कोर्ट के आदेश पर भारी शिवपुर थाना प्रभारी 

कोर्ट के आदेश पर भारी शिवपुर थाना प्रभारी 
  • अभियुक्तों में शामिल है तत्कालीन गिलट बाजार चौकी इंचार्ज अरविन्द कुमार वर्मा का भी नाम
  •  एक माह पूर्व कोर्ट ने दिया था 7 अभियुक्तों के विरूद्ध एफआईआर लिखने का आदेश, नाबालिग छात्रा से जुड़े गंभीर प्रकरण में संदिग्ध लग रही शिवपुर पुलिस की भूमिका 
  • प्रकरण को गंभीर मानते हुये धारा 156(3) दं.प्र.सं. के तहत नाबालिग की तहरीर पर हुआ है आदेश

वाराणसी (रणभेरी/विशेष संवाददाता)। भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के विपरीत पुलिस के काम करने का मामला सामने आया है। कानून में दी गई व्यवस्था के ऊपर मामलों को खत्म करने के लिए वाराणसी के शिवपुर थाने की पुलिस ने अपना खुद का कानून बना लिया है। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) को धत्ता बताकर वाराणसी के शिवपुर थाने की पुलिस ने न केवल एक गंभीर प्रकरण में नाबालिग लड़की की शिकायत को नजर अंदाज करते हुये एफआईआर लिखने से इंकार किया बल्कि दंड प्रक्रिया संहिता धारा 156 (3) के तहत मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश को भी दरकिनार कर दिया। पुलिस आपराधिक मामले और शिकायतों को खुद कोर्ट बनकर अपराध जांच के नाम पर आरोपों को मेरिट में खारिज कर रही है। जबकि आपराधिक मामलों को सुनने और उस पर कार्रवाई का अधिकार न्यायिक मजिस्ट्रेट का है।

तंत्र-मंत्र से बाबा ने वश में कर लिया भावना की माँ को

प्रकरण के मुताबिक, शिवपुर थाना क्षेत्र के अयोध्या धाम कालोनी निवासी छात्रा भावना सिंह (15), पुत्री दीपक कुमार सिंह जो कि घटना के वक्त सियाचिन ग्लेशियर में एक फौजी के पद पर तैनात थें। भावना के मुताबिक, उसका पूरा परिवार शिवपुर थाना क्षेत्र के ही मोहल्ला लक्ष्मनपुर में पहले अपने सगे फुफा बाबा संजय कुमार सिंह जो कि एक तांत्रिक बाबा है, के यहां सपरिवार रहते थे। 
आरोप के मुताबिक,बबिता सिंह जो कि बाबा संजय कुमार सिंह की पत्नी है और इनके दोनो बेटे निशांत सिंह उर्फ शिवम और शीतांशु सिंह उर्फ सत्यम विगत कई महीनों से चन्द्रभूषण सिंह नाम के एक व्यक्ति के पैसे का घोटाला छिपाने और उनसे पैसा वसूल कर अपना कर्ज चुकाने के आशय से झूठे आरोप लगाने की योजना बना रहे थे फिर आरोप भी लगाया। आरोप है कि बाबा संजय कुमार सिंह ने नाबालिग छात्रा भावना की माता स्वाती सिंह का तंत्र मंत्र से वशीकरण करके अपने गिरोह में शामिल कर लिया और उनसे चन्द्रभूषण सिंह नाम के एक व्यक्ति पर झूठा केस भी करवाया। 

पुत्री की बजाय बाबा का साथ दे रही माँ 

बाबा संजय कुमार सिंह और उसका परिवार अपने गिरोह में शामिल करने के लिए छात्रा को भी चन्द्रभूषण सिंह पर झूठे संगीन आरोप लगाने के लिए दुष्प्रेरित कर रहा था ताकि चन्द्रभूषण सिंह पर पोक्सो एक्ट लगाया जा सके और उनसे पैसे वसूले जा सके। जब छात्रा ने मना कर दिया तब बाबा संजय कुमार सिंह और इसके बेटे निशांत सिंह उर्फ शिवम, शीतांशू सिंह उर्फ सत्यम ने छात्रा को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करना प्रारम्भ किया। बाबा सजंय कुमार सिंह और इनके दोनो बेटों ने मिलकर छात्रा को बहुत मारा-पीटा और जान से मारने की कोशिश किए। छात्रा के अनुसार इस घटना के वक्त छात्रा की मां स्वाती सिंह भी घटना स्थल पर उपस्थित थी। वो भी छात्रा की नहीं सुनी बल्कि उसे ही डांटा की तुम ही गलत हो और बाबा संजय कुमार सिंह और उसके परिवार का ही साथ दिया। 

खाने में जहर डालकर मारने की दी जाती थी धमकी 

छात्रा के आरोपों के अनुसार, जब उसने  इस वारदात को सार्वजनिक करने की बात कही तब उसके खाने में जहर डालकर मारने की धमकी दी गई। जब छात्रा ने उपरोक्त घटना अपने पिता दीपक कुमार सिंह को बताया तब उन्होंने अपने परिवार को वर्तमान पते पर स्थानांतरित करवा दिया। जब छात्रा की मां ने यहां भी उसे मारा-पीटा तो उसकी दादी उसकी सुरक्षा के लिए साथ रहने आई। बाबा संजय सिंह के कहने पर छात्रा की मां ने उसके दादी को भी मारा और दादा को विषाक्त खाना में दे दिया जिससे वो बीमार हो गए और हॉस्पिटल में भर्ती होने के बाद अपने गांव चले गए। वर्तमान पते पर आ जाने के बाद भी बाबा संजय कुमार सिंह और उसके दोनों लड़कों ने छात्रा के घर में रात्रि में घुसकर मारपीट किया

