काव्य-रचना

काव्य-रचना

         मां            

एक बार फिर से बचपन 
जीने को दिल चाहता है।
वो एक टाफी से ही मान 
जाने को दिल चाहता है।
मां की वो फिक्र भरी डांट 
खाने को दिल चाहता है।
छोटी सी चोट भी मां को 
दिखाने को दिल चाहता है।
मां तेरी गोद में सर रखकर 
सबकुछ भूल जाने को दिल चाहता है।
सबसे नाता तोड़कर फिर से तेरी 
छांव में आने को दिल चाहता है।

प्रिया मिश्रा