जो कुर्सी के गुमान में हैं चूर, वे महामना के सपने को कर रहे चकनाचूर
आखिर वह कौन है जो महामना की पवित्र बगिया को कर रहा कलंकित, जो न तो छात्र की सुनता न ही एक चिकित्सक की !
वाराणसी (रणभेरी )। महामना की पावन बगिया में एक डॉक्टर बीते सात दिनों से अनशन पर है। वो डॉक्टर इसलिए अनशन पर नहीं है कि उसे कोई राजनीतिक लाभ या पद की लालसा हो। वो डॉक्टर बीते सात दिनों से सिर्फ इसलिए अनशन पर है क्योंकि उसे मरीजों के जान की परवाह है। उनकी मांग है कि सुपर स्पेशियलिटी वार्ड में मरीजों के लिए रखे गए 41 बेड उनको दे दिया जाय ताकि गंभीर स्थिति के मरीजों को बेड के अभाव में कहीं और रेफर न करना पड़े। उन्हें इस बात की चिंता है कि दूर दूर से सस्ते और बढ़िया ईलाज के लिए बीएचयू अस्पताल की ओर रुख करने वाले गरीब मरीज कहीं बेड के अभाव में सही समय पर इलाज नहीं पाने पर कही अपनी जान न गवां दें। उनकी मांग है कि सुपर स्पेशियलिटी वार्ड में रखे बेड में जो डिजिटल लॉक लगाया गया है उसको खोल दिया जाय ताकि मरीजों को सही और समुचित उपचार मिल सके। यह पहली दफा नहीं है। डॉ. ओमशंकर इससे पहले भी इसी मांग को लेकर कई मर्तबा आंदोलित हो चुके है। किंतु संवेदन शून्य अस्पताल प्रबंधन उन्हें उचित आश्वासन तक नहीं दे पाया है। बता दें कि बीएचयू अस्पताल में हृदय रोग के मरीजों को आवंटित बेड पर भर्ती करने और एमएस को हटाने की मांग को लेकर अनशन पर बैठे प्रोफेसर ओम शंकर के समर्थन में बीएचयू परिसर में छात्रों ने आक्रोश मार्च निकालने का भी निर्णय लिया था। इसमें विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों और संकायों के छात्रों के अलावा छात्र संगठनों और सामाजिक संगठनों के लोग भी शामिल हुए लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया था।
क्या था महामना का सपना !
जब 18 के दशक में कलकत्ता विश्वविद्यालय, बंबई विश्वविद्यालय, लाहौर विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्थापना हुई तब शिक्षा व्यवस्था के द्वारा भारत के मन पर कब्जे की इन्हीं कोशिशों के बीच राष्ट्रीय शिक्षा चिंता ने भी जन्म लिया। अमृतसर में खालसा कॉलेज बना। रांची में नया कॉलेज बनाने के लिए दान मिला। अलीगढ़ कॉलेज की स्थापना हुई। नवाब रामपुर ने बरेली कॉलेज की स्थापना की। विवेकानंद की प्रेरणा से टाटा अनुसंधान केंद्र बना। उस समय देश में राष्ट्रीय शिक्षा के लिए वातावरण बन रहा था। देश के विभिन्न हिस्सों के आकाश में राष्ट्रीय शिक्षा के बादल उमड़-घुमड़ रहे थे। महामना मदन मोहन मालवीय ने इसी दौर में काशी हिंदू विश्वविद्यालय का भी सपना देखा था। सन 1911 में दरभंगा नरेश रामेश्वर सिंह ने अपने सपने को मालवीय जी के सपने से जोड़ दिया। आगे चल कर एनी बेसेन्ट ने इस महान सपने को अपने सेंट्रल हिंदू स्कूल की ठोस जमीन दी जो हमें सदैव याद रखना चाहिए। इस तरह एक राष्ट्रीय शिक्षा केंद्र का कारवां मालवीयजी के शुभ्र धवल नेतृत्व में आगे बढ़ गया। देखते-देखते मालवीयजी का यह सपना भारत की जनता की आकांक्षा से जुड़ गया। भारत के इतिहास में एक नया नालंदा जन्म ले रहा था। इसका निमार्ता कोई एक राजा-महाराजा नहीं था। एक फकीर इसका नेतृत्व कर रहा था। विश्वविद्यालय की खातिर धन देने के लिए राजा-महराजाओं से लेकर सामान्य जनता तक में होड़ मच गई थी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना जनता की राष्ट्रीय शिक्षा की आकांक्षा का प्रतीक बन गई थी। यह विश्वविद्यालय सिर्फ अमीरों, राजाओं, महराजाओं और भारत की तत्कालीन सरकार की मदद से नहीं बना, इसके निर्माण में देश की आम जनता का योगदान किसी से कम नहीं है। इनमें भारत के सामान्य स्त्री-पुरुष हिंदू-मुसलमान सभी शामिल थे। मदन मोहन मालवीय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सम्बन्ध में एक सन्देश दिए थे। उन्होंने कहा था कि यह मेरी इच्छा और प्रार्थना है कि प्रकाश और जीवन का यह केन्द्र जो अस्तित्व में आ रहा है वह ऐसे छात्र प्रदान करेगा जो अपने बौद्धिक रूप से संसार के दूसरे श्रेष्ठ छात्रों के बराबर होंगे, बल्कि एक श्रेष्ठ जीवन व्यतीत करेंगे, अपने देश से प्यार करेंगे और परम पिता के प्रति इमानदार रहेगे।
डॉ. ओमशंकर के समर्थन में छात्रों का उपवास
पिछले सात दिनों से अनशनरत बीएचयू अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. ओम शंकर की मुहिम के समर्थन में बीएचयू के छात्रों ने छात्रसंघ भवन पर एकदिवसीय सामूहिक उपवास रखा। शोध छात्र रोहित राणा ने कहा कि महामना की बगिया को बचाने के लिए गांधी - मालवीय - आजाद की प्रेरणा से हमलोग आज इस सामूहिक उपवास पर बैठे हैं , ग्रीन बीएचयू - क्लीन बीएचयू और करप्शन फ्री बीएचयू की लड़ाई डॉ. ओम शंकर की व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है, ये लड़ाई मालवीय जी के सपनों को जीने वाले हर व्यक्ति की लड़ाई है। जिस प्रकार से आज बीएचयू प्रशासन संवादहीनता और हिटलरशाही का परिचय दे रहा है, वो शर्मनाक है। छात्रों ने कहा कि हम इस भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े हैं और इस लड़ाई को गांधीवादी सत्याग्रह के रास्ते पर चलते हुए आगे बढ़ाएंगे। इस दौरान मुरारी, गुरूशरण, विशाल गौरव, धर्मेंद्र पाल, प्रियदर्शन मीना, राहुल, दीपक, अमन, सुमन आनंद, लोकेश, अजीत, राणा रोहित, शुभम समेत दर्जनों छात्र एकदिवसीय सामूहिक उपवास में सम्मिलित रहे।