मात्र ढाई मीटर में सिमट कर रह गई है असि नदी

नदी के जीर्णोद्धार की सर्वे रिपोर्ट तैयार कर विभाग ने डीएम को भेजा, बताया - बिना अतिक्रमण हटाए नदी का जीर्णोद्धार संभव नहीं
वाराणसी (रणभेरी सं.)। भूमि संरक्षण विभाग ने असि नदी के जीर्णोद्धार की सर्वे रिपोर्ट तैयार कर ली है। डीएम को भेजी रिपोर्ट में कहा गया है कि बिना अतिक्रमण हटाए नदी का जीर्णोद्धार संभव नहीं है। चितईपुर बाहरी में नदी के क्षेत्र में निर्माण कार्य कर घर और औद्योगिक क्षेत्र बना लिया गया है। वहां नदी की चौड़ाई कुछ जगहों पर 2.5 से तीन मीटर ही बची हैं। नदी के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण कर लिया गया है। इसी तरह करौंदी, करमजीतपुर, नेवादा, सरायनंदन, सुंदरपुर, नरिया, साकेत नगर और नगवां में न केवल नदी के अंदर निर्माण कार्य हुआ है बल्कि पास के घरों का कूड़ा भी नदी में फेंका जा रहा है। इससे नदी का क्षेत्र सिकुड़ कर और कम हो गया है। बदबू से किनारे खड़ा होना भी मुश्किल है।रिपोर्ट के मुताबिक असि नदी के उद्गम स्थल कंदवा झील से लेकर अस्सी घाट तक नदी के कुल आठ किमी के मार्ग का सर्वेक्षण किया गया। सर्वे के दौरान पाया गया कि उद्गम स्थल पर सिल्ट और गाद जमा हो जाने की वजह से अपवाह क्षेत्र का जल संग्रहण करने की क्षमता समाप्त होने को है। उद्गम स्थल पर नदी अवशिष्ट दशा में आ गई है। आगे चलने पर नदी में घरों एवं रिहायशी क्षेत्र का अवशिष्ट व प्रदूषित जल मिलना शुरू हो गया है। उद्गम से एक किमी आगे तक दो तालाब प्राचीन समय के बने हुए हैं। उनमें गंदा प्रदूषित जल पाया गया। जो अब जलमग्न भूमि के रूप में बचा है। इससे नदी का क्षेत्र सिकुड़ कर कम हो गया है और बदबू से किनारे खड़ा होना भी मुश्किल है। क्षेत्र के निवासी इस नदी को अब नाला के नाम से संबोधित करते हैं। विभाग ने दिए ये सुझाव विभाग ने सुझाव देते हुए कहा है कि सबसे पहले उद्गम स्थल के जीर्णोद्धार की जरूरत है। अतिक्रमण किए गए निर्माण को हटाने की आवश्यकता है। पूरा नदी का क्षेत्र वर्तमान में नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत आता है। बिना अतिक्रमण हटाए वर्तमान स्थिति में नदी का जीर्णोद्धार कार्य करना संभव नहीं है। बता दें कि पिछले महीने डीएम ने एक बैठक में विभाग से असि नदी के जीर्णोद्धार करने के लिहाज से भूमि संरक्षण अधिकारी से रिपोर्ट मांगी थी।
अधिकारी कर चुके हैं मुआयना
पिछले साल जुलाई से पहले असि नदी को मुक्त कराने की योजना के तहत कंदवा से कंचनपुर तालाब तक अधिकारियों ने मुआयना किया था और अतिक्रमण हटाने का खाका भी तैयार किया था।
बाढ़ के पहले ही अतिक्रमण मुक्त कराने का आदेश दिया गया था, लेकिन अगस्त से लेकर नवंबर के बीच धार्मिक आयोजन और त्योहारों के चलते इस पर ध्यान नहीं दिया गया। कंदवा से अस्सी घाट तक असि नदी अब पूरी तरह नाले में तब्दील हो चुकी है।
2019 में एनजीटी ने दिया था आदेश
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण यानी एनजीटी की निगरानी समिति ने 2019 में असि नदी के किनारे प्रस्तावित हरित पट्टी को धरातल पर लाने का आदेश दिया था। इसके बाद भी असि नदी के किनारे निर्माण हो रहा हैस नदी में मलबा डाला जा रहा है, घरों का गंदा पानी भी बह रहा है। असि नदी के किनारे मकान, अस्पताल, होटल, अपार्टमेंट बन रहे हैं। अब तक ना अतिक्रमण हटा और ना ही अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई। इसकी वजह से अतिक्रमण करने वाले बेखौफ होकर अभी भी निर्माण कर रहे हैं।