चस्पा कर नोटिस, दाग धुलने की कोशिश !

चस्पा कर नोटिस, दाग धुलने की कोशिश !

हादसों के बाद बढ़ गया जर्जर मकानों का आंकड़ा, सिर्फ नोटिस और बयानों तक सिमित रह जाती कार्रवाई 

वाराणसी (रणभेरी सं.)। जिम्मेदारों की लापरवाही से लोग हादसों का शिकार हो जाते हैं लेकिन जिम्मेदार नोटिस और बयानों का खेल खेलकर अपने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं। बरसात हो जाए या थोड़ी तेज आंधी आए तो आसपास रहने और उधर से गुजरने वालों का दिल दहल जाता है। इसके बाद भी नगर निगम जर्जर भवनों को नोटिस देने तक ही सीमित रहा है। जर्जर इमारतों को ध्वस्त करने की कार्रवाई लंबे समय से नहीं हुई है। यह हालत तब है जब कि नगर निगम एक्ट में जर्जर भवन को चिह्नित करने के साथ जानमाल रक्षा की दृष्टि से उनके ध्वस्तीकरण का भी अधिकार है।
बनारस में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पास मंगलवार को दो जर्जर मकान गिरने से एक महिला की मौत हो गई और नौ लोग घायल हो गए। वहीं, बुधवार को भी एक जर्जर मकान की सीढ़ियां गिरने से पूरा परिवार ऊपरी मंजिल पर कई घंटों तक फंसा रहा है। इन घटनाओं से प्रशासनिक और नगर निगम के कार्य प्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। क्योंकि हर बारिश में इसी तरह मकान गिरते हैं और कोई ना कोई इसकी चपेट में आकर अपनी जान गवांता है। इसके बाद खानापूर्ति शुरू होती है और अधिकारी बयान देकर मामले को रफादफा करने में जुट जाते हैं। जबकि नगर निगम के रिकॉर्ड में वाराणसी में 404 जर्जर मकान हैं। इन पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जो कहीं न कहीं हादसों को दावत दे रहे हैं।

नोटिस भेजने के बाद भी घर नहीं किया था खाली: जो दो मकान मंगलवार को गिरे हैं, उन दोनों मकानों को नगर निगम ने नोटिस जारी कर रखी थी। नगर निगम में अधिकारियों का कहना है कि एक भवन को 2015 में और दूसरे को 2024 में मानसून शुरू होने से पहले ही नोटिस भेजा गया था, लेकिन उसका कोई जवाब ही नहीं दिया गया। ऐसे ही 6 जुलाई को दशाश्वमेध क्षेत्र के खालिसपुरा स्थित महादेव मंदिर के पास भी एक भवन का बड़ा हिस्सा गिरा था, लेकिन रात का वक्त होने के कारण कोई हादसा नहीं हुआ। ऐसे ही हर रोज भवन गिरते रहते हैं और इस पर कोई ध्यान नहीं देता। बता दें कि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र के आसपास अभी इतने जर्जर भवन मौजूद हैं, जिसको देखकर आप डर जाएंगे। विशालाक्षी मंदिर के पास मीरघाट पर एंट्री लेने के साथ ही जर्जर भवन मौत बनकर खड़े हुए हैं।  इन रास्तों पर विश्वनाथ मंदिर जाने वाले भक्तों की लाइन लगती है, जो कभी भी बड़े हादसे का सबक बन सकता है।

मकान गिरते ही जुड़ गए और 85 जर्जर भवन: नगर निगम ने शहर में जर्जर 404 मकानों को चिह्नित किया है। वहीं 24 घंटे के भीतर निगम की ओर से जारी अपडेट सूची में जर्जर भवनों की संख्या 85 भवन और बढ़ गई है। कोतवाली जोन में 189 के स्थान पर अब 258 मकान जर्जर घोषित किया गया है। नई सूची में शहर में कुल 489 मकान जर्जर चिन्हित किए गए हैं।
सशुल्क होता ध्वस्तीकरण :

उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा-331 (1) के तहत निगम जर्जर भवनों को नोटिस दे सकता है। ऐसे भवन स्वामियों को सात दिनों के भीतर जर्जर हिस्से की मरम्मत कराने या जर्जर भाग को ध्वस्त करने की कार्रवाई करनी होती है। भवन स्वामियों द्वारा ऐसा न करने पर निगम को धारा-331 (2) के तहत जर्जर भवन गिराने व भवन स्वामी से इसका खर्च भी वसूलने का अधिकार है। वहीं धारा-331 (1)के तहत नोटिस तो देता है लेकिन धारा-331 (2) का उपयोग नहीं करता है। इसके पीछे निगम को पहले मकान को खाली करवाना होगा। इसके लिए मजिस्ट्रेट या न्यायालय की अनुमति लेना अनिवार्य है। कानूनी दांव-पेच के कारण निगम जर्जर भवनों को ध्वस्त करने की कार्रवाई करने से बचता हैं।

24 घंटे में दूसरा हादसा

तीन मंजिला जर्जर मकान की सीढ़ी ढही, रेस्क्यू करके निकाले गए 11 लोग कोतवाली के लालघाट राजमंदिर मोहल्ले में बुधवार की दोपहर करीब दो बजे तीन मंजिला जर्जर मकान की सीढ़ी ढह गई। वर्षों पुराने मकान की सीढ़ी ढहने के बाद मकान के दूसरी और तीसरी मंजिल पर 11 लोग फंस गए। चीख पुकार के बीच पहुंची पुलिस, एनडीआरएफ और फायर ब्रिगेड ने लकड़ी की सीढ़ी लगाकर रेस्क्यू करके सभी को सुरक्षित बाहर निकाला। 

जिला प्रशासन ने मकान को खाली करा दिया है। संयोग रहा कि हादसे में किसी को भी चोट नहीं आई। लाल घाट पर स्व. लखन राम का वर्षों पुराना तीन मंजिला मकान है, जिसमें उनके सात पुत्रों में से चार पुत्र मदन नोहन निषाद, गौरी शंकर, लालू प्रसाद और गोपाल प्रसाद का परिवार रहता है।
 दोपहर में हल्की बारिश के चलते मकान के दूसरे मंजिल की सीढ़ी भरभरा कर जमींदोज हो गई। इसके बाद घर में लोगों की चीख पुकार मच गई। पड़ोसियों ने पुलिस और फायर ब्रिगेड को सूचना दी। तब तक एनडीआरएफ की टीम भी पहुंच गई। टीम ने तीसरी मंजिल पर लड़की की सीढ़ी लगा कर एक-एक कर 11 लोगों को रेस्क्यू कर नीचे उतारा। सभी सदस्य  सुरक्षित हैं।

किस क्षेत्र में कितने जर्जर मकान 

  •  कोतवाली 258
  • दशाश्वमेध 152
  • वरूणापार 12
  • आदमपुर 13
  • भेलुपुर  14
  • सारनाथ  09
  •  रामनगर 31