होटल-रेस्त्रां में सर्विस चार्ज के नाम पर लूट
शादी व पार्टी को लेकर होने वाली बिलिंग में होती है धोखाधड़ी, जीएसटी को लगाते हैं चपत
वाराणसी (रणभेरी सं.)। महंगाई के इस दौर में एक-एक रुपए का हिसाब लगाने वाले लोग अंजाने में ही अपनी जेब कटा रहे हैं। रेस्टोरेंट में बाहर खाने की आदत उन्हें असल में कितनी महंगी पड़ रही है, ये उन्हें पता ही नहीं है, रेस्टोरेंट मालिक भी इसका भरपूर फायदा उठा रहे हैं और बिल में सबसे नीचे सर्विस चार्ज के नाम पर मुंह मांगी टिप वसूल रहे हैं। जो असल में देना जरूरी ही नहीं है। ये आपकी इच्छा पर निर्भर करता है कि आप इसे देना चाहते हैं या नहीं, यदि रेस्टोरेंट संचालक इसे जबरन वसूलता है तो इसकी शिकायत भी की जा सकती है। अपनी फैमिली के साथ क्वालिटी समय बिताना हर किसी को पसंद है। इसके लिए हम अपनी छुट्टी के दिन फैमिली और फ्रेंड्स के साथ समय बिताने के लिए होटल और रेस्तरां में जाते हैं लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि रेस्टोरेंट कई तरह के सर्विस चार्ज लगा देता है, जोकि हमें पे करना पड़ता है। सीसीपीए ने नई गाइडलाइंस जारी की थी। इसके तहत होटल और रेस्तरां के बिल में सर्विस टैक्स बैन कर दिया गया था, ताकि होटल और रेस्तरां में जाकर खाना पसंद करने वाले लोगों को राहत मिले।
हालांकि कुछ दिन से लोगों की शिकायत आ रही है कि वाराणसी के कई रेस्टोरेंट सर्विट टैक्स वसूलते हैं। वाराणसी के कई रेस्टोरेंट लोगों से 5 फीसदी तक सर्विस टैक्स वसूल रहे हैं। सर्विस चार्ज खाने के बिल के साथ जोड़कर दिया जाता है, लेकिन आप इस चार्ज को देना चाहते हैं या नहीं यह सिर्फ आपके ऊपर निर्भर करता है। दरअसल, हाल ही में केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने नई गाइडलाइन जारी की थी। सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी यानी सीसीपीए द्वारा जारी गाइडलाइन में बताया गया था कि किसी भी कस्टमर को सर्विस टैक्स भरने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है, लेकिन उसके बाद भी लोगों से जबरदस्ती सर्विस टैक्स वसूला जा रहा है।
क्या होता है सर्विस चार्ज
रेस्टोरेंट अपने कर्मचारियों को प्रोत्साहन राशि देने के लिए सर्विस चार्ज वसूलते हैं, एक तरह से ये वो टिप हुई जो आप रेस्टोरेंट की सेवा से खुश होकर देना चाहते हैं, लेकिन ज्यादा रेस्टोरेंट संचालकों ने इसे अनिवार्य बना रखा है, जबकि उन्हें इस बिल में भी इस बात का जिक्र करना चाहिए कि ये आॅप्शनल है। कानूनी तौर हर रेस्टोरेंट संचालक को ग्राहकों से वसूले जाने वाले किसी भी शुल्क का जिक्र अपने मैन्यू कार्ड पर ही करना चाहिए, लेकिन ऐसा होता नहीं है।
।सर्विस टैक्स और सर्विस चार्ज में अंतर
सरकार की ओर से लिया जाने वाला सर्विस टैक्स रेस्टोरेंट संचालक से वसूला जाता है और रेस्टोरेंट संचालक इसे ग्राहकों से लेता है। वैट के जमाने में यह अलग वसूला जाता था, लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद सारे टैक्स एक कर दिए गए हैं, यह देना अनिवार्य होता है। जबकि सर्विस चार्ज एक तरह से वो टिप है जो उपभोक्ता रेस्टोरेंट की सर्विस से खुश होकर देते हैं। यह अनिवार्य नहीं है।
कहां जाती है यह राशि
