्थानीय लोगों ने बताया कि रात के समय मजदूर बुलाकर चोरी-छिपे निर्माण कार्य कराया जा रहा है। निर्माण सामग्री भी बड़ी गाड़ियों के बजाय छोटी ट्रॉलियों से मंगाई जा रही है ताकि किसी की नजर न पड़े। मजदूरों ने नाम न छापने की शर्त पर खुलासा किया कि "सद्दाम भाई" ने उन्हें साफ-साफ कहा है...ऊपर तक सेटिंग है, कोई कुछ नहीं करेगा। सवाल यह है कि जब हाईकोर्ट तक ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अवैध निर्माणों पर कठोरतम कार्रवाई होनी चाहिए, ध्वस्तीकरण का आदेश भी पारित है तो ब्रिजइंक्लेव में खड़ी सद्दाम की इमारत कैसे निर्भीक होकर खड़ी की जा रही हैं ? क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आदेश भी केवल एक जुमला बनकर रह गया है ? जब जमीन पर अमल नहीं होगा, तो ऐसे आदेशों की विश्वसनीयता और शासन की नीयत पर सवाल उठना लाज़िमी है।
पुलकित गर्ग की भूमिका पर क्यों न हो सवाल
वाराणसी विकास प्राधिकरण के वीसी पुलकित गर्ग की भूमिका ब्रिजइंक्लेव कॉलोनी के इस अवैध निर्माण में बेहद संदिग्ध मानी जा रही है। विश्वसनीय सूत्रों का दावा है कि इस अवैध इमारत में वीसी पुलकित गर्ग और जोनल अधिकारी संजीव कुमार के लिए एक-एक फ्लैट पहले ही आरक्षित कर दिया गया है, जिसकी ‘डील’ निर्माण शुरू होते ही तय हो गई थी। यही वजह है कि पूरे मामले में वीसी अब तक न तो कोई संज्ञान ले रहे हैं, न ही ध्वस्तीकरण की दिशा में कोई कदम उठा रहे हैं। खास बात यह है कि यह पहला मामला नहीं है जहां वीसी की चुप्पी ने शक को जन्म दिया हो। इससे पहले भी वाराणसी में कई अवैध प्रोजेक्ट्स में पुलकित गर्ग की रहस्यमयी खामोशी और नज़रअंदाजी सवालों के घेरे में रही है। अब जनता को न्यायपालिका से यही अपेक्षा है कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों की जांच कर उन्हें जवाबदेह बनाया जाए।
हद हो गई है जोनल अधिकारी संजीव कुमार की बेशर्मी की
चाहे मामला सद्दाम की अवैध इमारत का हो या गंगा किनारे की अवैध निर्माण श्रृंखला का, या फिर एचएफएल क्षेत्र जैसे संवेदनशील इलाके का...हर जगह जोनल अधिकारी संजीव कुमार की भूमिका सबसे ज्यादा शर्मनाक रही है। जब तक आपके अपने अखबार गूंज उठी रणभेरी में खबरें नहीं आई थीं, संजीव कुमार नियमित रूप से निर्माण स्थलों पर मौजूद रहते थे, मानो उन्हें निगरानी नहीं, संरक्षण देना हो। लेकिन जैसे ही मामला उजागर हुआ, वे कुछ दिनों के लिए गायब हो गए। अब फिर से वे पूरे उत्साह से निर्माण स्थल पर देखे जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो ब्रिजइंक्लेव की अवैध इमारत में संजीव कुमार को भी एक फ्लैट बतौर हिस्सा मिला है। शायद इसी कारण उन्होंने कार्रवाई के नाम पर सिर्फ पाइप हटवाने जैसा दिखावटी कदम उठाया और मामले को दबाने की कोशिश की। न तो वीसी पुलकित गर्ग की ओर से नोटिस जारी हुआ, न ही ध्वस्तीकरण की सिफारिश के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई की गई।
मुख्यमंत्री जी ! क्या यही है ‘नया बनारस’ ?
