काव्य-रचना
जाओ तुमको आज़ाद किया
जाओ तुमको आज़ाद किया।
इस नाम के झूठे रिश्ते से।
बेशक तुमने मुझे बर्बाद किया ।
जाओ तुमको आज़ाद किया ।
जब दिल से तुम्हें लगाया था ।
तब तुमने ही समझाया था ।
मै ही बस तेरी दुनिया हूं।
ये तुमने ही तो बताया था ।
किस्मत ने हमे मिलाया था
फिर तुमने ही क्यो रुलाया था ?
किसी और के कैसे हो गये तुम ?
कितनी शिद्दत से मैंने पाया था ।
खैर ,,,,कुबूल तेरी फ़रियाद किया ।
जाओ तुमको आज़ाद किया।
जब साथ तुम्हारा साया था।
ख़्वाबों का शहर बनाया था।
जन्नत सी मेरी उस दुनिया से
तुमने यू अचानक जगाया था
कि जो कुछ मैंने पाया था,
इक पल मे ही सब गंवाया था ।
मोहब्बत तो तेरी बस मैं थी ना ?
फिर क्यूँ दिल किसी से लगाया था ?
यू इश्क़ जो तुमने मेरे बाद किया
जाओ तुमको आज़ाद किया
रुख़सार खान