काव्य-रचना
"मन की सोच बदलो"
ये अच्छा है
ये खराब है,
ये ऐसा क्यों है?
ये वैसा क्यों है?
ये क्या हो रहा है?
ऐसा होना चाहिए
ऐसा नहीं होना चाहिए,
इसे ऐसा करना चाहिए
इसे ऐसा नहीं करना चाहिए,
मुझे कोई समझता नहीं,
कैसा समय आ गया ?
जो बातें रह गई दबी मन में,
मन को व्याकुल कर सदा
वो तनाव पैदा करती है।
लोग शायद बदल गए हैं, परस्थिति सही नहीं है,
स्थिति बिगड़ रही है,
सारी जिंदगी इंसान
इन्हीं सवालों के,
जवाब ढूंढने की कोशिश में
उलझा रहता है।
खुशी की चाह में
हमेशा दुःखी रहता है,
अगर सच में
खुशी चाहते हो तो,
परस्थिति बदलने की
बजाय अपनी
मन की स्थिति बदलो ।।
बस दुःख सुख में बदल जाएगा।
सुख दुख आख़िर दोनों
हमारे अपने मन की ही
तो समीकरण है।
बस आपका दृष्टिकोण
सकारात्मक होना चाहिए।।
काजल कुमारी