क्या डिगने वाला है श्यामदेव ‘दादा’ का इरादा!

क्या डिगने वाला है श्यामदेव ‘दादा’ का इरादा!
  •  शहर दक्षिणी से सात बार विधायक रहे श्यामदेव राय चौधरी बीते एक दशक से झेल रहे उपेक्षा और गुमनामी का दंश 

वाराणसी (रणभेरी सं.)। अपना शहर बनारस सांस्कृतिक, धार्मिक या फिर राजनीतिक, हर दृष्टि से सतत जागरूक रहा। यहां की गतिविधियों से निकलने वाले संदेश समूचे देश की हलचलों को प्रभावित करते हैं। सोमवार की सुबह दो विपरीत ध्रुवों वाले राजनीतिक दिग्गजों की भेंट ने भी समूचे प्रदेश की राजनीति में हरारत पैदा कर दी। अटकलों और कयासों को नए पंख दे दिए। हुआ यह की प्रदेश विधानसभा में नेता विपक्ष माता प्रसाद पाण्डेय, पूर्व मंत्री ओम प्रकाश सिंह व अन्य वरिष्ठ सपा नेता बिना पूर्व सूचना के अचानक ही वाराणसी शहर दक्षिणी से सात बार लगातार भाजपा विधायक रहे दादा श्यामदेव राय चौधरी के बड़ादेव स्थित आवास पर पहुंच गए। शहर बनारस के सबसे लोकप्रिय जुझाडू व ईमानदार नेता दादा के दर पर दस वर्षों के बाद किन्हीं दिग्गज राजनेताओं की यह पहली दस्तक रही। बीते एक दशक से अपनी पार्टी भाजपा की ही उपेक्षा से वयथित व लगभग गुमनामी की जिंदगी जी रहे दादा के घर सपा नेताओं की यह आमद सयास थी या महज एक शिष्टाचार भेंट, यह अबतक स्पष्ट नहीं है। किंतु लगभग आधे घंटे तक चली दादा व सपा नेताओं की गोपनीय बैठक ने राजनीतिक अटकलों को जैसे पंख दे दिए। यहां से राजधानी लखनऊ तक मोबाइल बजने लगे। दादा के शीघ्र पाला बदल के कयासों के पर फड़कने लगे।

याद रहे की बीते 10 वर्षों में राजनीति का यह भीष्म लगातार राजनीतिक उपेक्षा की पीड़ा झेलता रहा। परिवार में पुत्र सहित अन्य स्वजनों की मृत्यु के बाद भी भाजपा के लिए समूचा जीवन खपा देने वाले दादा को अपने ही लोगों से सांत्वना व ढांढस के दो शब्द मयशर नहीं हुए।

सहयोगी कार्यकतार्ओं के संबल की बात छोड़ दें तो पार्टी का कोई बड़ा राजनेता दादा के शोक संपत मन को ढांढस देने नहीं आया। बावजूद इसके दादा ने किसी से कोई शिकायत नहीं की। अपनी पीड़ा के संग खुद को कमरे में बंद कर लिया। सार्वजनिक कार्यक्रमों से ही नहीं, उन्होंने एक तरह से सामाजिक जीवन से भी सन्यास ले लिया। ऐसी अस्थिर व दुखी मन:स्थिति में आज की यह खास भेंट क्या रंग लाएगी, दोनों राजनेताओं की आपसी बात संदर्भ सहित कितनी दूर तलक जाएगी, यह तो वक्त ही बताएगा।