ज्ञानवापी प्रकरण पर काशी में शुरू हुआ संत सम्मेलन, संतों का ऐलान कोर्ट का फैसला आने तक पूजा नहीं तो नमाज भी नहीं

ज्ञानवापी प्रकरण पर काशी में शुरू हुआ संत सम्मेलन, संतों का ऐलान कोर्ट का फैसला आने तक पूजा नहीं तो नमाज भी नहीं

(रणभेरी): ज्ञानवापी मन्दिर को लेकर शुक्रवार को काशी धर्म परिषद ने लमही के सुभाष भवन में संतों, महंतों, इतिहासकारों एवं सामाजिक कार्यकर्त्ताओं की बैठक आयोजित की। जिसमें कुल 22 प्रस्तावों पर चर्चा हुई। इसमें प्रमुख रूप से संतों ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिले शिवलिंग की तत्काल दर्शन-पूजन की मांग की गई। ऐसा नहीं होने पर ज्ञानवापी परिसर में हिंदुओं के साथ मुस्लिमों का भी आवागमन प्रतिबंधित करने की बात कही गई। कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद के गांव लमही स्थित सुभाष भवन में आयोजित बैठक में विभिन्न मठों के मठाधीश, साधु-संत समेत कई सामाजिक कार्यकर्ता और इतिहासकार शामिल हुए।संतों ने कहा कि अदालत का फैसला आने तक ज्ञानवापी में पूजा नहीं तो नमाज भी बंद होनी चाहिए। 

काशी के संतों के समक्ष काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. मृदुला जायसवाल ने पावर पॉइंट के माध्यम से काशी पर हुए मुस्लिम आक्रमण को प्रदर्शित किया। साक्ष्यों के माध्यम से यह बताया कि औरंगजेब ने 1669 ई. में आदि विश्वेश्वर के मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया था। इसका स्पष्ट साक्ष्य साकी मुस्तईद खान की पुस्तक मासिर–ए–आलमगीरी में मौजूद है। अंग्रेज यात्री राल्फ फिच एवं पीटर मंडी ने आदि विश्वेश्वर के पूजा का उल्लेख किया है। फ्रांसीसी यात्री बर्नियर एवं टैवर्नियर ने 1665 ई. में आदि विश्वेश्वर की पूजा का वर्णन किया है। सभी प्रस्तुत साक्ष्यों से काशी के संत संतुष्ट हुए और ज्योतिर्लिंग के वहां होने की घोषणा की। अधिवक्ता आत्म प्रकाश सिंह ने 1991 के एक्ट के साथ हिन्दुओं के पूजा करने के मौलिक अधिकार के सभी कानूनी साक्ष्य प्रस्तुत किये। काशी के संतों ने कानूनी तौर पर पूजा के अधिकार को मांगने का फैसला किया। सखी श्याम प्रिया ने कहा कि कोर्ट और सरकार की सहायता से हम मंदिर लेंगे और हम कानून के रास्ते जाकर महादेव का जलाभिषेक करेंगे। सनातन धर्म मानता है कि अगर संतों ने मान लिया है कि मंदिर का निर्माण करना है तो यह संसार के लिये लाभदायक होता है।

बैठक की अध्यक्षता कर रहे पातालपुरी मठ के महंत स्वामी बालक दास ने कहा कि ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंगनुमा आकृति मिली है। बावजूद इसके हमें हमारे आराध्य देवता की पूजा करने से रोका जा रहा है। वहीं मस्जिद में आम दिनों की तरह नमाज पढ़ी जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि हमारी पूजा पर रोक है तो नमाज अदा करने पर भी प्रतिबंध लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि मस्जिद में नमाज अदा की जाएगी तो हम भी पूजा करने की मांग करेंगे। ऐसे में एक ही तरीका है कि जब तक इस मामले में कोर्ट का फैसला नहीं आता तब तक ज्ञानवापी में हिंदुओं के साथ ही मुस्लिमों के आवागमन पर भी प्रतिबंध लगाया जाए। दोनों पक्षों के साथ एक तरह का व्यवहार किया जाए।

संत परिषद ने मुस्लिम धर्मगुरूओं से अपील की कि वो सनातन धर्म के प्रमुख आस्था के केंद्र पर से अपना दावा छोड़ें। इतना ही नहीं धर्म परिषद में इस बात पर भी सहमति बनी की मक्का और मदीना के इमामों को पत्र लिखकर औरंगजेब के काशी के मंदिरों के विध्वंस के इतिहास को बताया जाएगा । काशी धर्म परिषद में जिन प्रस्तावों पर मुहर लगी उनमें वर्शिप एक्ट 1991 को खत्म करने और शिवलिंग के साथ छेड़छाड़ करने वालों पर तत्काल मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई है।