NIA-ED की ताबड़तोड़ छापेमारी, PFI के 106 सदस्यों पर शिकंजा, केरल-कर्नाटक समेत कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन शुरू
(रणभेरी): आतंकवादियों की कमर तोड़ने के लिए आज नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने गुरुवार आधी रात से 13 राज्यों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के कई ठिकानों पर छापेमारी कर 106 सदस्यों को अरेस्ट किया गया है।गिरफ्तार होने वालों में संगठन प्रमुख ओमा सालम भी शामिल है।NIA और ED की यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, असम, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रेदश, पुडुचेरी और राजस्थान में चल रही है। इधर, कार्रवाई के बीच गृह मंत्रालय में गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हाई लेवल मीटिंग हुई। मीटिंग में NSA अजीत डोभाल, गृह सचिव अजय भल्ला और NIA के महानिदेशक मौजूद रहे।
NIA, ED छापेमारी खिलाफ PFI के कार्यकर्ता केरल के मल्लपुरम, तमिलनाडु के चेन्नई, कर्नाटक के मंगलुरु में सड़कों पर उतर आए हैं। केरल में कार्यकर्ताओं ने सड़क जाम भी किया, जिसे हटाने के लिए पुलिस ने हल्के बल का प्रयोग किया। इधर, PFI ने बयान जारी करते हुए कहा है कि आवाज दबाने के लिए यह कार्रवाई की जा रही है। सेंट्रल एजेंसी हमें प्रताड़ित कर रही है।
जुलाई में पटना पुलिस ने फुलवारी शरीफ में छापेमारी कर आतंकी साजिश का खुलासा किया था। खुलासे के मुताबिक आंतकियों के निशाने पर प्रधानमंत्री मोदी थे। इस केस में PFI के कार्यकर्ताओं का नाम सामने आने के बाद सितंबर में NIA ने बिहार में छापेमारी की थी। कर्नाटक के उडुपी में इसी साल के शुरुआत में हिजाब का विवाद शुरू हुआ। कर्नाटक सरकार के मुताबिक इस विवाद के पीछे भी PFI के कार्यकर्ता थे। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि PFI की साजिश की वजह से कर्नाटक में हिजाब का विवाद पैदा हुआ। समाज में सांप्रदायिकता फैलाने के आरोप में PFI अभी सिर्फ झारखंड में ही बैन है। इसके खिलाफ संगठन ने कोर्ट में अपील भी की है। वहीं केंद्र सरकार भी PFI पर शिकंजा कसने की तैयारी में है। इसके लिए अगस्त में ही एक टीम बनाई गई थी, जिसे 3 मोर्चे पर काम करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
- PFI के नेटवर्क की मैपिंग करना। शुरुआत कर्नाटक से, लेकिन देश के उन सभी इलाकों का भी एक मैप तैयार होगा जहां PFI से जुड़ा एक भी व्यक्ति रहता है।
- PFI की फंडिंग के सोर्सेज का का पता लगाना। साथ ही उससे जुड़े सारे डॉक्युमेंट कलेक्ट करना।
- PFI का नाम जिन-जिन दंगों या फिर घटनाओं में आया उन सभी मामलों को जॉइंट टीम रीविजिट करेगी।
18 सितंबर को केरल के कोझिकोड में एक रैली के दौरान PFI नेता अफजल कासिमी ने कहा था- संघ परिवार और सरकार के लोग हमें दबाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इस्लाम पर जब भी खतरा होगा तब हम शहादत देने से पीछे नहीं हटेंगे। कासिमी ने कहा- यह आजादी की दूसरी लड़ाई है और मुसलमानों को जिहाद के लिए तैयार रहना है।
केरल में 2010 में कॉलेज के प्रोफेसर टीजे जोसेफ कट्टरपंथियों के निशाने पर आए थे। प्रोफेसर जोसेफ ने परीक्षा के लिए तैयार क्वेश्चन पेपर में 'मोहम्मद' नाम लिखा था। जोसेफ पर धार्मिक भावनाएं आहत करने और ईशनिंदा का आरोप लगा। कट्टरपंथियों ने उनके दाएं हाथ को काटकर बोले- इस हाथ से तुमने पैगंबर का अपमान किया। इसलिए इस हाथ से अब तुम्हें दोबारा कभी नहीं लिखना चाहिए। यह पहली घटना थी जब भारत में PFI का नाम ईशनिंदा के खिलाफ किसी मामले में जुड़ा था।
पीएफआई के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की यह कार्रवाई आतंकवाद का समर्थन करने, प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने और प्रतिबंधित संगठनों में शामिल होने के लिए लोगों को कट्टरपंथी बनाने वालों के खिलाफ की जा रही है। पीएफआई के खिलाफ इसे एनआइए की अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई बताया जा रहा है। ये तलाशी आतंकवाद का समर्थन करने, प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने और प्रतिबंधित संगठनों में शामिल होने के लिए लोगों को कट्टरपंथी बनाने वालों के खिलाफ की जा रही है।