ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में कूदा PFI, कहा- फासीवादी एजेंडे को मिलेगा हौसला
वाराणसी (रणभेरी): ज्ञानवापी -मां श्रृंगार गौरी केस सुनवाई योग्य है। वाराणसी की जिला कोर्ट के आदेश पर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने आपत्ति जताई है। PFI के चेयरमैन ओएमए सलाम ने बयान जारी कर कहा है कि ''ज्ञानवापी मस्जिद के आदेश से अल्पसंख्यक इबादतगाहों को निशाना बनाने के फासीवादी एजेंडे को हौसला मिलेगा। पॉपुलर फ्रंट सदियों पुरानी मस्जिद की रक्षा में मसाजिद कमेटी के संघर्ष का समर्थन करता है। पॉपुलर फ्रंट जिला अदालत के आदेश को हाईकोर्ट में चैलेंज करने के मसाजिद कमेटी के फैसले के साथ खड़ा है।''
एमए सलाम के अनुसार, "अदालत ने आदेश सुनाते समय पूजा स्थल एक्ट 1991 को नजर अंदाज किया है। इस एक्ट को धार्मिक संपत्तियों पर सांप्रदायिक राजनीति को रोकने के लिए पारित किया गया था। जैसा की बाबरी मस्जिद के साथ हुआ। श्रृंगार गौरी याचिका की मंशा ही गलत है और सांप्रदायिक तत्वों ने बुरे उद्देश्य के तहत इसे पेश किया है।"ओएमए सलाम का कहना है, "देश को अब आवश्यकता है कि लोगों के एक वर्ग के द्वारा अन्य लोगों के धार्मिक स्थलों और संपत्तियों पर दावा करने का खतरनाक रुझान हमेशा के लिए समाप्त हो।
दुर्भाग्य से अदालत ने एक तंग-नजरी भरा फैसला दिया है। ऐसा लगता है कि याचिका पर सुनवाई करते समय इस बात को नजरअंदाज कर दिया गया है कि किस तरह से सांप्रदायिक फासीवादियों ने भारतीय समाज में ध्रुवीकरण पैदा करने के लिए दशकों तक बाबरी मस्जिद को इस्तेमाल किया।"उसके चलते देश भर में कई निर्दोषों की जान गई और काफी तबाही मची। हालिया फैसले से देश के अन्य हिस्सों में भी अल्पसंख्यक इबादतगाहों पर इसी तरह के झूठे दावे और हमले करने का हौसला मिलेगा।"