गर्दन में रॉड घुसने से जान गंवाने वाले युवक के घर जाएंगे BHU के प्रोफेसर, करेंगे आर्थिक मदद

गर्दन में रॉड घुसने से जान गंवाने वाले युवक के घर जाएंगे BHU के प्रोफेसर, करेंगे आर्थिक मदद

वाराणसी (रणभेरी): सुल्तानपुर जिले में शुक्रवार की सुबह दिल्ली से आ रही नीलांचल एक्सप्रेस में सवार एक यात्री की सोमना और डांबर रेलवे स्टेशन के बीच लोहे की रॉड गर्दन में घुस जाने से मौत हो गई। हादसे के बाद ट्रेन में खलबली मच गई। यात्री की पहचान सुल्तानपुर के हरिकेश दुबे पुत्र संतराम निवासी गोपीनाथपुर सुल्तानपुर के रूप में हुई है। ये घटना ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है। युवक के परिवार की मदद के लिए वाराणसी स्थित BHU के सर सुंदरलाल अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो. विजय नाथ मिश्रा आगे आए हैं। उन्होंने कहा कि 11 दिसंबर को युवक के घर जाऊंगा और 51 हजार रुपए की आर्थिक मदद करूंगा। इसके अलावा भी पीड़ित परिवार के लिए सदैव खड़ा रहूंगा।

नीलांचल एक्सप्रेस से यात्रा कर रहे हरिकेश दूबे दिल्ली में रहकर नौकरी करते थे। वह शुक्रवार की सुबह नीलांचल एक्सप्रेस से घर लौट रहे थे। बताया जा रहा है कि घटनास्थल पर रेलवे के स्तर से निर्माण कार्य हो रहा था। इसी दौरान लोहे की रॉड ट्रेन के कोच के शीशे को तोड़ते हुए सीट पर सवार यात्री की गर्दन में जा घुसी। जिससे युवक की मौत हो गई। घटना के बाद युवक के परिवार में कोहराम मचा हुआ है वहीं बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो. विजय नाथ मिश्रा युवक के परिवार की मदद के लिए आगे आए हैं। 

प्रो. विजय नाथ मिश्रा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा- 'आज ट्रेन में, सरिया से व्यक्ति की मौत हो गई। ना जाने, परिवार किस हाल में होगा! मैं उनके परिवार को आर्थिक मदद करना चाहता हूँ। अगर कोई परिवार का फ़ोन न. या पता दे दे तो मैं सहायता पहुँचा देता! अगर कोई बच्चे पढ़ रहे हों तो, एक के पढ़ाई का ज़िम्मेदारी ले लेता।

एक दूसरे पोस्ट में उन्होंने लिखा- 'मुझे मृतक के घर का फ़ोन नंबर मिल गया है। पता चला कि परिवार चांदा के हैं। आज से, 23 वर्ष पहले, लखनऊ से बनारस, जाते समय मेरी फ़िएट ख़राब हो गई थी। मैं अकेला था और रात के, डेढ़ बज रहे थे! ठंड का समय, और सुनसान इलाक़ा! एक वृद्घ मूँछों वाला आदमी दिखा, तो पता चला कि ये जगह है, चांदा! उन्होंने उस रात में, मैकेनिक बुलवाया, मेरी गाड़ी ठीक करवाई! फिर आते जाते, मेरी मुलाक़ात उनसे दो बार हुई। उनका एक ढाबा था। उस रात को मैं कभी नहीं भूलता। अब लगता है, चांदा का रिढ़्ड (ऋण) उतारने का समय आ गया। एक हफ़्ते में जाऊंगा और परिवार को, अपने परिवार की और से, 51,000/- भेंट करूगा।