पापा का कोर्ट मार्शल कराने की धमकी देती थीं मम्मी 

आरोप के मुताबिक बाबा संजय कुमार सिंह के कहने पर छात्रा की मम्मी द्वारा उसके पापा दीपक कुमार सिंह पर झूठा केस व आरोप लगाकर कोर्ट मार्शल करवाने का भी प्रयास किया गया और दुष्प्रेरित किया कि तुम जल्दी मर क्यों नहीं जाते जिससे तुम्हारी पूरी पेंशन मुझे मिल जायेगी। इस बात से आहत छात्रा के पिता दीपक कुमार सिंह आत्महत्या करने जा रहे थे लेकिन समझाने पर आत्मघाती कदम उठाने से रुक गए। इसके बाद बाबा संजय कुमार सिंह द्वारा छात्रा को धमकी दी गई कि यदि तुम और तुम्हारे पापा हमारे गिरोह में नहीं आते तो हम तुम्हें और तुम्हारे पापा को जेल करवा देंगे। हमारी पहुंच बहुत उपर पुलिस थाने और गुण्डे माफियाओं तक है हम उंचे रसूख वाले व्यक्ति हैं हमारा कोई कुछ नहीं कर सकता।

छात्रा का आरोप है कि उसके नाना धर्मदेव सिंह और मां स्वाती सिंह, बाबा संजय कुमार सिंह के गिरोह का साथ दे रहे हैं और सभी अपराध को क्रियान्वित करने में बराबर के हिस्सेदार है। इन सबका एक गिरोह है जो किसी पर भी झूठे आरोप लगाकर मुकदमे में फंसाते है और मनमानी तरीके से पैसा वसूलने का कार्य करते है। 

पुलिस ने शुरू से दिया बाबा का साथ 

अपने आप में एक अनोखे तरह के इस मामले में पीड़ित छात्रा ने न्याय के लिए 17 अक्टूबर 2023 को शिवपुर थाना पर एक प्रार्थना पत्र पिता दीपक कुमार सिंह के माध्यम से दिया परन्तु पुलिस की तरफ से छात्रा का बयान तक नहीं लिया गया ना ही कोई कार्रवाई की गयी बल्कि स्थानीय थाने की पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करने के पहले ही विपक्षियों से संपर्क करके मिल गयी। इस प्रकरण में सर्वाधिक संदिग्ध भूमिका तत्कालीन गिलट बाजार चौकी प्रभारी अरविन्द कुमार वर्मा  की बतायी जा रही है। जिसने पूरी तरह से विपक्षियों से मिलकर एक नाबालिग छात्रा के साथ हो रहे अन्याय को बढ़ावा देने का अपराध किया। स्थानीय पुलिस से हारकर पीड़ित छात्रा ने ए.सी.पी. आफिस से लेकर महिला आयोग तक न्याय के लिए प्रार्थना पत्र दिया लेकिन उसकी कहीं सुनवाई नहीं हुई।

आई.जी.आर.एस पर शिकायत से भी नहीं दर्ज हुआ फआईआर 

आरोप यह भी है कि छात्रा द्वारा  आई. जी. आर. एस सं. 20019723025596  के माध्यम से की गयी शिकायत पर थाना शिवपुर के स्थानीय विवेचक अरविन्द कुमार वर्मा द्वारा विपक्षियों से मिलकर झूठी रिपोर्ट लगाकर छात्रा की आवाज की दबाने का अपराध किया गया । छात्रा के उक्त प्रकरण में किसी भी प्रकार का कोई प्रसाशनिक कार्यवाही नहीं हो पाई तब छात्रा ने थक हारकर माननीय न्यायालय के यहां प्रार्थना पत्र दाखिल किया। 
शिवपुर पुलिस के ठेंगे पर कोर्ट का आदेश 

छात्रा के शिकायत को न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए प्रस्तुत प्रार्थना-पत्र अंतर्गत धारा 156 (3) दं.प्र.सं. स्वीकार किया गया और शिवपुर थानाध्यक्ष को आदेशित किया कि प्रार्थना-पत्र में वर्णित घटना के संबंध में समुचित धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर विवेचना कराया जाना सुनिश्चित करें। लेकिन लगभग एक माह बीत जाने के बावजूद शिवपुर थानाध्यक्ष न्यायालय के आदेश को भी ठेंगे पर रखें हैं। ऐसे में यह उठना लाजमी है कि क्या एक थानाध्यक्ष न्यायालय के आदेश पर भी भारी है! एक तरफ सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ जीरो टॉलरेंस और महिला सुरक्षा की बात करते हैं वहीं दूसरी तरफ उनकी ही पुलिस एक छात्रा को न्याय दिलाने में कोर्ट के आदेश को भी ठेंगे पर रख रही हैं।
क्या होती है धारा 156 (3)

दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) एक न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी को यह अधिकार देती है कि वह किसी भी मामले में पुलिस को एफआईआर दर्ज करने हेतु आदेश कर सकता है। ऐसा आवेदन पुलिस को पार्टी बनाकर प्रथम श्रेणी कोर्ट में प्रस्तुत किया जाता है। कोर्ट सबूतों का अवलोकन करती है गवाहों को देखती है और फिर मामले में एफआईआर दर्ज करने और उसके बाद अनुसंधान करने का आदेश कर देती है। अगर मजिस्ट्रेट द्वारा ऐसा आदेश कर दिया जाता है तब संबंधित पुलिस थाना प्रभारी मामले में एफआईआर दर्ज कर लेते हैं और फिर मामले का अन्वेषण शुरू किया जाता है। इस नियम का स्पष्ट उल्लेख है कि अगर कोई भी अधिकारी आपकी एफआईआर दर्ज करने से मना करता है तो इस स्थिति में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत उन पर एक्शन लिया जा सकता है।