घर पहुंचा शहीद जसविंदर सिंह का पार्थिव शरीर, आखिरी दर्शन के लिए उमड़ा पड़ा पूरा गांव

घर पहुंचा शहीद जसविंदर सिंह का पार्थिव शरीर, आखिरी दर्शन के लिए उमड़ा पड़ा पूरा गांव

(रणभेरी): जम्मू-कश्मीर के पुंछ में आतंकियों के खिलाफ सेना का अभियान जारी है। दो दिन पहले (सोमवार) पुंछ के घने जंगलों में छिपे आतंकियों ने सर्च ऑपरेशन चला रही सेना की टुकड़ी पर घात लगाकर हमला किया था। इस हमले में देश के पांच जवान शहीद हो गए है। सेना अब इन जवानों की शहादत का बदला लेने के लिए मोर्चे पर डट चुकी है. पुंछ रेंज के डीआईजी ने कहा कि वक्त लग रहा है लेकिन हम एक-एक शहादत का बदला लेंगे।

सोमवार को एलओसी से सटे पुंछ इलाके में 3 से 4 आतंकियों के घुसपैठ की खबर मिली थी। जैसे ही जवानों ने एक्शन शुरू किया घात लगाए बैठे आतंकियों ने उनपर पर हमला बोल दिया.आतंकवाद विरोधी अभियान में शहीद हुए नायब सूबेदार जसविंदर का पार्थिव शरीर जब गांव पहुंचा तो गांव के लोगों की आंखे नम हो गई। ऐसा लग रहा था कि गांव का हर आदमी बस एक झलक देखकर उनके पार्थिव शरीर को नमन करना चाहता है। जसविंदर के घर के बाहर उमड़ा लोगों का सैलाब एक अलग ही कहानी कह रहा था। सेना अब इन जवानों की शहादत का बदला लेने के लिए मोर्चे पर डट चुकी है। पुंछ रेंज के डीआईजी ने कहा कि वक्त लग रहा है लेकिन हम एक-एक शहादत का बदला लेंगे।

सभी लोगों की आंखें नम हो गईं। मां और पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। भुलत्थ विधायक सुखपाल सिंह खैरा, एसजीपीसी अध्यक्ष बीबी जागीर कौर, डीसी दीप्ति उप्पल, एसपी रमणीस चौधरी, डीएसपी भुल्तथ अमरीक सिंह चाहल व अन्य प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी गांव में मौजूद हैं।शहीद की पत्नी राज कौर ने बताया कि उनकी शहादत से एक दिन पहले बात हुई थी। उन्होंने मुझसे कहा था कि वह दो दिन बाद घर आएंगे और 15 दिन की छुट्टी ली थी। उन्होंने बहुत वीरता दिखाई थी इसलिए उन्हें सेना पदक दिया गया। वह चाहते थे कि हमारा बेटा सेना में भर्ती हो।हीद की मां मनजीत कौर ने कहा कि वह बहुत अच्छा था और परिवार चलाता था। लेकिन अब मुश्किल होगी। जसविंदर के साथ जिन लोगों की जान गई है, वे भी मेरे बेटे जैसे थे। हमारे पास न तो जमीन है और न ही संपत्ति। हम क्या करेंगे? जब मेरा पोता बड़ा हो जाएगा तो मैं उसे सेना में भर्ती के लिए भेजूंगी।

शहीद नायब सूबेदार जसविंदर सिंह की दो दिन पहले आखिरी बार फोन पर बड़े भाई राजिंदर सिंह से ही बातचीत हुई थी। पूर्व फौजी भाई ने बताया कि फोन पर जसविंदर ने कहा था कि ‘वह बिल्कुल ठीकठाक है और खुश है...’, पर सोमवार की सुबह साढ़े नौ बजे बजने वाली फोन की घंटी उसकी शहादत का पैगाम लेकर आई। राजिंदर सिंह ने बताया कि आखिरी बार जसविंदर सिंह मई में पिता कैप्टन हरभजन सिंह के निधन पर गांव छुट्टी पर आया था, उसके बाद नवंबर की दो-तीन तारीख को उसने पिता के वरीना (निधन के बाद त्योहार से पहले की जाने वाली रस्म) के लिए छुट्टी पर आना था। 

विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने कहा कि केंद्र सरकार को शहीद जसविंदर सिंह के परिवार को एक करोड़ रुपये और एक सदस्य को केंद्रीय नौकरी देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शहीद की शहादत का मूल्य नहीं चुकाया जा सकता है। राज्य सरकार की 50 लाख रुपये और सरकारी नौकरी शहादत के आगे नाकाफी है। उन्होंने कहा कि शहीद जसविंदर सिंह किसान परिवार से हैं, अब मोदी सरकार को समझ जाना चाहिए कि सिंघु बार्डर और सीमा पर तैनात किसान ही हैं न कि कोई आतंकवादी। इसलिए मोदी सरकार को अब तो तीनों काले कृषि कानून वापस ले जाने चाहिए।