काव्य-रचना
मतलबी
मैंने जहां देखा,
मैंने तहा देखा।
लोग मुझसे जुड़े
बस मतलब के लिए,
न मेरे विचारों के लिए
न मेरे लिए।
जो भी मुझसे मुस्काया
किसी न किसी,
मतलब के लिए
फरेब के लिए।
न की अपनेपन के लिए
हसीन आंखों ने मुझे भी तका
पर न प्रेम के लिए
न वफ़ा के लिए
बस एक चलते-फिरते
हमसफर के लिए।
राजीव डोगरा