शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने किया विष्णु चरण पादुका पूजन

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने किया विष्णु चरण पादुका पूजन

वाराणसी (रणभेरी सं.)। काशी के मणिकर्णिका घाट स्थित श्री विष्णु चरण पादुका जिसे सृष्टि पूर्वकाल से पवित्रतम स्थान माना जाता है। आज उस स्थल पर ज्येष्ठ पूर्णिमा के अवसर पर विशेष पूजन अर्चन का आयोजन किया गया। यह पूजन ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज द्वारा सम्पन्न हुआ। इस धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन श्री काशी तीर्थ पुरोहित सभा के तत्वावधान में किया गया। सभा के अध्यक्ष पंडित मनीष नन्दन मिश्र ने बताया मणिकर्णिका तीर्थ और श्री विष्णु चरण पादुका का उल्लेख अनेकों शास्त्रों एवं पुराणों में मिलता है। शास्त्रों के अनुसार, सृष्टि के पूर्व जब सर्वत्र अंधकार और शून्यता व्याप्त थी, तब निर्गुण निराकार परमेश्वर ने सगुण साकार रूप में प्रकट होने की इच्छा की। उसी इच्छा से भगवान विष्णु का प्राकट्य हुआ। भगवान विष्णु को अपने प्राकट्य का उद्देश्य जानने की जिज्ञासा हुई, तब दिव्य आकाशवाणी द्वारा उन्हें तप करने का आदेश मिला। तप के लिए स्थान न होने की स्थिति में स्वयं परमेश्वर सदाशिव ने पंचक्रोशात्मक अलौकिक काशी का प्राकट्य किया। इसी काशी में वह स्थान, जहाँ भगवान विष्णु ने सहस्रों वर्षों तक कठोर तप किया, आज श्री विष्णु चरण पादुका के नाम से विख्यात है। उन्होंने बताया ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन प्रात: पूजन का कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। इस अवसर पर शंकराचार्य महाराज द्वारा श्री विष्णु चरण पादुका का पंचोपचार पूजन तथा अनादि चक्रपुष्करीणी मणिकर्णिका तीर्थ का विधिपूर्वक मार्जन (शुद्धिकरण) किया गया। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा देशवासियों को आज संकल्प लेना चाहिए कि हमारी गौ माता को राष्ट्र माता का दर्जा जल्द मिले उसे हम दिला कर रहेंगे।