देवी मंदिरों में गूंजा-या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता

 देवी मंदिरों में  गूंजा-या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता

गोरखपुर । चैत्र नवरात्र प्रतिपदा  प्रमुख देवी मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहा। दूसरे दिन बुधवार को भी सुबह से ही भक्तों ने अपनी आस्था श्रद्धा मां के दरवाब में जाकर निवेदित की। मंदिरों और घरों में सोमवार से ही कलश स्थापना करके भक्तों ने देवी भगवती का पूजन शुर कर दिया है। सूर्योदय से पहले ही मंदिरों के गर्भगृह के सामने भक्तों की कतार लग गई। दिनभर घंट-घड़ियाल के साथ या देवी सर्वभूतेषु...की गूंज से माहौल भक्तिमय रहा। संध्या आरती में भक्तों की संख्या बढ़ गई। श्रद्धालुओं ने मंदिर में भजन-कीर्तन किया नवरात्र में शहर के दाउदपुर व गोलघर काली मंदिर, कालीबाड़ी, दुर्गा मंदिर पादरी बाजार एवं हठी माई मंदिर में बुधवार को सुबह ही श्रद्धालु, परिवार सहित पहुंचने लगे। शहर से 12 किमी दूर कुसुम्ही जंगल स्थित बुढि़या माई मंदिर में भोर से ही भक्तों का तांता लग गया। दिनभर जय माता दी के जयकारे लगते रहे।

मंदिर के पुजारी रामानंद ने बताया कि सड़क के किनारे भोर तीन बजे ही भक्त आ गए थे। वन विभाग के चौकीदार ने भोर में ही बैरियर खोल दिया, जिससे भक्तों को दर्शन-पूजन में असुविधा नहीं हुई। चौरीचौरा क्षेत्र के तरकुलहा मंदिर में भक्तों का मेला लगा रहा। मंदिर में दिनभर धार्मिक अनुष्ठान हुए। शाम को आरती में काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवती की स्तुति की। मंदिरों के साथ घरों में भी कलश स्थापना हुई। देवी भक्तों ने नवरात्र में नौ दिन का व्रत शुरू किया तो कुछ लोग प्रतिपदा और अष्टमी तिथि का संकल्प लिया।

भक्तों की मुराद पूरी करती हैं कालीबाड़ी की देवी
शहर के रेती चौक क्षेत्र में प्राचीन कालीबाड़ी मंदिर में नवरात्र में भक्तों का तांता लग रहा है। यह प्राचीन काल का मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में पूजा करके मन्नत मांगने वाले भक्तों की मुराद पूरी होती है। यहीं कारण है कि यहां दूरदराज के श्रद्धालु भी पूजा करने आते हैं। नवरात्र में मंदिर का पट सुबह 5 खुल जाता है और सुबह 7 बजे आरती होती है तो भक्तों की संख्या बढ़ जाती है। रात 8 बजे आरती होती है, जबकि रात 10 बजे तक मंदिर में दर्शन पूजा होता है। मंदिर के महंत रवींद्र दास ने बताया कि कालीबाड़ी मंदिर प्राचीन है। बताया जाता है कि पहले रेती चौक में नदी बहती थी और वहीं मंदिर बना था। नदी की धारा बदल गई तो वहां के रेत के कारण रेती चौक नाम पड़ा। 168 साल से शरद पूर्णिमा के दिन मंदिर में बर्डपुर रामलीला के प्रभु श्रीराम का परिवार आता है और पूजा होती है। नवरात्र में बंगाली पुरोहित मंदिर में पूजा करने आते हैं।

आज होगी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
ज्योतिर्विद बृजेश पांडेय ने बताया कि नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी के ध्यान व पूजन का विधान है। इनका स्वरुप सौम्य एवं ज्ञानमय है। श्वेत वस्त्र धारण कर माता बुद्धि को स्थिर करती हैं। इनके एक हाथ में जपमाला तो दूसरे में कमंडल शोभायमान रहता है। इनकी साधना से मानसिक शक्ति का विकास होता है। मन एकाग्र होता है। विद्यार्थियों को इनकी आराधना अवश्य करनी चाहिए। मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा बुधवार को मंदिरों में की गई।