देश के बंटवारे की निशानी है काशी में पाकिस्तानी महादेव, जानें- गंगा किनारे सफेद शिवलिंग का रहस्य
वाराणसी (रणभेरी सं.)। शिव की नगरी काशी में महादेव के अनगिनत शिवलिंग विराजमान हैं। हर मंदिर की अपनी-अपनी कहानी है। कोई जौ भर बढ़ता है तो कोई तिलभर, कहीं अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है तो कहीं कष्टों से। गंगा के तट पर ऐसे ही एक महादेव हैं जो भारत-पाकिस्तान के बंटवारे की निशानी के रूप में काशी में विराजमान हैं। जी हां, नाम है पाकिस्तानी महादेव।
आजादी के बाद हुए विभाजन की त्रासदी की दास्तां को संजोए पाकिस्तानी महादेव का मंदिर शीतलाघाट पर है। घाट के पास थोड़ा ऊपर सीढ़ियों पर जाकर बने पाकिस्तानी महादेव के इस मंदिर में सफेद रंग का शिवलिंग है।
भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के समय लाहौर से निहाल चंद सेठ इसे यहां लेकर आए थे। मंदिर में पूजा करने वाले रोशन शर्मा और विष्णु शर्मा का कहना है कि लाहौर में इस शिवलिंग को वहां के सेठ निहाल चंद ने मंदिर में स्थापित करवाया था। भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के समय सेठ निहालचंद जब भारत आने लगे तो शिवलिंग भी अपने साथ लेकर आ गए। शिवलिंग को गंगा जी में प्रवाहित करने की नियत से वह काशी आए। यहां पर जब लोगों ने निहालचंद सेठ को गंगा जी में शिवलिंग प्रवाहित करते देखा तो उन्हें मना किया। शिवलिंग को घाट पर ही एक मंदिर बनवाकर उसे प्रतिष्ठित करने को कहा। निहालचंद उनकी बात मान गए। तब से ही यह शिवलिंग शीतला घाट मंदिर में स्थापित है और पाकिस्तानी महादेव के नाम से जाना जाता है।
यहां सावन और महाशिवरात्रि में दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। बनारस के कोने कोने से लोग पाकिस्तानी महादेव के इस मंदिर को देखने और बाबा के दर्शन के लिए आते हैं।