महिलाएं अपने सपनों को अधुरा न छोड़े - डा. किरण कौशिक
"मां ईश्वर का दिया हुआ सबसे बड़ा आशीर्वाद हैं। एक मां का अपने बच्चों के प्रति जो निःस्वार्थ प्रेम होता है, उसकी तुलना इस दुनिया में किसी और चीज से नहीं की जा सकती है..."
वाराणसी (रणभेरी) । हर साल मई के दूसरे संडे को मदर्स डे पूरी दुनिया में काफी खास और अनोखे तरीकों से मनाया जाता है। इस वर्ष ये खास दिन 12 मई को मनाया गया। यह दिन सभी माताओं को सम्मान और उनका आभार जताने का खास अवसर होता है। 'मां' वह शब्द हैं जो दुनिया के हर इंसान के लिए सबसे खास होता है। मां और बच्चों का रिश्ता सबसे प्यारा होता है। मां का प्यार वह ईंधन है जो एक सामान्य इंसान को असंभव काम करने में सक्षम बनाता है। जिससे उसकी गाड़ी सफलता की पटरी पर दौड़ने लगती है। हम सभी के जीवन में मां का स्थान सबसे उपर होता है। क्योंकि, मां वो पहली गुरु होती हैं जो हमें चलना, बोलना और प्यार करना सिखाती है ।
इस वर्ष मदर्स डे के ख़ास मौके पर वाराणसी से प्रकाशित हिंदी सांध्य दैनिक समाचार पत्र ने तमाम चुनौतियों के बीच सामाजिक एवं व्यवसायिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के साथ-साथ अपने बच्चों के प्रति ममत्व कायम रखने वाली उन माताओं का सम्मान किया जो चुनौतियों को पार करते हुये निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर हैं।
रणभेरी परिवार की ओर से वाराणसी में पॉपुलर हास्पिटल की मैनेजिंग डायरेक्टर डा. किरण कौशिक को सम्मानित किया गया। डा. किरण कौशिक को रणभेरी मीडिया वेंचर प्राईवेट लिमिटेड की मैनेजिंग डायरेक्टर व अखबार की सम्पादक डा.शुमैला आफ़रीन ने सम्मानित किया। चिकित्सा के क्षेत्र में सेवा के साथ-साथ अपने एक स्पेशल चाइल्ड के प्रति दिल में बेशुमार मोहब्बत रखने वाली "मां" डा. किरण कौशिक को मदर्स डे के अवसर पर डा.शुमैला आफ़रीन ने रणभेरी परिवार की ओर से बधाई दी।
इस मौके पर डा. किरण कौशिक ने बताया कि "मैं भी तीन बच्चों की मां हूं मेरे लिए थोड़ा सा चैलेंज ये रहा की एक चिकित्सक होने के साथ-साथ मेरा बड़ा बच्चा 'स्पेशल चाइल्ड' है और मेरे 2 बच्चे एम्स में है। यह मेरे लिए एक बड़ा चैलेंज था, 2 नॉर्मल बच्चों के साथ 1 स्पेशल चाइल्ड को ब्रिंगअप करना और मुझे लगता है वैसे तो हर मां को एक चैलेंज होता है, खास कर के अगर वो नौकरीपेशा होती है तो क्योंकि उनको घर और बाहर दोनों की जिम्मेदारी निभानी पड़ती है। डा. किरण कौशिक ने कहा कि मुझे लगता है हर मां अपने बच्चे की एक पहली टीचर होती है। जब बच्चा अच्छा करता है तो भी मां की प्रशंसा होती है, और अगर बच्चा कुछ गलत करे या गलत संगत में हो तो भी माँ पर सवाल उठाया जाता है कि बच्चे को क्या संस्कार दिया था ?
जिस माँ की बेटी हो उसके साथ भी यही होता है बेटी के ससुराल में अक्सर यह सुना जा सकता है कि 'मां ने तुमको ये नही सिखाया, मां ने तुमको वो नही सिखाया'। डा. किरण भावुक होते हुये कहती हैं कि हालांकि मेरी तो बेटी नहीं है लेकिन मां की जिनकी बेटियां होती है उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। मां बनने के बाद अक्सर महिलाओं के सपने, सपने ही रह जाते हैं उन्हें अपने सपनों को अधूरा ही छोड़ना पड़ जाता है क्यूंकि एक अपने बच्चों को ही अपनी असल दुनिया बना लेती है।
मदर्स डे के मौके पर मै यही कहना चाहूंगी कि आज की महिलाएं कम से कम अपने सपनों को अधुरा न छोड़े, कभी न कभी शायद उस समय नहीं तो बाद ही सही लेकिन हर एक मां को अपने सपने को जरूर पूरा करना चाहिए।