जब खुद सरकार पारदर्शिता और जवाबदेही की बात करती है, और नया बनारस को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने की योजनाएं बन रही हैं, तब ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों की मौजूदगी पूरे सिस्टम की सच्चाई उजागर करती है। ब्रिजइंक्लेव की अवैध इमारत केवल एक इमारत नहीं, बल्कि उस सड़ चुके तंत्र का प्रतीक है, जहां नियमों की कीमत पर सौदे होते हैं, और ईमानदारी केवल नारों में सिमट जाती है। इस निर्माण में वीसी पुलकित गर्ग और जोनल संजीव कुमार की भूमिका पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। सूत्रों की मानें तो दोनों के लिए फ्लैट आरक्षित किए गए हैं, और यही कारण है कि कार्रवाई की जगह संरक्षण दिया जा रहा है। जब तक इस तरह के पदों पर बिकाऊ अफसर बैठे रहेंगे, तब तक कोई भी योजना, चाहे वह स्मार्ट सिटी हो या गंगा संरक्षण, कागजों से बाहर नहीं निकलेगी। सूबे के तेज तर्रार मुखिया योगी आदित्यनाथ को खुद इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। अगर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह फाइलों में दफन हो गया, तो जनता का सरकार और उसकी व्यवस्था से भरोसा उठ जाएगा।
वह सवाल जिसका जनता ढूंढ रही जवाब
* क्या हाईकोर्ट के आदेशों का खुलेआम उल्लंघन नहीं हो रहा ?
* क्या वीसी और जोनल के खिलाफ विजिलेंस जांच नहीं होनी चाहिए ?
* क्या यह संयोग है कि दोनों को ही एक-एक फ्लैट मुफ्त में मिला ?
* क्या प्रशासनिक अमला इतना कमजोर हो गया है कि बिल्डर खुलेआम चुनौती दे रहे हैं ?
* क्या सद्दाम के रसूख के आगे प्रशासन और कानून दोनों बौना हो गया है ?
हमारा बस चले तो हम विकास प्राधिकरण जैसी संस्था को खत्म कर दें, क्योंकि इसके बने रहने से शहर को कोई फायदा नहीं बल्कि नुकसान ही हो रहा है। जब से यह संस्था अस्तित्व में आई है, तब से सुनियोजित विकास के नाम पर केवल अनियोजित और अवैध निर्माण ही बढ़े हैं। अफसरों और कर्मचारियों की मिलीभगत से नगर की खूबसूरती, विरासत और नियोजन की धज्जियाँ उड़ रही हैं। अब यह संस्था बोझ बन चुकी है।
कुबेर भंडारी, वरिष्ठ पदाधिकारी, लोकबंधु पार्टी
वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) आज अपने उद्देश्य से भटकता नजर आ रहा है। संस्था का दुरुपयोग वहां के भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा है, जिससे इसका नाम बदनाम हो रहा है। नगर के समुचित विकास के बजाय ये लोग व्यक्तिगत लाभ के लिए नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। जोनल अधिकारियों की मिलीभगत से शहर में धड़ल्ले से अवैध निर्माण हो रहे हैं, जिससे नगर की सुंदरता और योजना दोनों पर खतरा मंडरा रहा है।
वैशाली मौर्या
आज नगर में धड़ल्ले से अवैध निर्माण जारी है, जिसका मुख्य कारण वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) की उदासीनता मानी जा रही है। आरोप है कि अवैध निर्माण करने वाले लोग बीडीए के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों से मिलीभगत कर नियम-कानून को दरकिनार कर निर्माण कार्य करवा रहे हैं। यह गठजोड़ न सिर्फ नगर की सुंदरता को बिगाड़ रहा है, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
गौरव श्रीवास्तव
गंगा के 200 मीटर के भीतर गलियों में मरम्मत के नाम पर नए अवैध निर्माण धड़ल्ले से हो रहे हैं। वीडीए के अधिकारी और कर्मचारी जानबूझकर इस पर आंख मूंदे हुए हैं और मोटी रकम लेकर निर्माण कार्य को संरक्षण दे रहे हैं। इनकी मिलीभगत से घाटों की पारंपरिक सुंदरता खतरे में पड़ गई है और धार्मिक व सांस्कृतिक विरासत मिटने के कगार पर है।
ग्यानु श्रीवास्तव
आनंद कानन वन के नाम से प्रसिद्ध तीनों लोकों से न्यारी काशी आज कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो रही है। इसका मुख्य कारण वाराणसी विकास प्राधिकरण के भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी हैं, जो सुविधा शुल्क लेकर अवैध निर्माण को बढ़ावा दे रहे हैं। इनकी मिलीभगत से शहर की ऐतिहासिकता और सुंदरता नष्ट होती जा रही है, और नियम-कानून सिर्फ दिखावे तक सीमित रह गए हैं।
पंकज पटेल
पार्ट-43
रणभेरी के अगले अंक में पढ़िए...दलाल, जनप्रतिनिधि, अधिकारी, .... सब मिलकर बेच दिया मेहता अस्पताल