रेत समाधि : गंगा तट पर तीन महीने के भीतर सौ से अधिक शवों को किया गया दफन
प्रयागराज । तीन महीने के भीतर सौ से अधिक शवों को दफनाया जा चुका है। यहां से लगे खुरेसर में भी शवों को दफनाया जा रहा है। बुधवार को एसडीएम सोरांव गणेश कन्नौजिया से जब पूछा गया, तब पहले तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की, बाद में उनका कहना था कि इस पर सख्ती से रोक लगाई जाएगी। प्रभु श्रीराम के वन गमन के पड़ाव शृंग्वेरपुरधाम में गंगा तट पर खुलेआम रेत समाधि दी जा रही है। जबकि, डीएम ने गंगा तटों पर शवों को दफनाने पर रोक लगाई है। इसके बावजूद यहां तीन महीने के भीतर सौ से अधिक शवों को दफनाया जा चुका है। यहां से लगे खुरेसर में भी शवों को दफनाया जा रहा है। बुधवार को एसडीएम सोरांव गणेश कन्नौजिया से जब पूछा गया, तब पहले तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की, बाद में उनका कहना था कि इस पर सख्ती से रोक लगाई जाएगी। ऐसा कब से और कैसे हो रहा है, इसकी जांच भी कराई जाएगी। जहां प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु मां गंगा का पूजन, आरती और स्नान के लिए दूर-दराज के इलाकों से पहुंचते हैं, वहीं इन दिनों गंगा तट पर शवों को दफनाया जा रहा है। शृंग्वेरपुर में गंगा तट पर वर्ष 2017 में भी शवों को दफनाए जाने की बात सामने आई थी। इसके बाद कोरोना काल में तो लोग गंगा तट पर अंतिम संस्कार की बजाए शवों को छोड़कर जाने लगे थे। तब बड़ी संख्या में शवों को यहां दफनाया गया था। इसके बाद जब बाढ़ के दिनों में रेत में ढंके शवों से रामनामी उधड़कर बाहर आने लगी और शव गंगा में बहते देखे जाने लगे, तब इस पर देश भर में शोर-शराबा मचा था। इसके बाद गंगा तटों पर शवों को दफनाने पर रोक लगा दी गई थी। लेकिन, इन दिनों शृंग्वेरपुरधाम के भैरव घाट, सीता कुंड घाट, गऊघाट से थोड़ा पहले बने घाट पर तीन महीने के दौरान सौ से अधिक शवों को दफनाया जा चुका है। गंगा तीरे कब्रिस्तान आकार ले रहा है। इससे हर रोज श्रद्धालुओं को परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। मानसून का समय नजदीक आने के साथ ही ग्रामीणों की चिंता बढ़ती जा रही है। कहा जा रहा है कि बाढ़ के समय गंगा में दफनाए गए शव बहते नजर आने लगते हैं। इससे बदबू फैलती है।
बाहर से शवों को दफनाने आते हैं लोग
थाना नवाबगंज क्षेत्र में सीता कुंड घाट पर शवों को दफनाया जाना प्रशासन की उदासीनता का नतीजा माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि बाहरी लोग यहां शव दफनाने के लिए अधिक संख्या में आ रहे हैं। कोरोना काल के बाद भी शवों को दफनाने से रोका गया था, लेकिन अब फिर रेत समाधि दी जा रही है। यह बेहद चिंता का विषय है। इससे सनातन धर्म को मानने वाले श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत हो रही हैं। - अरुण द्विवेदी अध्यक्ष, शृंग्वेरपुर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट