...तो बीएचयू के चिकित्सक भी भेजते हैं मरीजों को करौली!

...तो बीएचयू के चिकित्सक भी भेजते हैं मरीजों को करौली!

वाराणसी (रणभेरी/विशेष संवाददाता)। सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के चाहे जितने भी बड़े-बड़े दावे कर ले लेकिन जमीन पर कोई अपेक्षित सुधार नहीं दिखता है। और जब प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में बीएचयू जैसे अस्पताल के डाक्टर्स अपनी नैतिकता को ताक पर रखकर मरीजों के लिए रक्षक के बजाय भक्षक की भूमिका में आ जाये तो फिर देश भर के तमाम चिकित्सालयों में उपलब्ध सुविधाओं का सच समझा जा सकता है। भ्रष्टाचार रूपी बीमारी ने वाराणसी के बीएचयू अस्पताल के तमाम चिकित्सकों को भी अपनी गिरफ्त में ले लिया है जो पूरे के पूरे सिस्टम पर एक बड़ा सवालिया निशान है। वाराणसी में सारी नैतिकता को तार-तार करने वाले व मरीजों की ज़िंदगी से घिनौना खेल खेलने वाले करौली डायग्नोस्टिक सेंटर के शातिर व अपराधिक मानसिकता के मालिकानों ने शहर के दर्जनों निजी चिकित्सालयों सहित बीएचयू के भी अनेक डाक्टर्स को अपने सिंडिकेट में शामिल कर लिया है। चिकित्सीय सेवा में भ्रष्टाचार के कारण ही मजबूरी में लोगों को अपने परिजनों की जांच कराने के लिए करौली के बिछाए जाल में फंस कर अपनी जेब ढीली करनी पड़ रही है।
पंडित मदन मोहन मालवीय की बगिया बीएचयू के चिकित्सा केंद्र में पदस्थापित तमाम चिकित्सको की निजी क्लिनिक एवं निजी पैथोलॉजी से सांठगांठ का पुख्ता सबूत रणभेरी की टीम को प्राप्त हुआ है। रणभेरी के खोजी पत्रकारों की टीम को शहर के हर क्षेत्रों से दर्जनों की संख्या में ऐसे डाक्टर्स एवं निजी चिकित्सालयों सहित राजकीय चिकित्सालयों के बारे में प्रमाणित जानकारी मिली है जो अपने मरीजों को किसी भी तरह के पैथलोजिकल जांच के लिए सीधे करौली डायग्नोस्टिक सेंटर भेजते हैं। आपको जानकर हैरत होगी कि मरीजों को जांच के लिए करौली डायग्नोस्टिक सेंटर भेजने वाले डाक्टर्स में राजकीय चिकित्सालय में सेवारत डाक्टर्स भी पीछे नहीं हैं। सूत्रों से मिली प्रमाणित सूचनाओं के अनुसार बीएचयू जैसे प्रतिष्ठित चिकित्सा केंद्र के भी कई डाक्टर्स अपने मरीजों को सरकारी पर्ची पर दवा लिख कर देते हैं और दूसरी पर्ची पैथलोजिकल जांच के लिए करौली जाने का निर्देश देते हैं जो कि सीधे तौर पर अपराध है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय जैसे चिकित्सा केंद्र में सभी तरह की जांच की सुविधा होने के बाद भी तमाम चिकित्सक मरीजों को न केवल निजी पैथोलॉजी में जांच कराने की पर्ची थमा रहे हैं बल्कि सीधे तौर पर मरीजों को करौली डायग्नोस्टिक सेंटर भेज रहे हैं।

रिपोर्ट पर डिग्रीधारक का साइन जरूरी, ये है नियम
मीडियम और एडवांस पैथलैब में एमडी पैथोलॉजी, बायोकेमेस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी, लेबोरेटरी मेडिसिन डिग्रीधारी होना अनिवार्य है। इन विषयों के एमडी डॉक्टर ही रिपोर्ट पर साइन कर सकते। एमडी जांच की व्याख्या के लिए एमबीबीएस डॉक्टर जरूरी है।
1. मीडियम लैब में एमडी पैथोलॉजी, बायोकेमेस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी, लेबोरेटरी मेडिसिन डिग्रीधारी अनिवार्य।
2. एमबीबीएस व दूसरे विभागों से पीजी करने पर भी नहीं चला सकते। माइक्रोबाइयोलॉजी, पैथोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री में पीजी/पीएचडी जरूरी।

 
बेसिक सुविधा जरूरी
बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण के लिए व्यवस्था करनी होगी। पैथ लैब्स को वेटिंग रूम, शौचालय व पीने के साफ पानी की व्यवस्था करनी होगी। टेंपरेचर कंट्रोल के लिए मशीनों की भी व्यवस्था करनी होगी। हर मरीज का रिकॉर्ड मेंटेन करके रखना होगा। पैथ लैब्स को इन्फेक्शन कंट्रोल प्रेक्टिस अपनी होगी। एचआईवी टेस्ट करने से पहले और बाद में मरीज की काउंसलिंग जरूरी होगी। इन गाइडलाइंस के उल्लंघन पर जुर्माने का प्रावधान है।

रणभेरी ने किया था कई डाक्टर्स का नाम उजागर 
आपके अखबार रणभेरी ने इसके पूर्व भी खबरों के माध्यम से अपने पाठकों का ध्यान करौली डायग्नोस्टिक सेंटर की ओर केंद्रित कराया था। जहाँ गरीब और लाचार मरीजों को खुलेआम लूटा ही नहीं जाता बल्कि गलत जांच रिपोर्ट देकर उनकी जिन्दगी से खिलवाड़ किया जाता है। हमने बताया था कि  शहर में जांच के नाम पर मरीजों की जान को संकट में डालने वाले करौली डायग्नोस्टिक सेंटर के गुनाहों में वाराणसी सहित आस-पास के दर्जनों जिलों के निजी अस्पतालों के चिकित्सालयों के डाक्टर्स भी शामिल हैं, जो कमीशन की मोटी रकम के लालच में लोगों को करौली जैसे भ्रष्ट जांच केंद्र में भेजकर बड़े अपराध में साझेदार बनाते जा रहे हैं। यह सब कुछ चिकित्सा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की मिली भगत और मौन सहमति से खुलेआम हो रहा है। करौली में जांच के नाम पर पहले तो मरीजों के जेब पर डाका डाला जाता है और फिर उसके बाद मरीजों को गलत व झूठी रिपोर्ट ए दी जाती है, फिर उसी गलत जांच रिपोर्ट को आधार बनाकर डाक्टरों द्वारा मरीजों की ज़िंदगी से आँख-मिचौली का खेल खेला जाता है।

सूत्र बता रहे हैं कि तमाम नियमों को ताक पर रखकर आवश्यक मानकों की धज्जियां उड़ाते हुये दो सट्टा कारोबारियों द्वारा वाराणसी में संचालित किये जा करौली डायग्नोस्टिक सेंटर को वाराणसी समेत पूर्वांचल की कई जिलों के डॉक्टरों का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। रणभेरी को फिलहाल लगभग 1 दर्जन ऐसे डाक्टर्स के नाम मिले हैं जो अपने यहाँ आने वाले मरीजों को जांच के लिए सधे करौली भजते हैं। सूत्र बताते हैं कि इलाज के नाम पर लाखों रूपये ऐठने के बदनीयत के तहत भी कुछ डाक्टर्स अपने मरीजों को करौली डायग्नोस्टिक सेंटर भेजते हैं जहाँ से मरीजों को ऐसी जांच रिपोर्ट दे दी जाती है जिससे छोटी-मोटी बिमारी वाला मरीज़ भी खुद को गंभीर व खतरनाक बीमारी से ग्रसित समझ बैठता है और फिर यही से शुरू हो जाता है मरीजों के शोषण का घिनौना खेल। 
मरीजों की ज़िंदगी से खेले जा रहे घिनौने खेल में करौली डायग्नोस्टिक सेंटर के अग्रवाल बंधुओं के साथ-साथ दर्जनों डाक्टर्स के शामिल होने के पुख्ता प्रमाण रणभेरी के पास उपलब्ध हैं। लूट का यह व्यापार काफी दूर तक फैला हुआ है। वाराणसी ही नहीं बल्कि आस-पास के दर्जनों जिलों से भी डाक्टर्स द्वारा मरीजों को करौली सेंटर में जांच के लिए भेजा जाता है। करौली डायग्नोस्टिक सेंटर के इस अक्षम्य अपराध में बीएचयू सहित कई नामी-गिरामी हॉस्पिटलों के बड़े डाक्टर्स की लिस्ट रणभेरी को प्राप्त हुई है जो सब कुछ जानते हुये भी अपने मरीजों को करौली डायग्नोस्टिक सेंटर भेजने का गुनाह कर रहे हैं। 

बीएचयू सहित निजी चिकित्सालयों के डाक्टर्स की सूची जो मरीजों को लूट जाने के लिए भेजते है करौली 

  • डॉ. अभिषेक पाठक (बीएचयू)
  • डॉ. मनोज पाण्डेय (बीएचयू)
  • प्रो. एच.एस.शुक्ल (बीएचयू)
  • डॉ. वरुण (बीएचयू)
  • डॉ. शैलेश सिंह 
  • डॉ. सुबोध कुमार पाठक 
  • डॉ. ए.के.सिंह (भारद्वाज हास्पिटल, बौलिया)
  • प्रो. आई.एस.गंभीर (दुर्गाकुंड)
  • डॉ. शुधेंदु शेखर शर्मा (नरिया)
  • डॉ. पीयूष राय 
  • डॉ. देवेश यादव 
  • डॉ. पी.एस.दूबे (वर्षोवा हास्पिटल)
  • डॉ. वैभव मणि त्रिपाठी (मणि हास्पिटल)
  • डॉ. नन्दजीत सिंह
  • डॉ. ईशा पाइ 
  • पनेशिया हास्पिटल 
  • डॉ. अनुज सिंह (एडवांस कैंसर सेंटर)
  • शुक्ल हास्पिटल (भिखारीपुर)
  • डॉक्टर केके सिंह
  • सुधा सर्जिकल 
  • रोहित हॉस्पिटल
  • डॉ. एसबी सिंह
  • डॉ. एसजे सिंह 
  • शैल नर्सिंग होम 
  • डॉ. शैल सिंह 
  • शेखर हॉस्पिटल 
  • भारती हॉस्पिटल
  • स्वास्तिक सर्जिकल
  • अंश ब्यूरो
  • डॉ. कल्पना दूबे
  • डॉ. आज़मी जेहरा (चंदौली)
  • डॉ. अभिजीत कसेरा 

इसके अलावा शहर के कोने-कोने से लेकर गांव-गांव तक छोटी-छोटी क्लिनिको पर बैठे डॉक्टर भी मरीज को जांच के लिए करौली भेजते हैं करौली द्वारा ऐसे डॉक्टरों को भी कमीशन के रूप में मोटी रकम देकर जेब भरे जा रही है।