रेस्टोरेंट एसोसिएशन के मुताबिक ग्राहकों से वसूले जाने वाले सर्विस चार्ज का बड़ा हिस्सा कर्मचारियों को दिया जाता है या बुरे समय में उनकी मदद के लिए राहत कोष में जाता है। ग्राहक इसे देने या न देने का आॅप्शन चुन सकते हैं। यह एक तरह की टिप है जो कर्मचारियों को वेतन से अतिरिक्त दी जाती है। ग्राहक सीधे वेटर को भी टिप दे सकते हैं लेकिन इस मामले में बैकरूम कर्मियों को कुछ भी नहीं मिल पाता।
चुपचाप बिल भर देते हैं ग्राहक
रेस्टोरेंट एसोसिएशन की ओर से भले ही ये तर्क दिया जाए कि ग्राहकों को सर्विस चार्ज के बारे में पता होता है, लेकिन ऐसा नहीं है, पारदर्शिता न होने की वजह से तमाम लोग सर्विस टैक्स और सर्विस चार्ज में ही अंतर नहीं जानते, इसका परिणाम ये होता है कि वे रेस्टोरेट में खाना खाने के बाद जब बिल ज्यादा होने के बारे में पूछते हैं तो रेस्टोरेंट प्रबंधन की ओर से भी उन्हें गुमराह कर दिया जाता है, ऐसे लोग चुपचाप बिल भर देते हैं। कई लोग तो इस पर ध्यान ही नहीं देते और बिल में सर्विस चार्ज देने के अतिरिक्त एक्स्ट्रा टिप भी देते हैं।
ऐसे काटी जा रही जेब
देश में किसी भी साधारण रेस्टोरेंट में खाने के शुल्क के साथ 5 प्रतिशत जीएसटी (इसमें केंद्र और राज्य का हिस्सा शामिल है) देनी होती है, यदि रेस्टोरेंट ऐसे होटल के अंदर है जिसके कमरे दर 7500 रुपए से अधिक है, ऐसे रेस्टोरेंट में जीएसटी की दर 18 फीसद होगी। बिल के अतिरिक्त इस राशि को दिया जाना अनिवार्य है, जीएसटी का फुल फॉर्म (गुड्स एवं सर्विस टैक्स) है, यानी सर्विस टैक्स इसमें शामिल है, लेकिन रेस्टोरेंट संचालक ग्राहक को जानकारी न होने का फायदा उठाकर सर्विस चार्ज का जिक्र अलग से करते हैं। इसे 5 से 15 फीसद और कई मामलों इससे ज्यादा भी वसूला जाता है. यह बिल में सबसे नीचे लिखा होता है। सर्विस चार्ज को देना ग्राहकों के लिए अनिवार्य नहीं है, यह पूरी तरह से स्वैच्छिक है, ग्राहक चाहे तो इसे देने से इन्कार भी कर सकता है।
ये है नियम
- यह गाइडलाइंस सभी रेस्तरां के लिए है। ऐसे में कोई भी होटल अपने अलग नियम नहीं बना सकता है।
- जबरदस्ती टैक्स वसूलने पर कोई भी ग्राहक ईदाखिल.एनआईसी.इन पर जाकर शिकायत दर्ज कर सकता है।
- जिला कलेक्टर, जिलाधिकारी, जिला स्तर पर जाकर भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
- रेस्तरां के बाहर हमारे यहां सर्विस टैक्स वसूला जाता है, जैसा बोर्ड भी नहीं लगाया जा सकता है।
क्या है गाइडलाइन
नई गाइडलाइन के अनुसार, आप किसी भी होटल या रेस्तरां में खाना खाने के बाद सर्विस टैक्स दें, ऐसा जरूरी नहीं है। यह चार्ज वॉलंटरी है। इसके साथ-साथ रेस्तरां को भी अपने बिलिंग के समय सर्विस चार्ज के बारे में जानकारी देना जरूरी है। मंत्रालय के अनुसार होटल और रेस्टोरेंट में दिए जाने वाले खाने की कीमत में सर्विस चार्ज पहले से ही मौजूद होता है। सीसीपीए का कहना है कि इस आदेश के बाद अगर किसी कस्टमर से जबरदस्ती सर्विस टैक्स वसूला जाता है तो वह ईदाखिल.एनआईसी.इन पर जाकर शिकायत दर्ज कर सकता है। इसके बाद रेस्तरां के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।
यहां कर सकते हैं शिकायत
यदि किसी रेस्टोरेंट में जबरन सर्विस चार्ज वसूला जाता है तो ग्राहक कंज्यूमर फोरम, जिला अधिकारी से इसकी शिकायत कर सकता है, वेबसाइट पर इसकी आॅनलाइन शिकायत भी की जा सकती है। यदि ग्राहक की शिकायत सही पाई जाती है तो दोषी पर कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 के मुताबिक कार्रवाई होगी। इसमें मामलों के आधार पर अलग-अलग जुर्माने का प्रावधान है।