हुजूर ! आखिर शिवम को कब मिलेगा न्याय

वाराणसी (रणभेरी सं.)। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में दलित छात्र शिवम सोनकर के 10 दिनी धरने की गूंज बीएचयू से निकलकर देश भर में है। विधानसभा से लेकर लोकसभा में सदस्यों ने सब लैटर्न स्टडीज और सोशल इन्क्लूजन में पीएचडी में प्रवेश नहीं मिलने पर सवाल उठाए हैं। शिवम अपने कागजात और फाइल लेकर कुलपति आवास के सामने आंदोलनरत है। मालवीय सेंटर फॉर पीस रिसर्च भी सामाजिक विज्ञान संकाय में प्रवेश के आंदोलित शिवम सोनकर को सपा, कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों का समर्थन मिला है तो कई सामाजिक संगठन उसके प्रवेश को लेकर लामबंद है।आंदोलन के बीच बीएचयू बैकफुट पर है और इसे पीएचडी बुलेटिन की गलती बता रहा है हालांकि सुधार के लिए अगले वर्ष का हवाला दे रहा है। जनरल कैटेगरी में दूसरा स्थान लाने के बाद भी बीएचयू में पीएचडी में दाखिला से वंचित दलित छात्र शिवम सोनकर ने बताया कि 8 बार नेट क्वालीफाई परीक्षा पास की और इस बार परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल की। जनरल कैटेगरी में दूसरा स्थान होने पर भी उसे पीएचडी में प्रवेश नहीं दिया जा रहा। जबकि तीसरे रैंक को प्रवेश मिल चुका है। केंद्र की कुल चार सीटों में एक इंटर डिसिप्लिनरी कोर्स से भरी गई है जबकि तीन खाली छोड़ दी गईं। छात्र ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र के प्रोफेसर उसकी जाति के कारण प्रवेश नहीं दे रहे। जबकि नियमानुसार खाली सीटों को रेट एग्जम्प्टेड श्रेणी से रेट श्रेणी में स्थानांतरित किया जा सकता है।
उसने बताया कि वीसी आवास के बाहर पिछले 9-10 दिन से खुले आसमान के नीचे धरने पर बैठा हूं। कई रातें धरना स्थल पर ही कटी। आज तक कोई प्रशासनिक अधिकारी बात करने नहीं आया। उसके पास सभी दस्तावेज हैं, उसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। सड़क से लेकर संसद और कोर्ट तक अधिकार की लड़ाई लडूंगा तब तक धरने से नहीं हटेगा।
देश के हजारों दलित छात्रों की उम्मीद
शिवम सोनकर की माने तो यह धरना केवल उसका नहीं बल्कि देख के हजारों छात्रों का है, जिन्हें इसी तरह की प्रक्रिया के चलते प्रवेश से वंचित कर दिया जाता है। अब यह धरना एकल नहीं है, वंचितों और दलितों का शंखनाद है। देशभर से दलित, शोषित, वंचित, पिछड़े छात्रों का बड़ा समर्थन भी मिला है। मैंने भी कई दिन तक विभाग और सेंट्रल आॅफिस का चक्कर काटे लेकिन कोई सुनने वाला ही नहीं तब आंदोलन और धरना ही आखिरी रास्ता बचा। बीएचयू की यह प्रकिया उच्च शिक्षा में सामाजिक न्याय के खिलाफ है, बल्कि यह दलित छात्रों के शैक्षणिक भविष्य के साथ भी अन्याय है। यह स्थिति अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए उच्च शिक्षा के अवसरों को बाधित करने का एक गंभीर उदाहरण है जो संविधान के समता व सामाजिक न्याय के सिद्धान्तों के विपरीत है। शिवम ने स्पष्ट किया कि आंदोलन किसी भी तरह से राजनीतिक नहीं है लेकिन समर्थन देने आने वालों से मनोबल की आशा रखता है।
सपा-कांग्रेस और भीम आर्मी ने उठाया मुद्दा
शिवम सोनकर पिछले 10 दिनों से धूप में अकेले ही वीसी आवास के सामने धरना दे रहे हैं। उनके समर्थन में सपा ने मोर्चा खोल दिया है, सपाई सांसदों से लेकर विधायक तक शिवम के साथ धरना स्थल तक पहुंचे हैं।सपा की विधायक रागिनी सोनकर तो कई बार शिवम से मिली हैं और उनके साथ धरने पर भी बैठी हैं। सामाजिक न्याय के अधिकारी की हुंकार भरते हुए कैंडल मार्च भी निकाला।
इसके अलावा यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय भी शिवम सोनकर से मिलने बीएचयू पहुंचे थे, उन्होंने शिवम की लड़ाई में साथ देने का आश्वासन दिया। भाजपा सरकार पर हमला करते हुए कहा कि आज एक दलित छात्र सड़क पर है, मगर सरकार के आंख और कान बंद हैं। अब देश के पिछड़ों, दलितों, वंचितों को एक साथ मिलकर लड़ाई लड़नी होगी संसद में नगीना सांसद चंद्रशेखर ने कहा कि बीएचयू छात्र शिवम सोनकर का मामला उठाया था, बताया कि पीस रिसर्च के छात्र के साथ अन्याय हो रहा है। सीट खाली है तो प्रवेश क्यों नहीं दिया जा रहा है। वहीं कौशांबी के पूर्व सांसद विनोद सोनकर ने भी शिक्षा राज्यमंत्री सुकांता मजूमदार को लेटर लिखा था।
बीएचयू में 1612 सीटें, 650 पर हो चुके प्रवेश
बीएचयू की परीक्षा नियंत्रक प्रो. सुषमा घिल्डियाल के अनुसार 1612 से ज्यादा सीटों पर पीएचडी एडमिशन होने थे। इसमें काउंसिलिंग के पहले 74 सीटों को दूसरी कटेगरी में तब्दील कर प्रवेश दिया गया था, बीएचयू में अब तक पीएचडी की 650 से अधिक सीटों पर प्रवेश हो चुके हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने पिछले दिनों एक पत्र और प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए बताया था कि पीएचडी बुलेटिन में एक गलती हुई है। इसे अब सुधारा जा रहा है। अगले साल से ये दिक्कत नहीं होगी। मेन्स में कन्वर्ट करने की छात्र की मांग पीएचडी नियमावली में नहीं है।
अखिलेश यादव का डेलीगेशन शिवम से मिलेगा
बीएचयू में धरनारत दलित छात्र शिवम सोनकर का जनरल कैटेगरी में दूसरा स्थान लाने के बाद भी पीएचडी में दाखिला से वंचित होने का मामला सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी उठाया है। शिवम से मिलने और समर्थन देने के लिए समाजवादी पार्टी के 12 नेताओं का डेलिगेट्स बीएचयू आएगा। इसमें तीन सांसदों में वीरेंद्र सिंह, प्रिया सरोज और छोटेलाल खरवार शामिल हैं।
इसके अलावा छात्रसभा प्रदेश अध्यक्ष विनीत कुशवाहा, जिलाध्यक्ष सुजीत यादव, एमएलसी आशुतोष सिन्हा, विधायक रागिनी सोनकर, महानगर अध्यक्ष दिलीप डे समेत स्थानीय नेता मौजूद रहेंगे। इधर बीएचयू ने अधिकारियों तौर स्पष्ट कर दिया है कि नियम के विरोध कोई एडमिशन नहीं होगा।