मंदिरों व घरों में होगी कलश स्थापना

 मंदिरों व घरों में होगी कलश स्थापना
 मंदिरों व घरों में होगी कलश स्थापना

गोरखपुर ।  चैत्र शुक्ल पक्ष में मंगलवार से नवरात्र की उपासना शुरू हो जाएगी। नौ दिन तक मंदिरों व घरों में शक्ति की भक्ति होगी। सर्वार्थसिद्ध व अमृतसिद्ध के विशेष योग में नवरात्र शुरू हो रही है। प्रतिपदा को मंदिरों व घरों में कलश स्थापना होगी। देवी भक्त नौ दिन व्रत रहकर पूजा करेंगे।
जहां, मंदिरों में विशेष पूजा होगी, वहीं घरों के मंदिरों में भगवती की मूर्तियां विराजित करके उपासना की जाएगी। नवरात्र प्रतिपदा को शैलपुत्री स्वरूप की साधना होगी। प्रमुख देवी मंदिरों में भोर से ही पूजा शुरू हो जाएगी, जबकि मंदिरों के परिसर में धार्मिक अनुष्ठान होंगे।चौरीचौरा क्षेत्र के तरकुलहा देवी मंदिर, कुसुम्ही जंगल के बुढि़या माई मंदिर, काली मंदिर गोलघर, काली मंदिर दाउदपुर, शहर की कालीबाड़ी, दुर्गाबाड़ी एवं हठी माई मंदिर सहित अन्य मंदिरों में भी भक्तों का मेला लगेगा।

शैलपुत्री की पूजा से दूर होता है कष्ट
ज्योतिर्विद शरद चंद्र मिश्र के अनुसार प्रथम दिन माता दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री का पूजन होगा। शैलपुत्री पार्वती का ही स्वरुप हैं। वह सुख प्रदान करने वाली देवी है। इनकी पूजा से ग्रहों का दोष नष्ट हो जाता है और वर्षपर्यंन्त तक घर में समृद्धि और सुख विद्यमान रहता है। जीवन के समस्त कष्ट, क्लेश और नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिए एक पान के पत्ते पर लवंग, सुपारी, मिसरी रखकर मां शैलपुत्री को अर्पण करना चाहिए। इसके करने से अविवाहित कन्याओं को मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है। शैलपुत्री नंदी नामक वृषभ पर सवार होकर आती है। इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल होता है। यह जीवन में स्थिरता और दृढ़ता प्रदान करती है। इन्हें सफेद पुष्प और श्वेत वस्त्र प्रिय है। उनके सामने घी का दीपक जलाना चाहिए, इससे यह अत्यंत प्रसन्न हो जाती हैं।

व्रत का लें संकल्प
नवरात्र में कुछ भक्त नौ दिन व्रत रहेंगे तो कुछ लोग प्रथम और अष्टमी तिथि को व्रत रहकर भगवती की पूजा करेंगे। सर्वप्रथम पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह करके, कंबल, ऊन के आसन या कुश की चटाई पर बैठें। शिखा बंधन करें एवं तिलक लगाएं तथा आचमन एवं शरीर को पवित्र कर लें। उसके बाद सुपारी या मौली लपेटकर गणेशजी का प्रतीक बनाएं।उन्हें चौकी पर स्थापित करें। हाथ में थोड़ा सा चावल और फूल लेकर स्वस्तिवाचन करें या ब्राह्मण से करवाएं और उसके पश्चात नवरात्र व्रत का संकल्प करें।

कलश स्थापना का मुहूर्त
नवरात्र में प्रतिपदा तिथि सूर्योंदय पांच बजकर 46 मिनट बजे से शुरू होगी। प्रतिपदा तिथि का मान सम्पूर्ण दिन और रात्रि में नौ बजकर 44 मिनट तक रहेगी। 11:36 से 12:24 बजे तक अभिजीत मुहूर्त है। इस दौरान कलश स्थापना करना सर्वोंत्तम होगा।