सूर्य का मेष में प्रवेश, खरमास खत्म, अब गूंजेगी शादी की शहनाई, जानिए विवाह के शुभ मुहूर्त

वाराणसी (रणभेरी): वैशाख मास प्रारंभ होते ही, सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करते ही खरमास रविवार शाम को समाप्त हो गया। 14 अप्रैल से मांगलिक कार्य की गूंज गूंजने लगेगी।अप्रैल से जून तक कुल 19 शादी विवाह के मुहूर्त है।इसके साथ ही एक महीने से मांगलिक कार्यों पर लगा हुआ प्रतिबंध हट गया है और अब विवाह, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश कार्यक्रम आसानी से हो सकते हैं। स्थानीय बाजार लगन की ओर टकटकी लगाए देख रहा है। इस वर्ष वैशाख व जेठ महीने में लग्न है, लेकिन आषाढ़ मास में एक भी शादी विवाह का मुहूर्त नहीं है। गर्मी में शादी विवाह के कुल 30 लग्न मुहूर्त हैं। 11 जून से गुरु पश्चिम दिशा में अस्त हो जाएंगे। उसके बाद मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी।
काशी के आचार्य विकास पांडेय ने बताया- सूर्य 14 अप्रैल को मेष राशि में प्रवेश कर चुके हैं, सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तब वह दिन संक्रांति के नाम से जाना जाता है। सूर्य के मेष राशि में आने से शादी विवाह के साथ नामकण, गृह प्रवेश, यज्ञोपवित, मुंडन आदि शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे। इस बार 14 अप्रैल से 9 जून तक विवाह के 30 शुभ मुहूर्त बन रहे हैं।
आचार्य विकास पाण्डेय ने कहा - सात मार्च से होलाष्टक लग गए थे और फिर 14 मार्च को सूर्यदेव गुरु ग्रह की राशि मीन में प्रवेश कर चुके थे, इसके साथ ही खरमास शुरू हो गया था। होलाष्टक और खरसमा के चलते शुभ व मांगलिक कार्यक्रम पर विराम लग गया था। अब 14 अप्रैल से 9 जून तक शादी, गृह प्रवेश, भूमि-भव, मूर्ति प्रतिष्ठा, मुंडन, यज्ञोपवीत संस्कार, मांगलिक कार्यों के अनेक शुभ मुहूर्त रहने वाले हैं।
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि वर-वधू कुंडली में ग्रह नक्षत्र देखकर ही लग्न तय की जाती है। जिस लग्न मे गुरु और शुक्र अस्त ना हो वो शुभ माना जाता है. इसके साथ ही सभी ग्रह शुभ स्थिति मे हो. जैसे लग्न मे सूर्य पहले और सातवें भाव मे ना हो, चन्द्रमा पहले छठें और आठवें भाव मे ना हो, गुरु सातवे और आठवें भाव मे ना हो,शुक्र तीसरे सातवें और आठवें भाव मे ना हो,इन चीजों को देख कर भी लग्न त्यार किये जाते है।