काव्य-रचना
बिरसा मुण्डा जयंती
बात जब भी
जल, जंगल ज़मीन की
अस्मिता पर आएगी
चहुँ ओर बिजली बन
बिरसा के बाण
कमान से लहराएगी
न गोरों से न चोरों से
हम अपना शीष नवाएँगे
जब भी प्रकृति की
क्षति होगी
हम उलगुलान मचाएँगे
हम उलगुलान मचाएँगे।
-कृष्णा