नियम कानून सब बेकार, लंका क्षेत्र में चल रहा अवैध स्टैंड का कारोबार
- खुलेआम होती है वसूली, स्थानीय पुलिस चौकी का पूरा है सहयोग
- एक तरफ सड़कों को किया जा रहा अतिक्रमणमुक्त, दूसरे तरफ भगवानपुर जाने वाली सड़क अतिक्रमण युक्त
वाराणसी (रणभेरी सं.)। पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने जब अतिक्रमण के खिलाफ मुहिम की शुरूआत की तो इसका असर पूरे शहर में देखने को मिला। सड़के खाली होने से जाम की समस्या से शहर वर्षों बाद मुक्त दिखा। लंका पुलिस भी अपने क्षेत्रों में अतिक्रमणकारियों को खदेड़ कर भगाया। रोज गश्त की। लेकिन यही पुलिस लंका ही क्षेत्र के ट्रॉमा सेंटर-भगवानपुर रोड को अतिक्रमण और अवैध स्टैंडों से मुक्त नहीं करवा पाई। अवैध स्टैंड और अतिक्रमण के कारण एक तरफ जहां ट्रॉमा सेंटर आने वाले मरीजों को फजीहत झेलनी होती है वहीं दूसरे तरफ उस रास्ते से जाने वाले आम नागरिक और स्कूली बच्चों को भी परेशानी झेलनी पड़ती है। मालवीय चौराहे के पास भी आटो स्टैंड लगाकर वसूली की जा रही है। सूत्रों की माने तो अवैध स्टैंड से वसूली में स्थानीय थाना का पूरा सहयोग मिलता है। इन्हें न सीपी के आदेश की फिक्र है ना ही जाम की फिक्र, न ही नियम कानून की चिंता। आला अधिकारी शहर को जाम से मुक्ति दिलाने का जामा भले ही पहनाते हो, परन्तु जमीनी हकीकत ये है कि उनके ही स्थानीय अधिकारी ये नहीं चाहते कि आम जनता को जाम से मुक्ति मिले क्योंकि जिस वजह से जाम लगता है वो साहब की कमाई का जरिया है।
शहर के भीड़ भाड़ इलाकों में लापरवाही, वसूली व मनमर्जी का बोलबाला चल रहा है। लंका थाना क्षेत्र में कई जगहों पर प्रतिबंधित क्षेत्रों में भी अवैध आटो, क्रुजर का संचालन हो रहा है बावजूद इसके स्थानीय प्रशासन जान कर भी अनजान है। सूत्रों की माने तो स्थानीय पुलिस चौकी की शह पर प्रतिबंधित क्षेत्रों में आटो स्टैंड का संचालन व खुलेआम वसूली होती है। वसूली का कुछ अंश स्थानीय थानों तक पहुंचाया जाता है यही वजह के सीपी के आदेश के बाद भी इनपर कोई कार्यवाही नहीं होती। आज भी बीच चैराहों पर नियम कानून की जमकर धज्जियां उड़ाई जाती है पर कोई टोकने वाला नहीं। स्थानीय प्रशासन सबकुछ जानते हुए भी आंख पर पट्टी बंधे हुए है। प्रशासन द्वारा हर चौराहों पर होर्डिंग लगी है कि चौराहों के 100 मीटर के दायरे में पार्किंग न किया जाए, बावजूद इसके मालवीय चौराहे से लेकर रविदास गेट तक आटो रिक्शा व वाहनों का जमावड़ा लगा रहता है। आटो व टोटो चालक बिना किसी डर के चौराहों पर सवारी भरते और उतारते है।