रिटायर शिक्षिका के हर गतिविधि पर थी ठगों की नजर
वाराणसी(रणभेरी)। साइबर ठगी की शिकार हुई रिटायर शिक्षिका शम्पा रक्षित के हर फोन और उनके बाहर आने-जाने की जानकारी तक शातिर एप के जरिये ले रहे थे। स्काइपी एप डाउनलोड कराने के बाद उसी से इंटरनेट कॉलिंग से बातचीत की। इसी से रिटायर शिक्षिका की एक-एक गतिविधि की जानकारी लेते रहे। दो से तीन दिन में ऐसा माहौल बनाया कि वह डर से उलझती गईं और जांच के नाम पर रुपये भेज दिये। साइबर पुलिस की जांच में पता चला है कि ठगों ने पहले आरबीआई की जांच के नाम पर उन्हें डराया। पैतृक संपत्ति बिक्री से मिले पांच करोड़ की राशि बैंक में आने की जानकारी साइबर ठगों को हुई थी। शातिरों ने फोन कर कहा कि आरबीआई ने इसका संज्ञान लिया है कि आखिर इतनी बड़ी रकम खाते में आई कैसे। इसकी जांच के लिए मुंबई क्राइम ब्रांच को अधिकृत किया गया है। शिक्षिका को फोन करने वाले कहते थे कि बड़े पुलिस अधिकारी आ रहे हैं, वे बात करेंगे।’ जय हिंद’ जैसे शब्दों का संबोधन करते। इससे रिटायर शिक्षिका को विश्वास होता गया। यह भी कह रहे थे कि आपकी हर गतिविधियों पर मुंबई क्राइम ब्रांच की नजर है।
मोबाइल नंबर भी फर्जी पते पर लिया
आशंका है कि जिन खातों में साइबर ठगों ने रुपये मंगवाये और फिर जिन खातों में स्थानांतरित किए हैं, वे सभी फर्जी नाम, पता के जरिये खुलवाये गये हैं। साथ ही उसमें दिया गया मोबाइल नंबर भी फर्जी पते पर लिया गया है। ऐसी स्थिति में साइबर ठगों तक पहुंचना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर होगी।
ये था मामला
शम्पा रक्षित को 8 मार्च को अनजान नंबर से फोन आया। फोन करने वाले ने खुद को टेलिकाम रेगुलेटरी अथार्टी से बताया। कहा कि दो घंटे में आपका फोन बंद हो जाएगा। पुलिस जांच कर रही है। फिर दूसरे नंबर से फोन आया। उसने अपना नाम विनय चौबे और खुद को मुंबई के विले पार्ले थाने में तैनात बताया। एक मोबाइल नंबर बताते हुए कहा कि आपने घाटकोपर से यह नंबर लिया है। इस नंबर से अवैध काम कर रही हैं। गिरफ्तारी से बचने के लिए उसने जांच के नाम पर बैंक खातों की जानकारी ली। साथ ही 3.55 करोड़ स्थानांतरित करवा लिये।