घूसखोरी का भूख : वाराणसी में नहीं थम रही रिश्वतखोरी
वाराणसी (रणभेरी सं.)। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) की टीम ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्लर्क रंजीत कुमार को 75 हजार रुपए घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। इसके पहले 14 नवंबर को वीडीए के संपत्ति विभाग के कनिष्ठ लिपिक को पांच हजार रुपए घूस लेते हुए रंगेहाथ पकड़ा गया था। ये दोनों घूसखोर इसलिए पकड़े गए, क्योंकि शिकायतकर्ता ने साहस दिखाया, जबकि सच्चाई यह है कि वाराणसी में कई विभागों में बिना घूस के कोई काम नहीं होता। प्रदेश सरकार की सख्ती और भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति के बावजूद सरकारी कर्मचारी घूस लेने से बाज नहीं आ रहे। सबकुछ आॅनलाइन होने के बावजूद वाराणसी समेत पूरे रेंज में भ्रष्टाचार भी तेजी से बढ़ा है। इसके खिलाफ लड़े में जौनपुर आगे हैं। साल 2023 से अब तक सबसे ज्यादा 18 भ्रष्टाचारी जौनपुर से ही पकड़े गए हैं। इसके बाद 14 भ्रष्टाचारी के साथ वाराणसी दूसरे नंबर है। गाजीपुर से आठ और चंदौली से महज एक की गिरफ्तारी हुई।
दो वर्ष में 14 भ्रष्टाचारी राजस्व विभाग से धराए
वाराणसी के एंटी करप्शन थाना अंतर्गत कुल चार जिले आते हैं। वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर और जौनपुर के लोग यहां शिकायत कर सकते हैं। साल 2023 से अब तक यहां 37 मामलों में राजस्व, पुलिस, स्वास्थ्य समेत अन्य विभागों के 41 कर्मचारियों, अधिकारियों को घूस लेते पकड़ा गया। इनमें जौनपुर के लोनिवि लिपिक जागेंद्र यादव, राजस्व निरीक्षक रामसेवक यादव, लेखपाल मुकेश कुमार, सत्येंद्रदत्त द्विवेदी, रामविलास मौर्य, अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी रोहित मिश्र, नगर पालिका का लिपिक संतोष कुमार, कार्यवाहक जिलेदार आशीष कुमार, ट्रेजरी आफिस के लेखाकार दयाराम गुप्ता, लेखपाल स्वदेश पांडेय, तारकेश्वरनाथ सिंह, सन्नी वाल्मीकि, एसआई झिल्लू राम, सिपाही सूर्यप्रकाश, रजिस्ट्रार सुभाषचंद, एसआई हैदर अली शामिल हैं।
बढ़ गए एक्शन
दो साल पहले तक वाराणसी इकाई का दायरा जोन के सभी 10 जिलों तक था। अब आजमगढ़ और मिजार्पुर में रेंज स्तर की नई इकाइयां खुल गईं। वाराणसी इकाई अंतर्गत चार जिले हैं, जिससे कार्रवाई तेज हो गई है। लंबी प्रक्रिया के कारण रिश्वत देते समय शिकायतकर्ता का पैसा वापस मिलने में चार से पांच साल लगता था। अब चार से पांच माह में ही पैसा वापस हो जा रहा है।
कमिश्नरेट पुलिस आफिस में चस्पा हेल्पलाइन नंबर
राजस्व की तरह पुलिस विभाग में सूर्य कुमार पांडेय, अनोभा तिवारी घूस लेते रंगे हाथ पकड़े गए थे। इसके बाद पुलिस कमिश्नर ने एलआईयू से जांच कराई तो बनारस में ऐसे कुल 55 पुलिसकर्मी चिन्हित हुए, जिन पर पहले भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। इसमें सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर रैंक तक के पुलिसकर्मी शामिल हैं। यह रिपोर्ट खुद एलआईयू ने पुलिस कमिश्नर को दी है। इन पुलिसकर्मियों पर अब भी नजर रखी जा रही है। पुलिस आफिस में व्याप्त कथित भ्रष्टाचार पर पुलिस उपायुक्त मुख्यालय प्रमोद कुमार ने पुलिस आफिस में 50 से ज्यादा स्थानों पर अपने आदेश की प्रति चस्पा कराई है, जिसमें विभागीय लिपिक के घूस मांगने पर सीधा अपने सरकारी मोबाइल नंबर (9454405426) पर फोन करके शिकायत दर्ज कराने की बात कही है। एक अन्य आदेश में भी उन्होंने पुलिसकर्मियों की समस्या/अवकाश की सीधी सुनवाई करने की बात कही है। कहा है कि वह सुबह 10 बजे से दोपहर में दो बजे तक जनता के साथ पुलिसकर्मियों की समस्याएं भी सुनेंगे। पुलिस उपायुक्त ने बताया कि पुलिसकर्मी अपनी समस्या में उलझे रहेंगे तो जनता की सुरक्षा कैसे कर पाएंगे। सिपाही से इंस्पेक्टर तक पुलिसकर्मी अपनी छोटी-छोटी समस्या के लिए बाबुओं के यहां चक्कर काटते हैं। बाबुओं को भी हिदायत दी गई है, किसी को अनावश्यक परेशान न करें।
इस नंबर पर करें शिकायत
सतर्कता अधिष्ठान की टीम ने जन सामान्य के लिए मोबाइल नंबर 9454401866 जारी किया है। इस नंबर पर कोई भी शिकायत कर सकता है। सतर्कता अधिष्ठान की टीम घूस मांगने वाले कार्रवाई कार्रवाई कर भ्रष्टाचार पर प्रहार करेगी।