5 हजार से ज्यादा कोरोगेटेड बॉक्स उद्योगों पर संकट के बादल
पेपर मिल संचालकों की मनमानी से प्रदेश में एक हजार करोड़ के नुकसान का अनुमान
यूपीसीबीएमए की आपात बैठक में 5 अक्तूबर से प्रदेश में पैकेजिंग उद्योगो की बंदी का निर्णय
वाराणसी (रणभेरी सं.)। पिछले तीन महीने में क्राफ्ट पेपर की कीमत 30 फीसद तक बढ़ने से उत्तर प्रदेश के लगभग 3000 कोरोगेटेड बॉक्स (गत्ते के डिब्बे) बनाने वाले उद्योग बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। नियमों को ताक पर रखकर पेपर मिल संचालक कागज के दाम में हर महीने इजाफा कर रहे हैं। इससे प्रदेशभर में उद्योगों को 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा के नुकसान का अनुमान है। पेपर मिल संचालकों की मनमानी से परेशान उद्यमियों के संगठन उत्तर प्रदेश कोरोगेटेड बॉक्स मैन्युफेक्चरर्स एसोसिएशन (यूपीसीबीएमए) ने पांच अक्तूबर से हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है। इस संबंध में एसोसिएशन की बुलाई गई आपात बैठक में यूपीसीबीएमए वाराणसी के अध्यक्ष मो. सादिक ने बताया कि कोरोगेटेड बॉक्स बनाने वाले उद्योगों में क्राफ्ट पेपर की आपूर्ति मुजफ्फरनगर, काशीपुर, सहारनपुर, आरा, पंजाब और हरियाणा से होती है।
पेपर मिल संचालकों की गुटबंदी का असर पूरे प्रदेश के उद्योगों पर पड़ रहा है। मिल संचालक पीक सीजन के दौरान दाम बढ़ाने के लिए कच्चे माल यानि रद्दी कागज का झूठा संकट दिखाते हैं और कई-कई दिनों के लिए मिल बंद कर देते हैं। पिछले तीन महीनों से यह सिलसिला चल रहा है और हर महीने दो से ढाई रुपये प्रति किलोग्राम क्राफ्ट पेपर की कीमत बढ़ायी जा रही है। मिल संचालकों ने फिर से वही हथकंडा अपनाते हुए कागज के दाम बढ़ाने के लए 28 सितंबर से छह अक्तूबर तक अपनी मिल बंद करने की घोषणा की है। लगातार बढ़ाए जा रहे कागज के दाम से उद्योग चला पाना मुश्किल हो रहा है। इसलिए मिल खुलने से पहले ही पांच अक्तूबर से प्रदेशभर के कोरोगेटेड बॉक्स बनाने वाले उद्योगों में हड़ताल की योजना बनाई जा रही है।
यूपीसीबीएमए वाराणसी के उपाध्यक्ष राजेश भाटिया ने बताया कि बाजारों में प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने, व्यापार की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने और कीमतों पर निगरानी के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) गठित है। पेपर मिल संचालकों की मनमानी पर अंकुश लगाते हुए चार साल पहले आयोग ने कोरोगेटेड बॉक्स निमार्ताओं के हक में फैसला सुनाया था। मिल संचालकों पर भारी-भरकम जुमार्ना लगाया जाना था, लेकिन कोविड के कारण दोबारा मनमाने तरीके से दाम न बढ़ाने की चेतावनी देकर मिल संचालकों को छोड़ा गया। संचालकों ने आयोग में शपथ पत्र भी दाखिल किया था, लेकिन अब फिर से मिल संचालकों ने मनमाने तरीके से कागज के दाम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। त्योहारों के सीजन से पहले कोरोगेटेड बॉक्स उद्योगों की बंदी का बाजार और अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ सकता है, क्योंकि कोई भी उत्पाद बिना बॉक्स के नहीं बिकता। कागज की लगातार बढ़ रही कीमत से बंदी के मुहाने पर खड़े इस कारोबार से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े लगभग २ लाख से ज्यादा श्रमिकों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो सकता है।
यूपीसीबीएमए वाराणसी के सचिव श्री महिपाल गुप्ता ने बताया कि कोरोगेटेड बॉक्स इंडस्ट्री पूरी तरह से क्राफ्ट पेपर पर निर्भर है। पिछले पांच साल से क्राफ्ट पेपर मिल संचालक गुटबंदी करते हुए कभी भी उत्पादन बंद कर देते हैं और आॅर्डर की बुकिंग बंद कर दी जाती है। सोची-समझी साजिश के तहत बाजार में कागज की कमी दिखाकर मनमाना दाम उद्यमियों से वसूला जाता है। चार महीने में कागज के दाम 30 प्रतिशत तक बढ़े हैं, जबकि कोरोगेटेड बॉक्स इकाइयों से तैयार उत्पाद खरीदने वाले रेट नहीं बढ़ा रहे हैं। लगातार कागज की कीमत बढ़ती रहेगी तो उद्योग चला पाना संभव नहीं है। पांच हजार से ज्यादा उद्योगों को बचाने के लिए प्रदेश सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और मिल संचालकों की मनमानी पर अंकुश लगाना चाहिए।
मीटिंग में कार्तिक जायसवाल, राजेश जायसवाल, लोकेश अग्रवाल, संजय झुनझुनवाला, उमा शंकर श्रीवास्तव, प्रदीप जायसवाल, प्रिंस वर्मा, विजय गांधी, डॉ. सोहन लाल आर्य, प्रवीण चौरसिया, रंजीत जायसवाल, अभिषेक चौरसिया आदि पैकेजिंग उद्यमी उपस्थित रहे।