टैटू बनवाने में बरतें सावधानी वर्ना जीवन भर की होगी परेशानी
- टैटू का शौक भी आपको बना सकता है एड्स रोगी, एक ही सुई से कई लोगों का टैटू बनाने से फैलता है एचआईवी संक्रमण
वाराणसी (रणभेरी): बड़ागांव निवासी 20 वर्षीय युवक ने गांव में लगे मेले में अपने हाथ में बड़े ही शौक से टैटू बनवाया। इसके कुछ माह बाद उसकी तबीयत बिगड़ने लगी। बुखार के साथ ही उसका शरीर कमजोर होता गया। तमाम उपचार के बाद भी आराम नहीं मिला तो चिकित्सकों ने उसकी एचआईवी जांच कराई। जांच के बाद जब उसे बताया गया कि वह एचआईवी पॉजीटिव है तो खुद युवक को भी इस बात का यकीन नहीं हुआ कि रिपोर्ट सही है। नगवां की रहने वाली युवती के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। फेरी वाले से उसने टैटू बनवाया। इसके कुछ ही दिनों बाद उसकी हालत बिगड़ने लगी। जांच में उसके एचआईवी पाजीटिव होने का पता चला।
यह कहानी सिर्फ इन दोनों की नहीं है। ऐसे कई लोगों की है जो टैटू बनवाने के बाद एचआईवी पाजीटिव हुए। पं. दीन दयाल उपाध्याय चिकित्सालय स्थित एंटी रेट्रोवायरल ट्रीटमेंट (एआरटी) सेंटर की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. प्रीति अग्रवाल बताती हैं इन सभी लोगों का एचआईवी संक्रमित होने के मुख्य कारणों से दूर तक का वास्ता नहीं है। सेंटर में जब उनकी काउंसलिंग की गई तो पता चला कि टैटू बनवाने के बाद यह मुसीबत उनके पास आई हैं।
- संक्रमित सुई है खतरनाक
डॉ. प्रीति अग्रवाल कहती हैं कि समस्या के मूल में संक्रमित सुई के प्रयोग से टैटू बनाना है। दरअसल टैटू जिस सुई से बनाई जाती है, वह काफी महंगी होती है। नियमत: किसी एक का टैटू बनाने के बाद उस सुई को नष्ट कर देना चाहिए, पर अधिक कमाई के चक्कर में टैटू बनाने वाले एक ही सुई का इस्तेमाल कई लोगों का टैटू बनाने में करते हैं। उधर टैटू बनवाने वाले लोग इस खतरे से अनभिज्ञ होते हैं। वह यह भी नहीं देखते कि टैटू बनाने वाले ने मशीन में नई सुई लगायी है या नहीं। ऐसे में यदि किसी भी एचआईवी संक्रमित का उस सुई से टैटू बना होगा तो अन्य लोगों में एचआईवी का खतरा होने की पूरी संभावना होती हैं।