काव्य रचना
...अग्निपथ...
किसान के बेटे हैं ,रोटी की भूख है ।
सो कर सुबह सड़क पर हौसलों से है लथपथ ।
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।।
छोड़ दो ऐ हुक्मरानों जिद अपनी
वतन की रक्षा के लिए जवान है प्रतिबद्ध।
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।।
है धरा ने जन्म दिया अपनी कोख से।
माथे पर बांधे है कफ़न की शपथ ।
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।।
जो तमन्ना जाग उठी है रूह में।
नैछावर कर देगें जमीं को अपना मस्तक।
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।।
लाल तेज सूर्य की किरणें चमका रही है कफ़न को तेरे।
थक गया है लाल मेरे सो जा कफ़न ओढ़ के सरपट।
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।।
जन्म देकर धरा तुझे बना रही है तूफान सा वीर।
उठ खड़ा हो जाग जा दौड़ अपने संघर्ष के पथ।
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।।
-कन्हैया लाल